भोपाल।मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों के पहले कांग्रेस और बीजेपी ने जादूई आंकडे़ को पाने के लिए विधायकों की जोड़-तोड़ शुरू कर दी है. हालांकि दोनों ही पार्टियां दावे कर रही है कि नतीजे बेहद स्पष्ट और उनके पक्ष में आएंगे, लेकिन यदि आंकड़ों में कोई कमी रह जाती है, तो इसके लिए पार्टियों ने अभी से होमवर्क करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने सबसे पहले अपने विधायकों को एकजुट रखने की रणनीति तैयार की है. वहीं बीजेपी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों से अभी से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी है.
कांग्रेस ने सीनियर नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी:हॉर्स ट्रेडिंग की वजह से कांग्रेस 2020 में अपनी सत्ता गवां चुकी है. इसको देखते हुए कांग्रेस ने नतीजों के पहले ही अपने विधायकों को एकजुट बनाए रखने की रणनीति तैयार की है. पार्टी के विधायकों में तोड़फोड की आशंका को देखते हुए कांग्रेस अलर्ट मोड में आ गई है. कांग्रेस ने अपने सीनियर नेताओं नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अरूण यादव, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, विवेक तन्खा आदि नेताओं को क्षेत्रवार जिम्मेदारी सौंप दी है. कांग्रेस ने इन नेताओं को उनके क्षेत्र के कांग्रेस उम्मीदवारों से लगातार संपर्क में रहने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा जिला प्रभारियों को भी उम्मीदवारों के संपर्क में रहने के लिए कहा गया है.
बताया जा रहा है कि यदि चुनावी आंकड़े बहुमत के नजदीक आए तो कांग्रेस अपने विधायकों को कुछ दिनों के लिए मध्यप्रदेश के बाहर किसी दूसरे राज्य में भी भेज सकती है, ताकि विपक्षी पार्टी उनसे संपर्क न कर सके. हालांकि कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह के मुताबिक अब कांग्रेस में इस तरह की कोई संभावना नहीं है कि पार्टी के एक साथ कई विधायक पार्टी छोड़ दें, क्योंकि पार्टी में कोई एक क्षेत्रीय नेता नहीं है, जिसके साथ कई विधायक खड़े हों. 2020 में जो हुआ था, उसकी परिस्थितियां अलग थे. अब सभी पार्टी के वफादार नेता हैं. हालांकि तोड़फोड़ की संभावनाओं को लेकर पार्टी सतर्क है. वैसे कांग्रेस की इतनी ज्यादा सीटें आएंगी कि तोड़फोड़ की कोई गुंजाइश ही नहीं बचेगी.