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MP Poor Health System: शिव 'राज' में नहीं मिली एंबुलेंस, बीमार बेटे को ठेले पर लादकर अस्पताल पहुंची बुजुर्ग मां, लेकिन जान नहीं बचा सकी - छतरपुर इलाज के अभाव में मौत

मध्य प्रदेश के छतरपुर के बक्सवाहा में मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां एंबुलेंस नहीं मिलने पर मां अपने बीमार बेटे को हाथ ठेले पर लादकर पैदल ही अस्पताल पहुंची. लेकिन जब अस्पताल पहुंची तब तक उसके बेटे की मौत हो गई थी.

Chhatarpur ambulance not available
छतरपुर ठेले से बेटे को अस्पताल पहुंची मां

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Published : Jul 17, 2023, 9:06 PM IST

Updated : Jul 17, 2023, 9:56 PM IST

बीमार बेटे को ठेले पर लादकर अस्पताल पहुंची मां

छतरपुर।कहते हैं कि ईश्वर हर बच्चे के साथ नहीं रह सकता, तभी उसने मां बनाई है. मां परिवार की धुरी होती है. मां एक बच्चे के लिए सब कुछ होती है. मां अपने बच्चे को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती है. बच्चा तकलीफ में हो तो मां भी चेन से नहीं बैठती. मां के प्यार की कुछ ऐसी ही तस्वीर नजर आई है छतरपुर के बक्सवाहा से. जब बीमार बेटे के इलाज के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो बेटे को हाथ ठेले पर लाद कर मां पैदल ही अस्पताल पहुंच गई. लेकिन अपने बेटे को बचा नहीं सकी. इस घटना ने एक बार फिर शिवराज सरकार की स्वास्थय सेवाओं की पोल खोलकर रख दी.

इलाज के अभाव में बेटे की मौत: बड़े-बड़े वादे करने वाली शिवराज सरकार की सारी योजनाएं तब धरी रह गई जब बक्सवाहा निवासी अपने परिवार के सदस्य को इलाज करवाने के लिए हाथ ठेला से जाते देखा गया. परिजनों का आरोप है कि समय पर एंबुलेंस और इलाज मिल जाता तो उसकी मौत नहीं होती, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंचने से बेटे की जान चली गई. जानकारी के अनुसार, मामला बक्सवाहा क्षेत्र के वार्ड नंबर 14 का है. जहां जशोदा बंसल अपने बेटे महेंद्र बंसल का इलाज कराने के लिए हाथ ठेले से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची.

डॉक्टर ने अस्पताल से भगाया: जशोदा बंसल ने बताया कि ''हमारे बेटे की पीठ में एक बड़ा ट्यूमर है. जिसका इलाज जबलपुर मेडिकल कॉलेज में होना था. कुछ दिन पहले जब हम बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो इलाज के दौरान दमोह रेफर कर दिया गया. दमोह में इलाज ना होने के कारण हमें जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड भी लगाया गया लेकिन अस्पताल के डॉक्टर ने बिना इलाज किए ही हॉस्पिटल से बाहर कर दिया और कहा कि आप के मरीज का ऑपरेशन नहीं हो सकता. अगर आपको ऑपरेशन करवाना है तो आप पैसों की व्यवस्था करिए. हम निर्धन परिवार के लोग कहां जाएं और अपनी व्यथा किसको सुनाएं.''

ठेले पर बेटे को लादकर अस्पताल पहुंची मां: जसोदा बंसल ने कहा है कि 'बेटे महेंद्र बंसल का ट्यूमर सोमवार सुबह अचानक टूट गया. जिस कारण से उसको घबराहट के साथ-साथ काफी दर्द महसूस होने लगा. जिसके बाद हमने कई बार 108 को कॉल किया लेकिन फोन नहीं लगा.'' पैसे के अभाव में मां बेटे की तकलीफ देखकर खुद ही मोहल्ले में रखे हाथ ठेले को उठाया और अपने बेटे को लिटाकर पैदल अस्पताल की ओर चल पड़ी. 1 किलोमीटर का सफर तय कर अस्पताल पहुंची जहां बेटे ने दम तोड़ दिया.

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आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद नहीं मिला इलाज:सोमवार सुबह जब इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मरीज को ले जाया गया. जहां डॉक्टर द्वारा उसका इलाज किया गया. ट्यूमर टूट जाने के कारण उसका तुरंत ऑपरेशन होना था, लेकिन सोचने वाली बात है कि जब मरीज को बक्सवाहा से जबलपुर रेफर किया गया था, आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद भी जबलपुर मेडिकल में मरीज को इलाज नहीं दिया गया. एक तरफ प्रदेश की सरकार गरीब परिवार के इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड बना रही है, लेकिन दूसरी तरफ डॉक्टर अपनी मनमानी कर रहे हैं. अगर आयुष्मान कार्ड का उपयोग सही समय पर होता, मरीज को इलाज मिला जाता तो आज उसकी जान नहीं जाती.

इनका कहना है
बीएमओ ललित उपाध्याय ने कहा कि ''मरीज के परिवार के द्वारा एंबुलेंस की मांग नहीं की गई थी. लेकिन जैसे ही हमें जानकारी लगी की मरीज की मौत हो गई है तो वैसे ही शव वाहन की व्यवस्था कराई गई. शव वाहन आने से पहले ही परिजन शव को हाथ ठेले से ले गए.''

Last Updated : Jul 17, 2023, 9:56 PM IST

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