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MP: डिंडोरी में प्रेग्नेंसी टेस्ट का मामला गरमाया, पीड़ित युवतियों ने सुनाई व्यथा, सरकार पर दागे सवाल

डिंडोरी जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत शादी रचाने की तैयारी कर रही युवतियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने का मामला गर्माता जा रहा है. मामले को दबाने के लिए अधिकारियों द्वारा दुहाई दी जा रही है कि शादी से पहले सिकलसेल एनीमिया टेस्ट कराया गया है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि यूरिन का सिकल सेल टेस्ट से क्या वास्ता है. बता दें कि एनीमिया टेस्ट के लिए ब्लड का सैंपल लेने का प्रावधान है. इस प्रकार प्रशासनिक अधिकारियों ने युवतियों के साथ शर्मनाक हरकत की.

Pregnancy test in cm Kanyadan scheme
डिंडोरी में प्रेग्नेंसी टेस्ट का मामला गरमाया

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Published : Apr 25, 2023, 2:24 PM IST

Updated : Apr 25, 2023, 4:26 PM IST

पीड़ित युवतियों ने सुनाई व्यथा

डिंडोरी।जिले में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में लड़कियों का प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने के बाद इलाके में तनाव व्याप्त है. अब युवतियां सरकार के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं. ईटीवी भारत संवाददाता ने शादी करवाने आई एक युवती से बात की.उसका कहना है कि वह बीते कुछ महीने से अपने प्रेमी के साथ रह रही थी. इस दौरान शारीरिक संबंध भी बने और यह प्रेग्नेंट हो गई, लेकिन शादी नहीं हुई. बता दें कि कानून में भी इसका जिक्र है कि जब तक महिला आपत्ति ना ले, तब तक इसे गैरकानूनी नहीं माना जाता. दो वयस्क लिव इन रिलेशन में रह सकते हैं. बताया जाता है कि इस युगल की आर्थिक परिस्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. इसलिए शादी नहीं कर पा रहे थे.

युवतियों के साथ शर्मनाक हरकत :ये कपल शादी करना चाहता था. इसी दौरान महिला सरपंच ने इन लोगों को मुख्यमंत्री विवाह योजना की जानकारी दी. इस कपल को उम्मीद थी कि सरकारी आयोजन में उनकी शादी हो जाएगी और शासन की ओर से इन्हें 50 हजार का चेक भी मिल जाएगा. ये कपल अपने परिवारों के साथ डिंडोरी के मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचा, लेकिन यहां इनके साथ जो हुआ, वह बेहद शर्मनाक है. प्रशासन ने इस लड़की का प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाया और प्रेगनेंसी पॉजिटिव आई. इसके बाद इस जोड़े का नाम मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के पात्र जोड़ों की सूची से हटा दिया गया. इस लड़की ने मीडिया से बात करते हुए बताया उसके साथ जो हुआ, वह उसका अपमान है.

6 युवतियों का सरासर अपमान :यह केवल एक जोड़े की कहानी नहीं है, बल्कि एक ही गांव के 6 जोड़ों के साथ ऐसा हुआ और उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया. गांव की महिला सरपंच कहती हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने उनका अपमान किया है, यदि उन्हें पहले से ऐसा पता होता तो वे आवेदन नहीं करवाती. बता दें कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 के तहत हर आदमी को निजता का अधिकार है और बिना उसकी सहमति के उसका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं करवाया जा सकता. यह घटना सीधे-सीधे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है.

ग्रामीणों ने सरकार पर उठाए सवाल :प्रशासन की इस अव्यवस्था से आक्रोशित पीड़ित परिजनों का कहना है कि शहरी इलाकों में तथाकथित सभ्य समाज तलाक लेता है, शादी करता है. कई बार शादी करता है और इसे गलत नहीं माना जाता. इसको एक प्रोग्रेसिव सोच के तहत देखा जाता है. शहरों में लिव इन रिलेशनशिप अब एक सामान्य संबंध माना जाता है. फिर सवाल यह खड़ा होता है कि यही प्रशासन जब ग्रामीण इलाके में पहुंचता है तो उसकी सोच दकियानूसी कैसे हो जाती है. सवाल यह भी उठता है कि क्या एक गर्भवती लड़की अपने प्रेमी से शादी नहीं कर सकती. महिला सरपंच का कहना है कि वह बेशक शिकायत करना चाहती हैं पर उन्हें पता है कि कुछ नहीं होगा. इसलिए वे अपमान का घूंट पीकर वापस लौट रही हैं.

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क्या है मामला :बता दें कि डिंडौरी में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत करीब सवा दो सौ जोड़ों का विवाह होना था. लेकिन वहां आयोजन से पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने से हड़कंप मच गया. सूत्रों के अनुसार प्रेग्नेंसी टेस्ट में 1 लड़की की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इस कारण उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया. डिंडोरी कलेक्टर विकास मिश्रा का कहना है कि लड़कियां पहले से शादीशुदा हैं. इसके बाद आयोजन में 218 जोड़ों का विवाह हुआ. इस मामले को लेकर सियासत भी गर्मा गई है. डिंडौरी से कांग्रेस विधायक ओमकार मरकाम ने शादी से पहले प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने पर घोर आपत्ति जताई है.

Last Updated : Apr 25, 2023, 4:26 PM IST

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