भोपाल। बीजेपी ने अपना चाल, चेहरा और चरित्र पूरी तरह से बदलना शुरू कर दिया है. जिस तरह से भाजपा टिकट बांटती थी, इस बार पैटर्न पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि इस बार भाजपा अपनी लाइन से हटकर आम आदमी पार्टी (AAP) के दिल्ली, पंजाब मॉडल को अपना रही है. सबसे बड़ा चौंकाने वाला फैसला तो उनका सूची जारी करने को लेकर रहा है, क्योंकि राजनीति में माना जाता है कि बाद में सूची जारी करो तो सामने वाली पार्टी के प्रत्याशी पता चल जाते हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने अपनी ही एक लाइन बना दी.
आचार संहिता के करीब डेढ़ महीने पहले सूची जारी की और उसमें भी ऐसे नाम शामिल किए कि हर राजनीतिक जानकार हैरान है. इसमें से 12 चेहरे एकदम नए हैं तो वहीं तीन नाम ऐसे हैं, जो चुनाव हारे, फिर भी उन्हें प्रत्याशी बनाया गया. चुनाव हारने वालों में पिछाेर प्रीतम सिंह लोधी, महेश्वर से राजकुमार मेव शामिल हैं. जबकि फ्रेश चेहरों में कुक्षी से युवा नेता जयदीप पटेल, गोटेगांव से महेश नागेश, बिछिया से डॉ. विजय आनंद मरावी, कटनी जिले की बड़वारा से धीरेंद्र सिंह, अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ से हीरा सिंह श्याम, सागर की बंडा विधानसभा से वीरेंद्र सिंह लंबरदार, चांचौड़ा विधानसभा से प्रियंका मीणा, बालाघाट की लांजी विधानसभा से राजकुमार कर्राये, छिंदवाड़ा की पांढूर्णा विधानसभा से प्रकाश उइके, जबलपुर की बरगी विधानसभा से नीरज सिंह ठाकुर, महाराजपुर विधानसभा कामाख्या प्रताप सिंह शामिल हैं. ईटीवी भारत ने इन सभी फ्रेश चेहरों का एनालिसिस किया.
प्रियंका मीणा, चाचौड़ा विधानसभा: सभी प्रत्याशियों में सबसे फ्रेश चेहरा प्रियंका मीणा का माना जा रहा है. जिनकी भाजपा में छह महीने पहले ही इंट्री हुई है. प्रियंका बीटेक इंजीनियर हैं. प्रियंका मूल रूप से राजस्थान की रहने वाली हैं. इनका बीनागंज के पेंची गांव में रहने वाले किसान के बेटे और अब इंकम टैक्स ऑफिसर प्रद्युम्न मीणा से विवाह हुआ. राजस्थान की होने के कारण प्रियंका ट्राइबल से आती हैं और प्रद्युम्न ओबीसी वर्ग से आते हैं. यह इलाका मीणा बाहुल्य भी है. करीब 55 हजार मतदाता है. हालांकि पूर्व विधायक ममता मीणा भी इसी वर्ग से हैं, लेकिन उनके प्रति नाराजगी अधिक होने से पार्टी ने मीणा समाज से ही फ्रेश चेहरे को अवसर दे दिया. प्रियंका मीणा ने जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वे हार गईं. इसके बाद भी पार्टी ने उनको चुना.
कामाख्या प्रताप सिंह, महाराजपुर विधानसभा: इस सीट से पूर्व मंत्री और विधायक रहे मानवेन्द्र सिंह भंवर राजा के बेटे कामाख्या प्रताप सिंह (टीका राजा) को प्रत्याशी घोषित किया गया है. पहले यह सीट भाजपा के पास थी, लेकिन पिछली बार युवा नेता विनोद दीक्षित ने जीतकर कांग्रेस को दिलवाई. उनकी युवाओं में जबरदस्त पैठ है. ऐसे में उनके खिलाफ फ्रेश चेहरे की जरूरत थी. मानवेंद्र सिंह का अच्छा खासा वर्चस्व है इस सीट पर. पहली बार 2008 में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजय प्राप्त की थी और इसके बाद 2013 में उन्हें भाजपा ने टिकट दी, वे फिर से जीते. बीते तीन बार से यह सीट उन्हीं के परिवार के पास है और चाैथी बार भी उनके बेटे को टिकट देकर पार्टी ने परिवार को तरजीह दी है. हालांकि इसी सीट से भाजपा के हरगोविंद गुप्ता, एक विवि के वीसी ब्रजेन्द्र सिंह गौतम व युवा नेता मणिकांत चौरसिया और मानिक चौरसिया तैयारी कर रहे थे.
