भोपाल। राजधानी भोपाल के एटीएस (Anti Terrorism Squad) थाने में 4 फरवरी को पीएफआई (Popular Front of India) से जुड़े 4 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. इन 4 को मिलाकर अब तक एमपी में 22 पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है. इसके अलावा 100 से अधिक पीएफआई मेंबर एटीएस के रडार पर हैं. इन 4 में से 2 इंदौर के, 1 भोपाल से और 1 महाराष्ट्र के औरंगाबाद से गिरफ्तार किया गया था. एटीएस की पड़ताल में सामने आए बिंदुओं से पता चला कि पीएफआई की पूरी टीम अब नार्थ के राज्यों में विस्तार के लिए एमपी में बैस कैंप बना रही है.
कई राज्यों में नेटवर्क: एमपी के रास्ते राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड समेत दूसरे तक अपना नेटवर्क स्थापित कर रही है. इसके लिए इन लोगों ने भोपाल के साथ इंदौर, उज्जैन, खरगाेन, बड़ावनी, खंडवा, बुरहानपुर को टारगेट किया है. यह सभी जिले महाराष्ट्र बार्डर से सटे हैं. इनके अलावा सिवनी, छिंदवाड़ा और बालाघाट भी पीएफआई के रडार पर हैं. एटीएस के जो अधिकारी इस जांच में शामिल हैं, उन्होंने इन्हीं जिलों में अपना फोकस बढ़ा दिया है. गौरतलब है कि यही वे जिले हैं, जहां सिमी ग्रुप की गतिविधियां भी संचालित होती थी.
कोवर्ट और ओवर्ट पैटर्न पर नेटवर्क का विस्तार:एटीएस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक जिन 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनसे पता चला है कि यह लोग कोवर्ट और ओवर्ट पैटर्न पर काम कर रहे हैं. कोवर्ट यानी छिपकर और बेहद सावधानी के साथ बैठकें करते हैं. इसकी भनक किसी को नहीं लगती है. बैठकें आयोजित करने के लिए यह यह कोड इजाद करते हैं और इसी में सब कुछ छिपा होता है. इनका दूसरा तरीका ओवर्ट यानी खुलकर काम करना है यह लोग संकट की घड़ी में, जैसे बाढ़, आपदा, फसल खराब होने और जहां बेरोजगारी अधिक है वहां लोगों के बीच समाजसेवी बनकर काम करते हैं. इस दौरान यह उनके दर्द को साझा करके बातचीत से उन्हें अपने फेवर में लाते हैं और मिशन से जोड़ते हैं. इनके नेटवर्क के लिए बेरोजगार इंजीनियर, वकील, एमबीएस किए युवा सबसे अधिक मुफीद माने जाते हैं.
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ऐसे करते हैं काम:हाल ही में जिन पीएफआई आरोपियों को पकड़ा गया है, उनमें से गुलाम रसूल इंदौर जिला कमेटी का मेंबर है और भोपाल से इसे गिरफ्तार किया गया था. यह गरीब बस्तियों में जाकर तालीबी उपदेश देता था दूसरा आरोपी गुलाब नबी पूरा फाइनेंसियल मैनेजमेंट देखता था. यह भड़काऊ भाषण भी देता था. तीसरा आरोपी परवेज खान औरंगाबाद डिस्ट्रिक्ट प्रेसीडेंट था और नासिर नदपी की मदद से पीएफआई के संपर्क में आया था.
पूणे से इसने पीई (physical endurance) का कोर्स किया और फिर इसे पीई का इंचार्ज बना दिया गया. यह पीई इंस्ट्रक्टक का कोर्स कराने के लिए रीजनल पीई इंचार्ज हैदर हबीब निवासी कर्नाटक के साथ एमपी में कई बार आया है. जिस वासिद खान को भोपाल से गिरफ्तार किया, वह मूल रुप से श्योपुर का रहने वाला है. यह पीएफआई की लीगल विंग को देखता था. नेशनल कांफीडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइटस आर्गनाइजेशन (NCHRO) में शामिल हुआ और अभी इस ग्रुप का प्रदेश महासचिव था.
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