जबलपुर।अजब एमपी में गजब शिक्षक हैं, जबलपुर के भीटा माध्यमिक स्कूल में तैनात एक शिक्षक मुकेश दुबे बीते 21 सालों से नहीं स्कूल नहीं पहुंचा. वह केवल 15 अगस्त 26 जनवरी को झंडा फहराने आता है. जबकि सैलरी और सम्मान उसको उतना ही मिलता है. बता दें मुकेश दुबे 2 दिन पहले शराब पीकर जबलपुर के धनवंतरी नगर इलाके में हवाई फायर करने की वजह से चर्चा में भी आया था. स्थानीय लोगों ने जब पुलिस को बुलाया तो मुकेश दुबे ने खुद को बीजेपी का विधायक और अजय विश्नोई का छोटा भाई बताया था. बीजेपी के नेताओं से संबंध की वजह से नौकरी, सरपंची और ठेकेदारी वह एक साथ करता है. मुकेश दुबे का दहशत इतनी है, आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बेहाल हैं स्कूल के हाल:भीटा गांव जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है. जबलपुर-दमोह रोड पर सड़क से लगभग 4 किलोमीटर भीतर प्रधानमंत्री रोड पर यह गांव है. गांव की आबादी लगभग 200 है. भीटा गांव में 2002 में एक स्कूल शुरू किया गया था. स्कूल में आसपास के कुछ दूसरे छोटे गांव के बच्चे पढ़ने आते थे. 22 साल बीत जाने पर स्कूल में अब 3 कमरे हैं. जिनमें से 2 कमरों में एक में माध्यमिक और एक में प्राथमिक शाला लगती है. स्कूल में कुल मिलाकर 17 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं. इन्हें पढ़ाने के लिए 2 स्थाई शिक्षक हैं और 2 अतिथि शिक्षक हैं. स्कूल में मात्र 2 कमरे हैं. तीसरा कमरा स्टोर रूम बना हुआ है, क्योंकि 17 छात्रों में से हमें मौके पर मात्र 7 छात्र-छात्राएं ही मिले और एक महिला स्थाई शिक्षक और एक महिला संविदा शिक्षक सातवीं कक्षा के बच्चों को दूसरी क्लास की कविता पढ़ाते हुए नजर आई. स्कूल के बाहर मैदान में भैंस बंधी हुई थी.
बंदूकबाज शिक्षक मुकेश दुबे:स्कूल की एक शिक्षिका ने जानकारी दी कि "मुकेश दुबे इस स्कूल में 2002 से ही पदस्थ है. हमने जब यह जानना चाहा कि क्या वे रोज स्कूल आते हैं तो वह कुछ भी स्पष्ट बताने को तैयार नहीं हुई. स्कूल का एक बच्चा शहर में एक निजी स्कूल में पढ़ने जाता है. उससे जानकारी ली तो उसने बताया कि मुकेश दुबे केवल 26 जनवरी और 15 अगस्त को ही स्कूल आता है. वहीं कुछ ग्रामीणों ने इकट्ठा होकर ईटीवी भारत को जानकारी दी कि मुकेश दुबे कभी स्कूल आता ही नहीं, लेकिन उस गांव में मुकेश दुबे की ऐसी दहशत है कि कोई भी उसके खिलाफ मीडिया में बोलने को तैयार नहीं है. एक शख्स ने बताया कि उन्होंने मुकेश दुबे के खिलाफ मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत की थी, लेकिन कोई जांच नहीं हुई और शिकायत बंद कर दी गई.