दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

आजादी के 75 साल बाद इस गांव में पहुंचेगी सड़क! भिंड के नवलपुर गांव के लोगों में उत्साह

आज़ादी के बाद देश कितना आगे बढ़ चुका है. भारत का विकास अंतरिक्ष की छलांग लगा चुका है, लेकिन आजाद भारत में चंबल का एक गांव ऐसा भी है, जहां आजादी के पहले से ही आज तक रोड सपना (Road after 75 years of independence) बनी हुई है. बीमारी हो या ब्याह- शादी. गांव में आने जाने के लिए रास्ता तक नहीं है. लोग खेतों की मेड़ और बीहड़ों के बीच से गुज़र कर मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं. ये हालात हैं भिंड जिले के ग्राम नवलपुरा के. (MP Bhind Navalpur village) अब इस गांव में सड़क का भूमिपूजन हो गया है. नवलपुरा से मोतीपुरा तक क़रीब 1.8 किलोमीटर की रोड स्वीकृत कराई, जो क़रीब 109.41 लाख की लागत से बनकर तैयार होगी.

Road after 75 years of independence
75 साल लगे सड़क मिलने में

By

Published : Nov 21, 2022, 8:59 PM IST

भिंड।जब भी चम्बल का नाम आता है तो ज़हन में दौड़ते घोड़ों पर बैठे डकैत, बड़े- बड़े बीहड़, पुलिस की पुरानी जीप और बंदूकों के फ़ायर होने जैसी तस्वीरें आने लगती हैं. आजादी के 75 वर्षों बाद ये तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. बीहड़ लगभग ख़त्म होने की कगार पर हैं. हर तरफ़ विकास की गंगा बह रही है. नये भवन, चौड़ी सड़कें और हाईवे बन गए हैं. सरकारी अस्पताल भी अच्छी सुविधाओं के साथ चिकित्सा उपलब्ध करा रहे हैं. बावजूद इसके भिंड ज़िले का एक छोटा सा गांव आज भी इन व्यवस्थाओं और सुविधाओं से अछूता है. करीब 300 लोगों से ज़्यादा की आबादी वाला गांव नवलपुरा अब भी अपनी हर छोटी पूरी ज़रूरतों के लिए जद्दोजहद कर रहा है. जिसकी बड़ी वजह है कि इस गांव में आज़ादी के पहले से ही सड़क नहीं है. हालांकि अब जल्द ही सड़क बनने जा रही तो लोगों को विकास की आशा की एक किरण नजर आ रही है.

75 साल लगे सड़क मिलने में

पुरखों ने भी नहीं देखी गांव में सड़क :आज़ादी के इतने सालों बाद सड़क का भूमिपूजन हुआ है. कुछ दिनों में काम शुरू होगा. इस रोड के बनाने से लोगों को काफ़ी सहूलियत होगी. जब इस बारे में ग्रामवासियों से बात की गई स्वदेश सिंह ने बताया कि उनके पुरखों ने भी यहां सड़क नहीं देखी. अभी तक गांव का हर व्यक्ति परेशान रहा है. मुख्य मार्ग तक जाने के लिए रास्ता नहीं है. ग्रामीण बीहड़ और खेत की मेड़ से होते हुए आवागमन करते हैं. स्वदेश ने बताया कि रोड नहीं होने से गांव में कोई भी रिश्तेदार नहीं आते. चार पहिया वाहन नहीं आ पाता है. इसलिए लोग बड़ी गाड़ियां नहीं ख़रीद पाते. जिनके पास बाइक हैं, वे खेतों की मेड़ पर से निकलते हैं.

खाट पर जाते हैं मरीज :गांव में सबसे ज़्यादा परेशानी तब होती है जब कोई बीमार हो जाता है. या किसी गर्भवती को डिलीवरी के लिए अस्पताल ले जाना हो तो एम्बुलेंस नहीं आ पाती. महिला को खाट पर मुख्य मार्ग तक ले जाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि बरसात और सर्दियों में कीचड़ की वजह से निकलना मुश्किल हो जाता है. जिसकी वजह से शादियां भी इस गांव में सिर्फ़ गर्मियों में ही होती हैं. कोई रिश्तेदार भी यहां नहीं आ पाते हैं. गांव के सरपंच राजवती के बेटे कृपाशंकर ने बताया कि कई बार शिकायत करने के बाद भी इस और किसी का ध्यान नहीं था. गांव में स्थिति यह थी कि अब तक यहां शमशान नहीं बना है. ऐसे में किसी की मृत्यु हो तो खेतों में जलाना पड़ता था या खरीका गांव में बने शमशान तक ले जाना पड़ता था. अब जाकर यह सड़क स्वीकृत हुई है तो जल्द ही गांव में शमशान घाट भी बनवाएंगे.

दो किमी की रोड बनने में लग गए 75 साल :ग्राम पंचायत खरिका के गांव नवलपुरा में पहली बार सड़क का निर्माण होगा. गांव सीधा मुख्य मार्ग से जुड़ेगा, जिसके लिये भिंड विधायक का प्रयास काम आया है. उन्हें 2018 में इस समस्या का पता चला था. इसके बाद नवलपुरा से मोतीपुरा तक क़रीब 1.8 किलोमीटर की रोड स्वीकृत कराई, जो क़रीब 109.41 लाख की लागत से बनकर तैयार होगी. बीती 18 नवम्बर को इसका भूमिपूजन हुआ तो लोगों ने राहत की सांस ली है. जल्द ही इसका निर्माण कार्य शुरू होगा और लोगों के वर्षों का सपन हकीकत का रूप लेने लगेगा .

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देश भर में कई परियोजनाओं को दी मंजूरी

पहली बार बनकर तैयार होगी सड़क : भिंड विधायक संजीव सिंह कुशवाह ने बताया कि नवलपुरा के लोग अक्सर मिलने आते थे. उन्होंने बताया भी कि आज़ादी से पहले से गांव में अब तक सड़क नहीं है. सड़क के अभाव में लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से अछूते थे. गांव का विकास नहीं हो पा रहा था. ऐसे में ऐसे में गांव के लोगों की समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री से मिलकर प्रयास किया और यह रोड स्वीकृत कराई. अब यह रोड जल्द बनकर तैयार होगी.

ABOUT THE AUTHOR

...view details