ग्वालियर/भिंड। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता भी लागू हो गई है. इसी बीच अब चंबल की शान कहीं जाने वाली लाइसेंसी बंदूक भी थानों में कैद होने लगी हैं. ग्वालियर चंबल में स्टेटस सिंबल के रूप में पहचाने जाने वाली लाइसेंसी बंदूकों को लेकर लोग थाने में जमा करने के लिए पहुंच रहे हैं. यही कारण है कि अब थानों में लंबी-लंबी कटारे लगी हुई हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में पूरे मध्य प्रदेश से अधिक शस्त्र लाइसेंसी बंदूक हैं और यहां के लोग इस लाइसेंसी बंदूक को स्टेटस सिंबल के रूप में मानते हैं. लेकिन अब यह सभी लाइसेंसी बंदूक धीरे-धीरे थानों में जमा हो रही हैं. मतलब आने वाले शादी समारोह या किसी अन्य फंक्शन में लोगों के कंधों पर बंदूके दिखाई नहीं देंगी.
लाइसेंसी हथियार थानों में जमा करने के निर्देश:दरअसल मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव नजदीक है ऐसे में सभी लाइसेंसी हथियारों को थानों में जमा करने के निर्देश जारी हो चुके हैं. यही कारण है की ग्वालियर चंबल अंचल में लोग अपने घर से लाइसेंसी बंदूक को लेकर थाने पहुंच रहे हैं और उसे जमा कर रही है. अंचल के थानों में लोगों की लंबी-लंबी कतारों को देखकर ऐसे लग रहा है कि यहां कोई राशन बंट रहा है. लेकिन असल में इन थानों में लाइसेंसी बंदूके जमा की जा रही हैं. ताकि आगामी चुनाव में कोई हिंसा या उपद्रव जैसी घटनाएं न हो सके. ग्वालियर चंबल अंचल में लगभग एक लाख से अधिक शस्त्र लाइसेंसी बंदूक हैं जो कि पूरे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक हैं. अंचल में लगभग सभी घरों में लाइसेंसी बंदूकें मौजूद हैं और यही कारण है कि यह बंदूकें कभी-कभी मौत का कारण भी बन जाती है.
प्रदेश के चंबल में शस्त्र लाइसेंस सबसे अधिक:ग्वालियर चंबल अंचल के जिलों में हमेशा स्वस्थ लाइसेंस की मांग सबसे अधिक होती है और चुनाव के वक्त यह डिमांड काफी बढ़ जाती है. चुनाव में यहां के लोग बिजली, पानी, सड़क की बजाय माननीय के यहां शस्त्र लाइसेंस की अनुशंसा के लिए चक्कर काटते रहते हैं. माननीय भी वोट बैंक के चक्कर में शस्त्र लाइसेंस बनवाने का वादा भी करते हैं. यही कारण है कि इस इलाके में दिनों दिन शस्त्र लाइसेंस की संख्या बढ़ती जा रही है. अंचल के चार जिलों में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस की संख्या है, जिसमें भिंड में लगभग 23,500 से अधिक शस्त्र लाइसेंस हैं, तो वहीं, मुरैना में 37,000 से अधिक शस्त्र लाइसेंस मौजूद हैं. इसके अलावा ग्वालियर में 34,000 और दतिया जिले में 27,000 शस्त्र लाइसेंस हैं. यहां पर हर वक्त शस्त्र लाइसेंस की डिमांड बनी रहती है और लोग माननीय या अधिकारियों से सांठगांठ करके शस्त्र लाइसेंस बनवाने की जुगाड़ में घूमते फिरते हैं. यही कारण है कि ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंस की संख्या पूरे प्रदेश में सबसे अधिक है.
चंबल अंचल में शान मानी जाती है बंदूकें: ग्वालियर चंबल अंचल में लाइसेंसी बंदूके को स्टेटस सिंबल के रूप में उपयोग करते हैं. आंचल में यहां के लोग शादी समारोह या किसी फंक्शन में शामिल होने के लिए जाते हैं तो वह अपनी कंधे पर लाइसेंसी बंदूक को जरूर लटका कर लाते हैं. कहा जाता है की चंबल में लाइसेंसी बंदूक लोगों की शान मानी जाती है. लेकिन अब यह बंदूके मौत का कारण भी बनती जा रही हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में मौतों का आंकड़ा कहता है की सबसे अधिक खून खराब और हत्याएं इसी लाइसेंस की बंदूक के कारण हो रही है. क्योंकि जब कभी आपस में झगड़ा होता है तो लोग अपने घर में रखी लाइसेंसी बंदूक को निकालकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरू करते थे, जिसमें कई जान चली जाती है. इसके अलावा यहां पर आपसी दुश्मनी काफी अधिक है और लोग इस कारण शस्त्र लाइसेंस रखना काफी आवश्यक समझते हैं.
अपराध की जड़ भी लाइसेंस बंदूकें: मध्य प्रदेश में जब चुनाव आते हैं तो इन लाइसेंसी बंदूकों का उपयोग लोगों को डराने धमकाने का भी होता है. क्योंकि चुनावों के समय ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे अधिक खून खराब होता है. यही कारण है कि अब आगामी समय में विधानसभा का चुनाव है, ऐसे में इन सभी लाइसेंसी बंदूकों को थानों में जमा किया जा रहा है. इसको लेकर ग्वालियर एसएसपी राजेश सिंह चंदेल का कहना है कि ''सभी थानों को शस्त्र लायसेंस बंदूकों को जमा कराने के निर्देश दे दिए हैं. लोग बंदूकों को जमा कराने के लिए पहुंच रहे हैं और जो जमा नहीं कराएंगे उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी.''