MP Assembly Elections 2023: एमपी के अधिकारियों में बढ़ी चुनावी लालसा, राजनीति के लिए छोड़ रहे पद
चुनावी साल के रंग में सिर्फ नेता ही नहीं रंगे बल्कि मध्यप्रदेश के अधिकारियों पर चुनावी रंग चढ़ा है. तभी तो सीनियर आईपीएस अधिकारी पुरूषोत्तम शर्मा के बाद डिप्टी कलेक्टर निंशा बांगरे ने भी सरकार को अपना इस्तीफा भेजा. ऐसे कई और अधिकारी हैं, जो चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.
अधिकारियों को चुनावी चस्का
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Published : Jun 23, 2023, 8:27 PM IST
भोपाल।लगता है मध्यप्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों का नौकरी से ज्यादा मन राजनीति में लग रहा है. यही वजह है कि एक के बाद एक मध्यप्रदेश के अधिकारी राजनीति में अपनी एंट्री की कोशिशों में जुटे हैं. ताजा मामला दो अधिकारियों का है, जिन्होंने नौकरी छोड़ने के लिए सरकार को नोटिस भेजा. हालांकि एक अधिकारी का आवेदन सरकार निरस्त कर उनके सपनों पर पानी फेर चुकी है. जबकि दूसरे अधिकारी का आवेदन फिलहाल शासन के पास पहुंचा ही है.
आईएएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा
यह अधिकारी कर रहे तैयारी:मीडिया की सुर्खियों में रहने वाली डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने शासन को नौकरी छोड़ने का आवेदन दे दिया है. वजह धार्मिक आस्था का आहत होना बताया, लेकिन असल वजह राजनीतिक प्रेम बताया जा रहा है. वे बैतूल के आमला से चुनावी तैयारी कर रही हैं. एक माह पहले उन्होंने अपना राजनीतिक प्रेम सोशल मीडिया पर जगजाहिर किया. इसके बाद उन्होंने 6 माह की मैटरनिटी लीव ले ली. आमला में उनके बैनल पोस्टल लगे हैं. यह पोस्टर सर्वधर्म शांति सम्मेलन को लेकर लगे हैं, लेकिन शासन ने उन्हें इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी. इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ने का शासन को पत्र भेज दिया है. हालांकि उन्हें डर है कि कहीं उनकी राजनीतिक डोर अनुमति न मिलने से कट न जाए, क्योंकि कुछ ऐसा ही सीनियर आईपीएस अधिकारी पुरूषोत्तम शर्मा के साथ हुआ है. सरकार ने उनका आवेदन निरस्त कर दिया है. वे मुरैना जिले की जौरा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. वहीं एक और आईपीएस अधिकारी चुनाव की तैयारी में हैं. आईपीएस अधिकारी पवन जैन राजस्थान के धौलपुर की राजखेड़ी सीट से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. उन्होंने भी वीआरएस लेने की तैयारी कर ली है.
डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे
ऐसे दो अधिकारी जिन्होंने जीता चुनाव: वैसे ही रूस्तम सिंह और भागीरथ प्रसाद दो ऐसे अधिकारी रहे, जिन्होंने चुनाव लड़ा और जीते भी. आईपीएस अधिकारी रूस्तम सिंह तीन बार चुनकर विधानसभा पहुंचे और कैबिनेट मंत्री भी रहे. इसी तरह भागीरथ प्रसाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भिंड से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.
कई अधिकारी आजमा चुके हैं किस्मत:अधिकारियों का राजनीतिक प्रेम नया नहीं है. पिछले साल आईएएस अफसर वरदमूर्ति मिश्रा ने नौकरी छोड़ खादी पहनने का फैसला किया था. 1996 बैच के डिप्टी कलेक्टर वरद मूर्ति मिश्रा को 2014 में आईएएस अवार्ड मिला था. हालांकि नौकरी में रहते ही उन्होंने सरकार पर कई बार हमला बोला था और सरकारी योजनाओं पर सवाल उठाए थे. उन्होंने किसी राजनीतिक पार्टी का दामन थामने के स्थान पर अपनी अलग पार्टी वास्तविक भारत पार्टी बनाई और चुनाव में प्रत्याशियों को मैदान में उतारने जा रहे हैं.
रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीके बाथम कांग्रेस में सक्रिय हैं. वे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका संभाल चुके हैं. अब उनसे यह जिम्मेदारी लेकर सीनियर लीडर दिनेश यादव को सौंपी गई है. उनके चुनाव मैदान में उतरने की संभावनाएं हैं.
आईएएस अधिकारी बी चंद्रशेखर भी चुनावी पारी खेलने की तैयारी में जुटे हैं. वे जबलपुर कमिश्नर रह चुके हैं. वे वीआरएस ले चुके हैं और चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. चंद्रशेखर कई आदिवासी जिलों में कलेक्टर रहे हैं.
पूर्व आईएएस अधिकारी पन्ना लाल सोलंकी, वीके बाथम, पूर्व आईपीएस एमपी वरकडे के भी चुनाव मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं. आईपीएस अधिकारी वरकडे तो कांग्रेस से टिकट भी मांग चुके हैं.
आईएएस अधिकारी हीराला त्रिवेदी के भी चुनाव मैदान में उताने की संभावना जताई जा रही है. उनकी पार्टी सपाक्स के पिछले चुनाव में भी कई उम्मीदवार मैदान में उतरे थे.