ग्वालियर। कोई व्यक्ति जब लंबा समय अपने घर में गुजारे को कोई खास बात नहीं होती है, लेकिन जब कोई सेलेब्स नेता और वह भी ज्योतिरादित्य सिंधिया हों, और जब वह लंबा वक्त अपने महल में बिताए और वह भी तब जब कि प्रदेश में कुछ महीनों बाद चुनाव होना है, तो चर्चाओं का बाजार तो गर्म होगा ही. प्रदेश में टिकट वितरण से लेकर मंत्रिमंडल के विस्तार जैसी बड़ी राजनीतिक घटनाएं चल रहीं हो और 'महाराज' अपने महल में ही रहें तो उनके समर्थकों में बेचैनी होना स्वाभाविक है. ग्वालियर में उनके समर्थकों से लेकर मूल भाजपा कार्यकर्ताओ तक की जुबान पर बस एक ही सवाल है कि क्या महाराज कोप भवन में है? अगर सच है तो इसकी बजह क्या है? यह सवाल उठने की एक नहीं अनेक वजह हैं.
बदले-बदले से महाराज के मिजाज: बता दें इस समय मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गरमाई हुई है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर सीएम शिवराज सिंह सिंधिया समर्थकों में बढ़ी बेचैनी कोपभवन में बैठे महाराज सिंधिया भाजपा से नाराज मंत्री सिंचौहान लगातार फिर से सत्ता में काबिज होने के लिए रात दिन रणनीति तैयार कर रहे हैं. लेकिन इस चुनाव के बीच सबकी निगाहें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर टिकी हुई हैं. इसी बीच यह देखने में आ रहा है कि उनके समर्थक महसूस कर रहे हैं कि सिंधिया अपने आपको पार्टी की तमाम राजनीतिक गतिविधियों से अलग-थलग किए हुए हैं. हालांकि सिंधिया का ग्वालियर आना जाना बना रहता है. वह महीने में तीन या चार दिन के लिए ही आते थे और इस दौरान ग्वालियर चंबल संभाग के उनके सारे कार्यक्रम मिनट 2 मिनट पूर्व निर्धारित रहते हैं. लेकिन एक महीने से स्थिति बदली बदली नजर आ रही है.
क्या दरकिनार कर दिए गए हैं सिंंधिया: अभी हाल में ही ऐसा पहली बार देखने को मिला कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एक सप्ताह के लिए ग्वालियर में रुके और इस दौरान वह तत्काल तय किए गए कार्यक्रमों में भाग लेते रहे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना यह है कि सिंधिया और उनके समर्थक बीते कुछ महीनों से महसूस कर रहे हैं कि पार्टी में उनके वैसी हैसियत नहीं बन पा रही है, जैसे कांग्रेस में हुआ करती थी. जब से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए हैं तब से आमतौर पर यह देखा जा रहा है कि भोपाल में अगर पार्टी या सत्ता का कोई बड़ा नेता आता है तो उन बैठकों में सिंधिया मुख्य तौर पर मौजूद रहते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है.
अमित शाह के कार्यक्रम में नहीं पहुंचे सिंधिया: बीते दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भोपाल पहुंचे थे और उन्होंने शिवराज सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी किया था. उस भव्य समारोह में मध्य प्रदेश के सभी बड़े नेता मौजूद थे, लेकिन उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया कार्यक्रम में नहीं बल्कि अपने जयविलास पैलेस में थे. इसके अलावा ग्वालियर में भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्य समिति की बैठक हुई थी. लेकिन उसमें भी सिंधिया सिर्फ एक सामान्य कार्यकर्ता की स्थिति में रहे और बैठक के आयोजन की पूरी कमान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उनके बेटे के हाथ रही.
सिंधिया समर्थकों में बेचैनी:इसी प्रकार जब अमित शाह ने एक निजी होटल में ग्वालियर चंबल संभाग के पार्टी के जिला अध्यक्ष और प्रमुख नेताओं से बातचीत की तो वहां पर सिंधिया मौजूद तो रहे, लेकिन उनकी कोई प्रभावी और सक्रिय भूमिका नजर नहीं आई. ऐसी अनेक घटनाक्रम है जिन्होंने सिंधिया समर्थकों को परेशान और बेचैनी में डाल रखा है. इसके अलावा अभी हाल में ही केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर आए हुए थे. जहां उन्होंने संभागीय बैठक आयोजित की,जिसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल नहीं हुए. बल्कि इलाके में ही अपने समर्थकों के कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे थे. माना जाता है इस बेचैनी की शुरुआत तब हुई जब मध्य प्रदेश में चुनाव प्रबंधन की कमान ग्वालियर चंबल संभाग के ही बीजेपी के प्रभावी नेता और मुरैना से सांसद व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हाथों सौंप दी गई. इसके बाद पूरे अंचल की बीजेपी की गतिविधियां बदल गई हैं.