छिंदवाड़ा। जिले के चौरई विधानसभा क्षेत्र में पेंच व्यपवर्तन परियोजना जिसे माचागोरा डैम के नाम से जाता है. वहां डूब प्रभावित किसानों ने मांगों को लेकर जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. इस आंदोलन में हजारों किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं ने मोर्चा संभाला है और नदी के अंदर सत्याग्रह में शामिल हुई हैं. पेंच बांध प्रभावित किसान संगठन के तत्वाधान में आयोजित इस जल सत्याग्रह कर किसान अपनी समस्याओं को लेकर समाधान करने की मांग कर रहे हैं.
किसानों की क्या है मांग, क्यों करना पड़ा जल सत्यागृह:माचागोरा बांध में जल भराव होने के कारण आसपास के 31 गांव के करीब 50,000 की आबादी प्रभावित हो गई है, जिनकी आबादी के हिसाब से ग्राम भुतेरा, धनोरा, भूला, बाराहबिहारी पूरी तरह जलमग्न हैं और 14 ग्राम आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. 13 ग्रामों की मात्र भूमि प्रभावित हुई है. बांध प्रभावित किसानों की मुख्य मांगे हैं कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार, चार गुना मुआवजा प्रदान किया जाए. सरदार सरोवर बांध की तर्ज पर विशेष पैकेज दिया जाए. शासन द्वारा बसाए गए पुनर्वास को पुनःअर्जन कर शहर के किनारे विस्थापित किया जाए. मत्स्य पालन एवं मछली का ठेका प्रभावित ग्रामों की समिति एवं मछुआरों को दिया जाये. जिन किसानों के विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन के भू-अर्जन प्रकरण लंबित हैं उन सभी अपीलीय प्रकरणों को वापस लेकर फरियादी किसानों को मुआवजा दिया जाए.
जमीन न होने से नहीं हो रहे गांव में रिश्ते:किसानों ने बताया कि ''उनके पास पुश्तैनी जमीन हुआ करती थी. सरकार ने जमीन का अधिग्रहण कर लिया लेकिन उचित मुआवजा नहीं दिया. जिसकी वजह से वह महंगी जमीन नहीं खरीद पाए. हालत यह है कि अब कुछ दिनों में उनकी जमा पूंजी भी खत्म हो गई है. उनके घरों में अब बेटे बेटियां शादी लायक तो हो गए हैं. लेकिन उन्हें रिश्ते नहीं मिल रहे हैं क्योंकि पुश्तैनी जमीन नहीं है इसलिए रोजगार का संकट है.''