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MP में हॉर्स ट्रेडिंग की आशंका से डरी कांग्रेस, बड़े नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी, BJP की निर्दलियों पर नजर

MP Congress Afraid Of Horse Trading: विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही एमपी में सियासी पारा बढ़ा हुआ है. डाक मतपत्र में छेड़छाड़ के आरोप के बाद अब कांग्रेस को हॉर्स ट्रेंडिंग का डर सता रहा है. लिहाजा कांग्रेस पहले से ही अलर्ट मोड पर है. वहीं बीजेपी भी पीछे रहने वालों में नहीं है, तो पार्टी ने अपनी नजर निर्दलीय नेताओं पर बना रखी है.

MP Congress Afraid Of Horse Trading
कांग्रेस को हॉर्स ट्रेडिंग का डर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 29, 2023, 3:24 PM IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का बयान

भोपाल।मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के पहले कांग्रेस और बीजेपी ने जादूई आंकडे़ को पाने के लिए विधायकों की जोड़-तोड़ शुरू कर दी है. हालांकि दोनों ही पार्टियां दावे कर रही है कि नतीजे बेहद स्पष्ट और उनके पक्ष में आएंगे, लेकिन यदि आंकड़ों में कोई कमी रह जाती है, तो इसके लिए पार्टियों ने अभी से होमवर्क करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने सबसे पहले अपने विधायकों को एकजुट रखने की रणनीति तैयार की है. वहीं बीजेपी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों से अभी से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है.

कांग्रेस ने सीनियर नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी:हॉर्स ट्रेडिंग की वजह से कांग्रेस 2020 में अपनी सत्ता गवां चुकी है. इसको देखते हुए कांग्रेस ने नतीजों के पहले ही अपने विधायकों को एकजुट बनाए रखने की रणनीति तैयार की है. पार्टी के विधायकों में तोड़फोड की आशंका को देखते हुए कांग्रेस अलर्ट मोड में आ गई है. कांग्रेस ने अपने सीनियर नेताओं नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अरूण यादव, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, विवेक तन्खा आदि नेताओं को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंप दी है. कांग्रेस ने इन नेताओं को उनके क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवारों से लगातार संपर्क में रहने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा जिला प्रभारियों को भी उम्मीदवारों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है.

कांग्रेस

बताया जा रहा है कि यदि चुनावी आंकड़े बहुमत के नजदीक आए तो कांग्रेस अपने विधायकों को कुछ दिनों के लिए मध्यप्रदेश के बाहर किसी दूसरे राज्य में भी भेज सकती है, ताकि विपक्षी पार्टी उनसे संपर्क न कर सके. हालांकि कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह के मुताबिक अब कांग्रेस में इस तरह की कोई संभावना नहीं है कि पार्टी के एक साथ कई विधायक पार्टी छोड़ दें, क्योंकि पार्टी में कोई एक क्षेत्रीय नेता नहीं है, जिसके साथ कई विधायक खड़े हों. 2020 में जो हुआ था, उसकी परिस्थितियां अलग थे. अब सभी पार्टी के वफादार नेता हैं. हालांकि तोड़फोड़ की संभावनाओं को लेकर पार्टी सतर्क है. वैसे कांग्रेस की इतनी ज्यादा सीटें आएंगी कि तोड़फोड़ की कोई गुंजाइश ही नहीं बचेगी.

बीजेपी निदलीय उम्मीदवारों को साधने में जुटी: उधर बीजेपी ने चुनावी नतीजों के पहले ही रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने सबसे पहले पार्टी से बगावत कर चुनाव मैदान में उतरे मजबूत उम्मीदवारों से संपर्क बनाना शुरू कर दिया है. बुरहानपुर से नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान, केदार शुक्ला, सतना से चुनाव लड़ रहे रत्नाकर चतुर्वेदी सहित दूसरे बागी नेताओं पर बीजेपी निगाह बनाए हुए हैं. यह सभी नेताओं ने टिकट न मिलने पर बीजेपी से बगावत की है. बताया जा रहा है कि यदि नंबर गेम गड़बड़ाया तो कांग्रेस विधायकों पर भी बीजेपी दांव आजमाएगी. उधर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी का कहना है कि 'बीजेपी का स्पष्ट बहुमत आ रहा है, इसलिए पार्टी को किसी से संपर्क करने की जरूरत नहीं है, लेकिन जहां तक कांग्रेस का सवाल है तो उनकी जगह न जनता के दिलों में है और नहीं उनका बहुमत आने वाला है. नतीजों के बाद उन्हें अपना मुंह छुपाना होगा, इसलिए बेहतर है कि कर्नाटक में रिसार्ट बुक करा लें.

बीजेपी प्रवक्ता का पलटवार

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2020 में हुआ था बड़ा उलटफेर: दरअलस 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें जीतने के बाद निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई थी, लेकिन कमलनाथ की सरकार 15 महीने ही चल सकी. 2020 में अचानक सिंधिया गुट के विधायक के गायब होने की सूचना मिलनी शुरू हुई. इन सभी विधायकों को बेंगलुरू के एक रिसोर्ट में रखा गया था. बाद में सिंधिया गुट के 22 विधायकों ने अपना इस्तीफा दे दिया और कमलनाथ की सरकार गिर गई.

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