दिल्ली

delhi

By

Published : Aug 10, 2023, 12:45 PM IST

Updated : Aug 10, 2023, 1:10 PM IST

ETV Bharat / bharat

Bhopal Zoo: भोपाल के वन विहार को जेब्रा-जिराफ और बायसन का इंतजार, आखिर क्यों एमपी को वन्य पशु देने से घबराते हैं दूसरे राज्य?

क्या इसे नामीबिया से आए चीतों की मौत का साइडइफेक्ट मानें? हालत ये है कि एमपी को दूसरे राज्य भी जंगली जानवर देने के लिए तैयार नहीं हैं. गोवा को एमपी का भालू पसंद नहीं आया तो उन्होंने अपना जंगली भैसा देने से इंकार कर दिया. हालात ये है कि अब मध्यप्रदेश सरकार मजबूरन विदेशों से वन्य पशुओं को लाने की कोशिश में जुटा है.

Wild animals are not giving state to MP
एमपी को राज्य नहीं दे रहे वन्य प्राणी

भोपाल वन विहार की फील्ड डायरेक्टर पद्मप्रिया बालकृष्णन

भोपाल।बाघों और चीतों की मौत के बादमध्य प्रदेश को दूसरे राज्य उनके यहां के वन्य प्राणी देने में आनाकानी कर रहे हैं. भोपाल वन विहार ने गोवा से बायसन मांगा और बदले में यहां के भालू देने को राजी हुए. लेकिन गोवा ने ये कहते हुए बायसन नहीं दिए कि आपके यहां के भालू हमारे काम के नही हैं. यहां के वन विहार में 20 भालू हैं. अब महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से बायसन के लिए संपर्क किया जा रहा है.

एमपी को कौन से राज्य वन्य प्राणी नहीं दे रहे:वन मंत्री विजय शाह ने अफ्रीका से चीतों को लाने के बाद कहा था कि ''अब हमारे यहां अब जल्द ही जेब्रा और जिराफ देखने को मिलेंगे.'' लेकिन जिन राज्यों में जेब्रा और जिराफ हैं उन्होंने भी अपने यहां के प्राणी देने से मध्य प्रदेश को मना कर दिया. एमपी को सेंट्रल जू अथॉरिटी से भी मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन इसके बावजूद वे जिराफ और जेब्रा नहीं दे रहे. वन विहार ने पुणे, कोलकाता, मैसूर को 6 महीने पहले पत्र लिख था. लेकिन अभी तक इन राज्यों की तरफ से कोई रिस्पोंस नहीं आया है. प्रबंधन 11 चिड़िया घरों से संपर्क कर चुका है, लेकिन अभी भी जेब्रा, जिराफ का इंतजार हो रहा है. मैसूर जू में 30 से ज्यादा जिराफ हैं.

भोपाल का वन विहार

गोवा ने किया भालू लेने से इंकार: भोपाल वन विहार ने गोवा से बायसन मांगा और बदले में गोवा से एमपी के भालू लेने को कहा, लेकिन भालू की उम्र ज्यादा है. जिस वजह से गोवा सरकार ने भालू लेने से मना कर दिया. वहीं, अन्य भालुओं की उम्र कम है लेकिन इन भालुओं को मदारियों द्वारा बांझ बना दिया गया है, इसके कारण ये भालू एक्सचेंज नहीं किए जा सकते.

केंद्र सरकार को भेजा प्रपोजल:भोपाल वन विहार की फील्ड डायरेक्टर पद्मप्रिया बालकृष्णन का कहना है कि ''हमने दूसरे राज्यों से बाइसन, जेब्रा और जिराफ मांगे. इसके साथ भेड़िया, जंगली कुत्ते, लकड़बग्घा भी हमारे प्लान में हैं, जो की हमे दूसरे राज्यों से लाना है. अब राज्य ने केंद्र से बजट मांगा है जिससे वे जेब्रा और जिराफ सेंट्रल एशिया के जू और सफारी से ला सकें. इनका खर्च 3 करोड़ के आसपास है, इसका प्रपोजल हमने केंद्र को भेज रखा है.''

जेब्रा जिराफ लाने के लिए मांगा गया बजट:हालांकि सबसे ज्यादा जिराफ और जेब्रा अफ्रीकन देशों में पाए जाते हैं. लेकिन वहां पर फूट एंड माउथ डिजीज का प्रकोप है, जिसके चलते केंद्र सरकार ने अफ्रीकन देशों से वन्य प्राणियों को लाए जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है. भोपाल का वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के साथ साथ जू कैटेगरी में भी शामिल है. सेंट्रल जू अथॉरिटी की गाइडलाइन के मुताबिक, जू में रहने वाले प्राणियों को वन विहार लाया जा सकता है, लेकिन खुले जंगल से वन्य प्राणियों को नहीं लाया जा सकता. इसलिए जहां से भी वन्य प्राणी को लाया जाएगा वे जू वाले ही होंगे.

Also Read:

कौन-कौन से जानवर है वन विहार में:भोपाल के वन विहार में बाघ, सिंह, तेंदुआ, भालू, हायना, सियार, गौर, बारासिंगा, सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, जंगली सुअर, सेही, खरगोश, मगर, घडियाल, कछुआ और कई प्रकार के सर्प पाए जाते हैं.

वन विहार में काफी संख्या में वन्यप्राणी:शाकाहारी वन्यप्राणी पूरे वन विहार में खुले रूप में विचरण करते हैं. इनमें सांभर, चीतल, नीलगाय, कृष्णमृग, लंगूर, जंगली सुअर, सेही, खरगोश आदि हैं. मांसाहारी वन्यप्राणियों को बडे़-बडे़ बाड़ों में रखा गया है.

वन विहार में पेड़ों की खास किसमें भी हैं:भोपालवन विहार का वनक्षेत्र शुष्क पर्णपाती विरले जंगल के वर्ग में आता है. यहां पेडों की जो खास प्रजातियां पाई जाती हैं. वे हैं बेल, इमली, बबूल, अमलतास, रेओझा, दूधी, लेंडिया, साजा, आंवला, तेंदू एवं सीताफल. यहां कई किस्म की घास भी पाई जाती है.

Last Updated : Aug 10, 2023, 1:10 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details