Indore IIT Board: ISRO के पूर्व अध्यक्ष डॉ के. सिवन बने आईआईटी इंदौर बोर्ड के चेयरमैन, अंतरिक्ष मिशन में योगदान देने का खास मौका - Indore IIT students benefit in space science
इसरो के पूर्व पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. सिवन को इंदौर आईआईटी बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया है. डॉ. सिवन के अंतरिक्ष और एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लंबे अनुभव का लाभ आईआईटी इंदौर के छात्रों को मिलेगा.
इंदौर।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी इंदौर में इसरो और अंतरिक्ष आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. सिवन को 3 साल की अवधि के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है. उनकी नियुक्ति चंद्रमा के शिव-शक्ति बिंदु पर चंद्रयान-3 के उतरने के ठीक एक दिन पहले की गई है. डॉ सिवन की नियुक्ति के साथ प्रोफेसर दीपक बी. फाटक का कार्यकाल समाप्त हो गया है.
आईआईटी इंदौर बोर्ड
अंतरिक्ष विज्ञान में छात्रों को मिलेगा फायदा:आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर जोशी ने कहा ''डॉ. के. सिवन को शामिल करने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था, जब भारत ने चंद्रयान-3 के माध्यम से एक ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित किया है और अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपनी कौशल और विशेषज्ञता दिखाई है. इस वर्ष हमने अंतरिक्ष विज्ञान और इंजीनियरिंग में बी.टेक कार्यक्रम सहित 10 नए शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू किए हैं. जिसमें 4 छात्राओं सहित 20 छात्रों ने प्रवेश किया है. यह अपनी तरह का अनोखा कार्यक्रम है जो केवल आईआईटी इंदौर में उपलब्ध है.''
नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा आईआईटी इंदौर:प्रोफेसर जोशी ने कहा ''हमने पहले ही 2016 से खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और अंतरिक्ष इंजीनियरिंग में एम.टेक और पीएच.डी. कार्यक्रम की शुरुआत कर दी थी. मुझे विश्वास है कि के. सिवन के मार्गदर्शन में संस्थान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने और अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के अनछुए क्षेत्र में काम और देश के अंतरिक्ष मिशन में योगदान देने का मौका मिलेगा."
सिवन के सहयोग से अंतरिक्ष विज्ञान में आगे बढ़ेगा आईआईटी:प्रोफेसर जोशी ने कहा ''डॉ. सिवन के नेतृत्व में उम्मीद है कि आईआईटी इंदौर इसरो के साथ सहयोग करने के लिए काम करेगा. भारत को नए अंतरिक्ष युग में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा. संस्थान अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सेल, छात्र उपग्रह कार्यक्रम और हमारे यूजी-पीजी पाठ्यक्रम के माध्यम से अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भागीदारी जैसे कई बड़े पैमाने के कार्यक्रमों के माध्यम से इसरो के साथ अधिक प्रत्यक्ष सहयोग स्थापित करने की योजना बना रहा है.''