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MP Chunav 2023: शबरी के बहाने आदिवासी कनेक्शन, कमलनाथ के गढ़ में सेंध

एमपी विधानसभा चुनावों के लिए सभी पार्टियों की नजर आदिवासी वोटबैंक और आदिवासी बहुल सीटों पर है. बीजेपी इसके लिए लाख जतन कर रही है. आदिवासी बहुल सीट और पीसीसी चीफ कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पर बीजेपी की नजर है. इसके लिए आदिवासियों से रामजी को जोड़ने वाली कथाओं का मंचन किया जा रहा है.

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Published : Jun 7, 2023, 10:08 PM IST

Vanvasi leela Chhindwara
वनवासी लीला का मंचन

छिंदवाड़ा। कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा के आदिवासी वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी उन्हें राम से कनेक्ट कर रही है. इसके लिए बकायदा 3 दिनों की वनवासी लीला कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जो मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग के द्वारा आयोजित किया जा रहा है. इसमें भगवान राम के आदिवासी कनेक्शन का चित्रण किया जा रहा है. बीजेपी का कहना है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने वनवासियों के बीच में ही बिताए थे और इसी से वनवासियों के काफी प्रिय हैं.

आदिवासियों से रामजी को जोड़ने वाली कथाओं का किया जा रहा मंचन: वनवासी लीला के जरिए आदिवासी को कनेक्ट करने के लिए 6 जून को कटनी के योगेश तिवारी के निर्देशन में निषादराज गुहा, 7 जून को जबलपुर के संजय गर्ग के निर्देशन में भक्तिमति शबरी और 8 जून को सागर के बृजेश कुमार रिछारिया के निर्देशन में लछमन चरित लीलाओं की प्रस्तुतियां होंगी. बीजेपी का कहना है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने वनवासियों के बीच में ही बिताए थे और इसी से वे वासियों के काफी प्रिय हैं.

वनवासी लीला का मंचन

शंकर भगवान को भी कांग्रेस ने बताया आदिवासी:चुनावी साल में हर कोई अब भगवान को जाति और समाज से जोड़कर वोट बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसा ही मामला सिवनी जिले के बरघाट के विधायक अर्जुन सिंह काकोड़िया के साथ हो रहा है. पिछले कुछ दिनों पहले उन्होंने हनुमान जी को आदिवासी बताकर समाज का हितैषी बताया था अब एक बार फिर उन्होंने भगवान शंकर को आदिवासी समाज का बताया है. उन्होंने कहा कि जब समुद्र मंथन के दौरान जहर निकला तो भगवान भोलेनाथ ने पिया और आदिवासी को भोले भाले लोग कहा जाता है. भगवान शंकर भी कैलाश में रहे और आदिवासियों के बीच उन्होंने अपना जीवन व्यतीत किया था.

वनवासी लीला का मंचन

छिंदवाड़ा की 3 विधानसभा सीटें आरक्षित:छिंदवाड़ा जिले में कुल 7 विधानसभा सीट है जिसमें से 3 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है. तो वहीं एक विधानसभा सीट हरिजन और तीन विधानसभा सीट अनारक्षित हैं. आदिवासियों के लिए आरक्षित 3 सीटों में बीजेपी अपनी पैठ बना सके और कमलनाथ को घेर सके, इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसके पहले भी अमरवाड़ा विधानसभा के आंचलकुंड पहुंचकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आदिवासियों के प्रमुख धार्मिक स्थल दादा धूनीवाले दरबार में माथा टेका था और छिंदवाड़ा से ही चुनाव का शंखनाद भी किया था. वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ और उनके बेटे छिंदवाड़ा सांसद नकुल नाथ भी लगातार आदिवासी वोट बैंक अपना पारंपरिक वोट बैंक बनाए रखने के लिए प्रयास कर रहे हैं. महीने में करीब आठ से 10 सभाएं आदिवासी अंचलों में कमलनाथ के द्वारा जिले में की जा रही है.

शबरी के बहाने आदिवासी कनेक्शन

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47 सीटों पर दोनों पार्टियों का फोकस:एमपी में 2023 के विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से निगाहें 47 सीटों पर हैं. ये सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इन सीटों के अलावा भी कई सीटों पर आदिवासी वोट बैंक का सीधा दखल है. बीजेपी आदिवासी गौरव सम्मेलन के साथ आदिवासी वर्ग के लिए सौगातों की झड़ी लगाकर इस वोट बैंक को साधने की शुरुआत काफी पहले कर चुकी है. बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस की सरकार में आदिवासियों पर 21 हजार करोड़ रुपए खर्च होते थे. बीजेपी की सरकार में 78 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है.

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