नीरज सिंह, भाजपा प्रत्याशी बरगी विधानसभा: यह सीट 2018 में भाजपा ने गंवा दी थी और यहां से कांग्रेस के संजय यादव जीतकर विधायक बने. 2018 में भाजपा ने तब की मौजूदा विधायक प्रतिभा सिंह को टिकट दिया था. जब वे हार गईं तो प्रतिभा सिंह की बजाय इस बार भाजपा ने उनके बेटे नीरज सिंह को टिकट दिया. एक तरह से फैमिली टू फैमिली ही टिकट ट्रांसफर हुआ है. नीरज सिंह लगातार राजनीति में सक्रिय हैं और मां प्रतिभा सिंह का पूरा काम संभालते थे. नीरज सिंह पूर्व में मंडी का चुनाव लड़कर जीते और अध्यक्ष रह चुके हैं. वहीं वर्तमान में उनकी पत्नी श्वेता ठाकुर शहपुरा जनपद सदस्य हैं.
प्रकाश उइके, पांढुर्णा विधानसभा:काफी समय से चर्चा में आ गए थे, क्योंकि मजिस्ट्रेट की नौकरी छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की है. चूंकि पांढुर्णा विधानसभा में भाजपा के पास कोई दमदार चेहरा नहीं था. ऐसे में पहले ही लग रहा था कि मजिस्ट्रेट की नौकरी छोड़कर बीजेपी में आए प्रकाश उइके को पार्टी टिकट देगी. प्रकाश उइके ने मजिस्ट्रेट रहते हुए समाज सेवा में काम शुरू कर दिया था. अगले महीने वे बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री की कथा 3 दिनों तक पांढुर्णा विधानसभा में आदिवासियों के बीच करवाने वाले हैं. एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह वे खुद इस कथा के संयोजक बने और पिछले दिनों छिंदवाड़ा में पूर्व सीएम कमलनाथ द्वारा कराई गई बागेश्वर सरकार की कथा का काउंटर रहे हैं. गौरतलब है कि वर्तमान में पांढुर्णा विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है और यहां से निलेश उइके विधायक हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में 2 लाख 11 हजार 318 मतदाता हैं और इनमें महिला मतदाताओं की संख्या 10333 है, जबकि पुरुष मतदाता की संख्या 1 लाख 7 हजार 982 है. प्रकाश ने करीब 22 दिन पहले ही बीजेपी की सदस्यता ली है. मजिस्ट्रेट प्रकाश उइके छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना ब्लॉक के ग्राम मोही मांडवी के मूल निवासी हैं. बता दें कि देवास से सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी से उनकी करीबी है और माना जाता है कि उन्हीं के कारण वे राजनीति में आए हैं. बीजेपी इसके पहले छिंदवाड़ा नगर निगम से असिस्टेंट कमिश्नर अनंत धुर्वे को प्रत्याशी बना चुकी है.
सरला रावत, सबलगढ़ विधानसभा: भाजपा ने दूसरी बार सरला रावत पर भरोसा जताया है, जबकि वे पिछली विधानसभा चुनाव में हार गई थी. यहां तक कि वे तीसरे नंबर पर आई थीं. इसके बाद भी उन्हें टिकट दिया जाना बड़ी बात है. पिछला चुनाव भी इसलिए हारी थीं कि उनके परिवार को वर्ष 1985 से लगातार टिकट मिलता आ रहा है. उनके ससुर और दबंग नेता मेहरबान सिंह रावत को 7 बार टिकट मिला. दो बार हारे, पांच बार जीते. इसके बाद 8वीं बार सरला रावत को टिकट दिया गया. इससे क्षेत्र के लोग नाराज हो गए और उन्होंने खिलाफत की, लेकिन इस विधानसभा में रावत मीणा वोटों की संख्या करीब 50 हजार है. इससे पार्टी का अंदाजा है कि समाज और पार्टी की विचारधारा के वोट मिलकर उन्हें जीत दिला देंगे. नरेंद्र सिंह तोमर खुद इस सीट की मॉनीटरिंग कर रहे हैं.