हौसले से हारी लाचारी: हाथों से है दिव्यांग, MP के युवक ने पैरों से लिखकर पास की पटवारी की परीक्षा
देवास जिले के निवासी अमीन जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग हैं. लेकिन हाथ की जगह पैरों से लिखना सीखकर अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ दिया है. अमीन ने हार नहीं मानी और पहली बार में ही पटवारी की परीक्षा पास कर ली. उसके इस हौसले को देखकर हर कोई हैरान है.
पैरों से लिखकर पास की पटवारी की परीक्षा
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Published : Jul 3, 2023, 9:27 AM IST
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Updated : Jul 3, 2023, 10:20 AM IST
पैरों से लिखता है दिव्यांग अमीन
देवास।''मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसले से उड़ान होती है. यह कहावत देवास जिले के अमीन पर बिल्कुल फिट बैठती है. जिले के सोनकच्छ तहसील की नगर परिषद पीपलरावां में एक गरीब परिवार का बेटा अमीन बचपन से ही दोनों हाथ नहीं होने के चलते दिव्यांग है. पर उसने अपनी इस कमी को अपने हौसले के आड़े आने नहीं दिया और पैरों से लिखकर पटवारी की परीक्षा पास की.
जन्म से नहीं थे हाथ: पीपलरावां में रहने वाला आमीन पिता इकबाल खान उम्र 30 वर्ष बगैर हाथ के ही दुनिया में आया था. तब इसके माता-पिता पर क्या गुजरी होगी यह तो वही महसूस कर सकते हैं. अमीन को लेकर रिश्तेदारों ने भी तरह-तरह की बातें की. जैसे-जैसे अमीन बड़ा हुआ उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. दिव्यांगों को दुनिया भी दया भाव की दृष्टि से देखती है. ऐसा ही अमीन के साथ भी हुआ.
पैरों से करता है सारे काम: अकसर दिव्यांग लोग दिव्यांगता के चलते कुछ नहीं कर पाते. वही इसके उलट इस युवा अमीन ने कुछ बनने की बचपन से ही ठान ली थी. उसने पैरों से अपने सारे काम करना सीखा. पैरों से लिखना, अपना दिनचर्या का काम करना, कंप्यूटर चलाना जैसे सभी महत्वपूर्ण काम ये खुद करने लगा. अमीन ने कक्षा 1 से 12वीं तक पढ़ाई शासकीय स्कूल से करने के बाद इंदौर से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. अब अपनी पहली ही कोशिश में उसने पटवारी की परीक्षा अपने कोटे में जिले में प्रथम आकार पास की है. अमीन ने बताया कि ''पटवारी की परीक्षा की तैयारी के लिए वह रोजाना 12 घंटे पढ़ाई करता था. पटवारी परीक्षा में चयनित होने के बाद पूरे परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है.''
अमीन ने किया जिले का नाम रोशन: अमीन ने देवास जिले सहित पीपलरावां का नाम रोशन किया है. इसके पास होने की खबर जैसे ही नगर में लगी तो उसे बधाई देने वालों की भीड़ लग गई. अमीन ने कहा कि ''मैंने अपनी कड़ी मेहनत और मेरे माता पिता की दुआ से यह मुकाम हासिल किया है.'' उसने कहा कि ''दिव्यांगों के प्रति सामाजिक सोच को बदलने की जरूरत है. दिव्यांग लोग दिव्यांगता को अपनी ताकत बनाएं और दुनिया को बता दें कि वह भी किसी से कम नहीं हैं.''