छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश सरकार ने 2019 में विश्व भर में अनोखी दुनिया के नाम से अपनी पहचान कायम करने वाले पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया था. इस स्थान पर पक्षी, कीट, पतंगे, वनस्पति और वन्य प्राणियों की विविध प्रजातियों का संरक्षण करने की योजना है. मध्य प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को पातालकोट में दुर्लभ जड़ी बूटियां का भंडार मिला है. इसके आसपास रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग इनका उपयोग भी बखूबी जानते हैं. सरकार ने इन्हीं की निगरानी में उनकी विरासत को सहेजने का फैसला लिया था.
दुर्लभ वनस्पति और प्राणियों का अनूठा भूभाग:पातालकोट के 43 05.25 हेक्टर और तामिया वन परिक्षेत्र की 4062.24 हेक्टेयर क्षेत्र को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है. 1700 फीट गहरी घाटी की तली में स्थित इस क्षेत्र के रिसर्च पर इसकी अनुमानित आयु 6 मिलियन वर्ष पाई गई है. क्षेत्र में ब्रायोफाइट्स एवं टेरिडोफाइट्स सहित दुर्लभ वनस्पति और प्राणियों का अनूठा भूभाग भी पाया गया था. यहां भारिया समुदाय के लोग रहते हैं, जिन्हें यहां पर पैदा होने वाली जड़ी बूटियां का पारंपरिक ज्ञान है. यहां के रहने वाले आदिवासियों का कहना है कि ''सरकार घोषणाएं तो बहुत करती हैं लेकिन इसका लाभ उन तक नहीं पहुंच पाता है. इसलिए उनके जीवन में कोई सुधार नहीं हुआ है.''
रोजगार के लिए पलायन कर रहे युवा:पातालकोट के युवाओं का कहना है कि ''पातालकोट के नाम पर राजनीतिक दल से लेकर प्रशासन तक विकास के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन यहां रोजगार का सबसे बड़ा संकट है. इसलिए यहां के युवाओं को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है. अधिकतर युवा पड़ोसी जिला नागपुर या फिर भोपाल के मंडीदीप में मजदूरी करने पहुंचते हैं. पातालकोट इलाके के अधिकतर आदिवासी वनोपज पर अपना जीवन यापन करते हैं. सरकार ने वन उपज को सरकारी दाम पर खरीदने के लिए कई तरह की स्कीम बनाई. लेकिन लोगों का कहना है कि सरकार खरीदी नहीं करती है इसलिए मजबूरन उन्हें साहूकारों को बेशकीमती अचार की गुठलियाँ, महुआ के फूल, आंवला जैसे कई वनोपज सस्ते दामों पर बेचना पड़ता है.