भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल में भूपेंद्र विश्वकर्मा के परिवार की सुसाइड से हर काेई गमगीन है, लेकिन शहर में कुछ कहानियां ऐसी भी हैं, जो यह बताती हैं कि भले ही आप गलती से स्कैम का हिस्सा बन गए, लेकिन ढंग से लड़ाई लड़ी जाए तो इससे बाहर भी निकल सकते हैं. जैसे कोलार की रहने वाली पल्लवी पांडेय की कहानी. इनके पति ने महज पांच हजार रुपए का लोन एक ऐप से लिया था. इसमें पल्लवी का नंबर भी लिखवा दिया. एक महीने किस्त नहीं दे पाए तो करीब 80 से अधिक कॉल पल्लवी को, रिश्तेदारों को और परिचितों को आ गए.
महिलाओं भी फंसी इंस्टंट लोन के चंगुल में:पल्लवी ने बताया कि ''यह लोग महिलाओं से भी बदतमीजी के साथ बात करते हैं. पेनल्टी का कोई नियम नहीं, बस तय तारीख पर पैसा दो नहीं तो बदतमीजी सहो. मैंने इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी और पुलिस में कंप्लेंट की. इसके बाद जो सही राशि थी वह चुकाकर इनके चुंगल से निकल पाई.'' कुछ ऐसी ही कहानी पिंकी गोयल की भी है. इन्होंने खुद आठ हजार रुपए का लोन लिया. जब खाते में पैसे आए तो उसमें से 2400 रुपए काट लिए. कहा कि यह प्रोसेसिंग और बाकी फीस है. एक महीने किस्त नहीं दी तो इनके दर्जन भर रिश्तेदारों, परिचितों को कॉल करके बता दिया कि पिंकी ने पैसे नहीं दिए. पिंकी को भी अलग-अलग नंबर से दर्जन भर कॉल किए गए, लेकिन वह हारी नहीं और साइबर पुलिस की मदद से खुद को छुटकारा दिलाया.
महिलाओं ने ऐसे पाया छुटकारा: यह दो कहानिंया हैं उन महिलाओं की जिन्होंने तीन साल पहले ही इंस्टेंट लोन देने वालों को हराया. यह दो कहानियां नहीं है, बल्कि इस लोन स्कैम से बचने की प्रेरणा भी देती हैं. इनके अलावा ऐसी 55 शिकायतों पर अभी साइबर पुलिस जांच कर रही है. साइबर के एडीजी योगेश देशमुख का साफ कहना है कि ''जिन मामलों की शिकायत हमारे पास आती है, उनके साथ होने वाली ब्लैकमेलिंग तत्काल रुक जाती है, इसके बाद कार्रवाई भी होती है.''
भूपेंद्र कैसे फंसे इनके जाल में:भूपेंद्र अपने परिवार को अतिरिक्त खुशियां देना चाहते थे. खुद के दो बेटे थे तो भाई की बेटी का कन्यादान भी करने की इच्छा थी. इसी इच्छा को पूरी करने के लिए ऑनलाइन काम करके अतिरिक्त राशि कमाने के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग शुरू की. चूंकि भूपेंद्र खुद इंश्योरेंस कंपनी में काम करते थे तो उन्हें लगा कि ऑनलाइन ट्रेडिंग का काम बढ़िया रहेगा. भूपेंद्र की भतीजी रिंकी ने बताया कि ''चाचा कहते थे कि ऑनलाइन ट्रेडिंग से अच्छी कमाई हो रही है. छोटा इंवेस्टमेंट और ठीक ठाक रिटर्न. लेकिन जब उन्होंने ऐप पर बड़ी रकम इंवेस्टमेंट की तो वह बंद हो गया.'' भूपेंद्र ने इंवेस्टमेंट के लिए कुछ लोगों से उधार लिया था. इसे चुकाने के बारे में जब सोच रहे थे तो अचानक उनके पास ऐप से लोन देने के मैसेज आने लगे. इन दूसरे ऐप से भूपेंद्र ने लोन लिया और फिर दलदल की तरह इसमें फंसते गए. इन ऐप वालों ने अपनी राशि वापिस मांगना शुरू कर दी और नहीं देने पर पहले कॉल करके धमकी दी गई. इसके बाद भी रुपए नहीं चुकाए तो मोबाइल की गैलरी में सेव फोटो को एडिट करके अश्लील बनाया और रिश्तेदाराें को भेजना शुरू कर दिया. इसके कारण भूपेंद्र डिप्रेशन में आ गए. रातीबढ़ पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. शुरूआती जांच में पता चला कि पहले भूपेंद्र से 25 हजार रुपए मांगे गए, फिर दस हजार और अंत में 1200 रुपए. रिकवरी एजेंट इन्हें कॉल करते थे.
रिश्तेदारों को भेजे अश्लील फोटो और वीडियो: भेज भूपेंद्र के ताऊ के बेटे दीपक विश्कर्मा ने बताया कि ''आरोपी जिसे भी कॉल या मैसेज करते, उसे भूपेंद्र के एडिटेड अश्लील फोटो और वीडियो भेज देते थे. रिकवरी एजेंट अलग-अलग नंबरों से कॉल करते थे. आरोपियों ने संपर्क में रहने वालों को कई बार कॉल किए. किसी से 25 हजार ताे किसी से 10 हजार रुपए मांगे.'' उन्होंने बताया कि ''एक दिन लोन ऐप के रिकवरी एजेंट ने मुझे भी कॉल किया था. सुसाइड से दो दिन पहले भूपेंद्र ने अपने एक पड़ोसी को बताया था कि उसे ब्लैकमेल किया जा रहा है. दोस्त ने बताया कि तत्काल साइबर पुलिस को मामले की जानकारी दो. इसके पहले कि भूपेंद्र साइबर पुलिस के पास जाता, उसने अपने परिवार की जीवन लीला ही समाप्त कर दी.''