भोपाल।मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का नाम लेकर बीजेपी ने सत्ता हासिल की, लेकिन बीजेपी को भगवान श्रीराम की तपोभूमि से वहां की जनता ने आशीर्वाद नहीं दिया है. चित्रकूट में पिछले 45 सालों में सिर्फ एक बार ही बीजेपी को वहां से जनता का आशीर्वाद नहीं मिला है, यही कारण है कि बीजेपी ने 2023 की चुनावी तैयारी की शुरुआत भगवान राम की तपोभूमि से की. मायने साफ रहे हैं कि जिस धरती पर राम ने तपस्या की वहां की जनता ने बीजेपी को स्वीकार नहीं किया, तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी यहां भगवान राम का आशीर्वाद नहीं ले सकी. वहीं उपचुनाव में भी बीजेपी यहां तमाम ताकत के बाद भी हार गई थी.
2013 से लगातार बीजेपी सरकार में है, लेकिन भगवान श्रीराम की तपोभूमि से बीजेपी को निराशा ही हाथ लगी है. चार दशकों में यहां से सिर्फ एक बार ही बीजेपी को जीत मिली है, आखिर कारण क्या हैं और क्या वजह रही कि बीजेपी को यहां से मायूसी हाथ लगी है. 1977 से अब हुए चुनाव में सिर्फ 2013 में बीजेपी जीती, वहीं कांग्रेस का ये गढ़ रहा है.
चित्रकूट से कब कौन जीता:
- 2018 में कांग्रेस से नीलांशु चतुर्वेदी
- 2013 में कांग्रेस से प्रेम सिंह
- 2008 में बीजेपी से सुरेंद्र सिंह गहरवार
- 2003 में कांग्रेस से प्रेम सिंह
- 1998 में कांग्रेस से प्रेम सिंह
- 1993 में बीएसपी से गणेश
- 1990 में जनता दल से रामनंद सिंह
- 1985 में कांग्रेस से रामचंद्र बाजपेयी
- 1980 में कांग्रेस से रामचंद्र बाजपेयी
- 1977 में जेएनपी से रामानंद सिंह
विकास के दावे खोखले:चित्रकूटवासियों का कहना है कि"चित्रकूट में जब 2008 में बीजेपी सरकार आई तो सरकार ने विकास पर ध्यान नहीं दिया. एक तरफ बीजेपी कहती है कि विकास के दम पर पार्टी जनता के बीच जाती है, लेकिन यहां पर बिजली का संकट गहराया रहता है. गर्मी के आलावा बरसात के बाद भी बिजली की किल्लत है."