भोपाल।मध्य प्रदेश में 2023 के चुनावी सर्वे ने पार्टी की पहले ही नींद उड़ा दी है, लेकिन अब परिवारवाद पर पीएम मोदी की नो एंट्री ने नेता पुत्रों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. ज्यादातर नेता पुत्र लंबे अर्से से सियासी लॉन्चिंग की तैयारी में जुटे हैं. मोदी ने विपक्षी दलों पर तीखे हमले कर अपनी पार्टी के नेताओं को भी सीधा संदेश दे दिया है. कर्नाटक विस चुनाव में अनेक नेता-पुत्रों और परिजनों को मतदाताओं ने खारिज कर दिया. इसके बाद यह फॉर्मूला मप्र में लागू होगा.
बीजेपी कैडर बेस्ड पार्टी:इसको लेकर पार्टी का कहना है कि ''परिवाद और वंशवाद तो कांग्रेस में चलता है, बिजेपी कैडर बेस्ड पार्टी है.'' पार्टी प्रवक्ता गोविंद मालू का कहना है कि ''बीजेपी ही ऐसी पार्टी है जहां पर कार्यकर्ता को ही तवज्जो मिलती है. यहां पर जो काम करता है उसको टिकट मिलता है, और जहां तक टिकट का सवाल है तो पार्टी में इसका फैसला चुनाव समिति करती है.''
प्रदेश में कई नेता पुत्रों ने पाई सफलता:हालांकि प्रदेश के कई नेता पुत्र सियासी रण में सफलता के परचम लहराए हुए हैं.
1- पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा के भतीजे विधायक सुरेंद्र पटवा.
2- पूर्व सीएम वीरेंद्र सखलेचा के बेटे मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा
3- पूर्व सीएम बाबूलाल गौर की पुत्रवधु विधायक कृष्णा गौर.
4- पूर्व सांसद कैलाश सारंग के पुत्र मंत्री विश्वास सारंग.
5- पूर्व मंत्री सत्येंद्र पाठक के पुत्र विधायक संजय पाठक
6- कर्नाटक के गवर्नर थावरचंद गेहलोत के बेटे पूर्व विधायक जितेंद्र
7- बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र विधायक आकाश सक्रियता से अपनी भूमिका निभा रहे हैं.