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1 KG Weight Of Brinjal: जबलपुर में 10 फीट ऊंचे पेड़ में लगता है 1 किलो का बैगन, स्वाद में भी है एक नंबर, पढ़ें पूरी खबर

आमतौर जब हम सब्जियां लेने जाते हैं तो बैगन के अलग-अलग किस्म को बाजारों में देखते हैं. जिनका रंग और साइज अलग-अलग होता है, लेकिन आम सब्जियों की तरह ही होता है. लेकिन एमपी के जबलपुर के कटिया में एक किसान के घर पर बैगन का 10 फीट का

1 KG Weight Of Brinjal
10 फीट ऊंचे पेड़ में लगता है 1 किलो का बैगन

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 29, 2023, 7:13 PM IST

10 फीट ऊंचे पेड़ में लगता है 1 किलो का बैगन

जबलपुर। बैगन को सब्जियों का राजा कहा जाता है. आपने बैगन के पौधे देखे होंगे, सामान्य तौर पर बैगन के पौधे चार-पांच फीट तक के हो जाते हैं, लेकिन जबलपुर के कटिया लोहारी गांव में एक बैगन का पेड़ 10 फीट का हो गया है. इस पेड़ में बैगन की साइज 1 किलो तक की है. जिस किसान के घर में यह बैगन लगा हुआ है. उसका कहना है कि "यह साल में तीन बार यह सब्जी देता है और यह बहुत स्वादिष्ट होते हैं.

सबसे पसंदीदा सब्जी:बैगन भारत में प्रचलित सबसे पसंदीदा सब्जी मानी जाती है. इसको कई तरीके से खाया जाता है. कुछ लोग बैगन का भर्ता खाते हैं. तो कुछ लोग छोटे बैगन की सब्जी पसंद करते हैं. वहीं बड़े बैगन भी मसालेदार सब्जी के रूप में पसंद किए जाते हैं. भारत के कुछ इलाकों में जहां साल के कुछ दिनों बर्फ गिरती है. वहां सूखा बैगन भी खाया जाता है. यह लोग बैगन को सुखा कर रख लेते हैं. बैगन को सामान्य दिनों में घरों में सब्जी बनाकर खाया जाता है और शादी के लिए भी एक महत्वपूर्ण डिश है.

1 किलो का बैगन

1 किलो का बैगन:बाजार में कई किस्म के बैगन उपलब्ध हैं. रंगों के हिसाब से देखा जाए तो बैगन हरा और बैगनी दो रंग का आता है. साइज के हिसाब से देखा जाए तो बैगन तीन तरह का होता है. एक बहुत छोटा, एक मध्यम आकार का और एक बड़े आकार का. बड़े आकार के आपने कई बैंगन देखे होंगे, लेकिन जबलपुर के कटिया लोहारी गांव में देवेंद्र पटेल के घर जो बैगन लगा हुआ है. उसकी कुछ अलग ही विशेषताएं हैं. देवेंद्र का कहना है कि इस बैगन का वजन 1 किलो तक हो जाता है. इसकी साइज बेसबॉल के बॉल बराबर हो जाती है. वहीं सबसे खास बात यह है कि इतना बड़ा होने के बाद भी इसमें बहुत बीज नहीं आते. यह नरम बना रहता है और इसका स्वाद भी बिल्कुल अलग है.

कृषि वैज्ञानिक की राय: कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर शेखर बघेल का कहना है कि "बैगन की कई देसी प्रजातियां हैं. देसी प्रजातियों में इस तरह के गुण पाए जाते हैं. उनका स्वाद बाजार के हाइब्रिड बैगन से अलग होता है. इन प्राकृतिक किस्म की अपनी विशेषताएं होती हैं.

देसी सब्जियों का चलन कम हुआ: सब्जी के उत्पादन बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक लगातार इन पर शोध कर रहे हैं और बैगन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी बहुत अधिक शोध हुए हैं. हाइब्रिड किस्म की ग्राफ्टेड वैरायटी 1 एकड़ में 100 टन तक उत्पादन दे सकती है. मध्य प्रदेश में कई जगहों पर बैगन की खेती हो भी रही है, लेकिन अभी भी बैगन की सब्जी पसंद करने वाले लोग देसी बैगन ही पसंद करते हैं, क्योंकि इसका स्वाद हाइब्रिड किस्म से अलग होता है. देसी किस्म की सैकड़ों वैरायटी हैं. जिनकी अपनी-अपनी विशेषताएं हैं. नर्मदा के कछार में ऐसी कई वैरायटी अभी भी वैज्ञानिकों को पता नहीं है, लेकिन बे किसानों के पास उपलब्ध हैं.

पूरी तरह ऑर्गेनिक:देवेंद्र पटेल का कहना है कि बैगन कि यह वैरायटी बे बचपन से अपने घर में देखते चले आ रहे हैं. फिलहाल अभी जिस पेड़ में फल आ रहे हैं, वह 5 साल पुराना है. उसमें कोई रोग नहीं आया और साल में तीन बार वह देवेंद्र के परिवार को यह सब्जी देता है. वहीं उन्होंने पेड़ की कुछ डाल काट दी है. इसकी हाइट इतनी अधिक हो जाती है कि सीढ़ी लगाकर बैगन तोड़ने पड़ते हैं. जहां एक तरफ हाइब्रिड वैरायटियां ग्राफ्टेड वैरायटी में कई किस्म के रोग लगते हैं, और बिना रासायनिक दवाई के इन रोगों को खत्म नहीं किया जा सकता. वही देवेंद्र पटेल के पौधे में भी अब तक कोई रोग नहीं आया. यह ऑर्गेनिक सब्जी देता है.

किसान के घर एक किलो का बैगन

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देसी किस्म की व्यावसायिक खेती नहीं होती: देसी किस्म की सब्जियां और फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं. इनमें विटामिन मिनरल और पोषक तत्व हाइब्रिड वैरायटी से ज्यादा होते हैं, लेकिन इनका उत्पादन कम होता है. इसलिए व्यावसायिक खेती करने वाले किसान इनकी खेती नहीं करते. इसलिए बाजार में ऐसे फल और सब्जियां सामान्य तौर पर काम उपलब्ध होते हैं. शौकिया किस्म से फल और सब्जी उत्पादित करने वाले लोगों के पास ऐसी वैरायटी देखने को मिलती है.

देवेंद्र पटेल इस बैगन का बीज भी तैयार करते हैं और पौधे भी तैयार करते हैं.खाने के शौकीन लोगों को वैसे मुफ्त में देते हैं. ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर किसान अपने घरों पर सब्जी के कुछ पौधे अक्सर लगाकर रखते हैं. इसमें ज्यादातर देसी किस्म के बीज ही इस्तेमाल किए जाते हैं और इनका स्वाद बाजार में आने वाली सब्जी से बहुत अलग होता है. इसलिए शहर के लोगों को यह सुविधा नहीं मिल पाती.

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