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ऋषिकेश के राम झूला पुल पर मंडराया खतरा, लैंडस्लाइड के चलते पुश्ता बहा, रोका गया आवागमन

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Published : Aug 17, 2023, 9:17 AM IST

Updated : Aug 17, 2023, 2:53 PM IST

Rishikesh Ram Jhula bridge उत्तराखंड में बारिश, बाढ़ और लैंडस्लाइड ने जान आफत में डाल रखी है. ऋषिकेश के राम झूला पुल पर भी लैंडस्लाइड का खतरा मंडरा रहा है. पुल के नीचे भूस्खलन हो रहा है. इस कारण पुल का पुश्ता बह गया है. पुल पर आवाजाही पूरी तरह से बंद कर दी गई है.

Ram Jhula bridge
ऋषिकेश समाचार

ऋषिकेश के राम झूला पुल पर मंडराया खतरा

ऋषिकेश (उत्तराखंड): ऋषिकेश के राम झूला पुल पर धंसने का खतरा पैदा हो गया है. राम झूला पुल के नीचे लैंडस्लाइड हो रहा है. इससे पुल कभी भी गिर सकता है. इस खतरे को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने राम झूला पुल पर आवागमन पूरी तरह से रोक दिया है.

ऋषिकेश राम झूला पुल को खतरा

ऋषिकेश के राम झूला पुल को खतरा: ऋषिकेश का राम झूला पुल करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्रों को जोड़ता है. ये पुल खुद भी आस्था का केंद्र है. राम झूला पुल से ऋषिकेश के गीताभवन, स्वर्गआश्रम, मुनि की रेती, परमार्थ निकेतन और नीलकंठ महादेव की ओर जाया जाता है. इस संपर्क मार्ग पर लगातार भूस्खलन हो रहा है. इसी भूस्खलन के कारण राम झूला पुल पर खतरा मंडरा रहा है.

राम झूला पुल पर खतरा मंडरा रहा है.

राम झूला पुल पर आवागमन रोका गया: ऋषिकेश के लोगों ने आज सुबह जब देखा कि पुल के नीचे लैंडस्लाइड हो रहा है तो वहां हड़कंप मच गया. आनन फानन में प्रशानिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए. प्रशासन ने एहतियात के तौर पर राम झूला पुल पर आवाजाही पर रोक लगा दी है. पुल पर आने जाने से कभी भी जान पर खतरा आ सकता है. पुल को दोनों छोरों पर पुलिस को तैनात क दिया गया है. ताकि कोई भी शख्स इस पुल से आवाजाही न कर सके.

1986 में बना था राम झूला पुल: ऋषिकेश का राम झूला पुल 1986 में बना था. भगवान राम के नाम से इस पुल को भी लोग आस्था का केंद्र मानने लगे. राम झूला पुल से अनेक आस्था के केंद्र मठ और मंदिरों की ओर जाने का रास्ता है. अब पुल पर आवाजाही बंद होने से पर्यटकों, स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

राम झूला पुल 1986 में बनाया गया था
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राम झूला पुल पर आवागमन रुकने से पर्यटक निराश: देश विदेश के करोड़ों पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहने वाला राम झूला पुल पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है. भारी बारिश की वजह से मुनि की रेती क्षेत्र में राम झूला पुल के नीचे का पुश्ता बह गया है. माना जा रहा है कि गंगा के उफान पर आने की वजह से यह नुकसान हुआ है. सुरक्षा की दृष्टि से एसडीएम के निर्देश पर राम झूला पुल पर पर्यटकों के आवाजाही रोक दी गई है. पुलिस ने बैरिकेडिंग कर पर्यटकों को राम झूला पुल पर जाने से रोकना शुरू कर दिया है.

नरेंद्र नगर के एसडीएम ने क्या कहा? नरेंद्र नगर के एसडीएम देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा प्रशासन की पहली प्राथमिकता है. भारी बारिश की वजह से राम झूला पुल के नीचे का पुश्ता बह गया है. पीडब्ल्यूडी की एक टीम निरीक्षण करने के लिए राम झूला भेजी गई है. इंजीनियरों की टीम निरीक्षण करने के बाद जो रिपोर्ट सौंपेगी, उसके आधार पर राम झूला पुल पर आवाजाही को लेकर निर्णय लिया जाएगा. फिलहाल उच्च अधिकारियों को भी मामले की जानकारी दे दी गई है. पुलिस को पर्यटकों को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

पुलिस का क्या कहना है? एसएसआई गोपाल दत्त भट्ट ने बताया कि निर्देशों के आधार पर राम झूला पुल पर बैरिकेडिंग लगा दी गई है. पुलिस कर्मियों की तैनाती भी की गई है. जिससे कि पर्यटक राम झूला पुल पर आवाजाही ना कर सकें. लक्ष्मण झूला थाना पुलिस को भी इस संबंध में सूचना दे दी गई है. बता दें कि राम झूला पुल पर आवाजाही रोके जाने से पर्यटकों में अब मायूसी देखने को मिल रही है. वहीं जानकी झूला पुल पर पर्यटकों की आवाजाही अब और ज्यादा तेज हो गई है.

उत्तर प्रदेश का था सबसे लंबा झूला पुल:राम झूला पुल का निर्माण 07 मार्च 1985 से आरंभ हुआ था जो 05 अप्रैल 1986 को पूरा हो पाया. तत्कालीन उत्तर प्रदेश राज्य में 1.02 करोड़ की लागत से बना यह पुल उस समय राज्य का सबसे लंबा झूला पुल था. पुल का निर्माण उत्तर प्रदेश शासकीय निर्माण विभाग की ओर से कराया गया था. इस पुल का नाम शिवानंद झूला रखा गया था, जो बाद में राम झूला के नाम से प्रसिद्ध हुआ. 220.4 मीटर लंबाई तथा 02 मीटर चौड़ाई वाले इस पुल के टावर की ऊंचाई 21 मीटर है, जो 44 मिमी व्यास के 24 रस्सों पर टिका हुआ है. इस पुल की परिकल्पना रुड़की विश्वविद्यालय के भूकंप यांत्रिकी विभाग की ओर से की गई थी. इस पुल पर भार वाहन क्षमता 500 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर है.
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रामझूला पल के नीचे हुए भू-धसाव की प्राथमिक जांच के बाद लोक निर्माण विभाग ने पुल पर पैदल आवाजाही की अनुमति दे दी है. लोक निर्माण विभाग नरेंद्र नगर निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता आशुतोष ने बताया कि पुल के एविडमेंट से करीब 5 मीटर आगे भू-धंसाव हुआ है, जिससे फिलहाल पुल को कोई खतरा नहीं है. पुल के सपोर्टिंग वायर और टावर पूरी तरह सुरक्षित हैं

उन्होंने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से पुल पर दोपहिया वाहनों की आवाजाही को रोक दिया गया है. पैदल आवाजाही के लिए पुल को खोला गया है. पुल पर ज्यादा भीड़ न बढ़ पाए इसके लिए पुलिस को सीमित संख्या में नागरिकों को पुल पर भेजने की सलाह दी गई है.

उन्होंने बताया कि भूस्खलन को रोकने के लिए बचाव कार्य किए जाएंगे. इसके लिए पहले चरण में यहां वायरक्रेट के ब्लॉक भरने की तैयारी है. उन्होंने बताया कि गंगा का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है, जिससे यहां अभी पक्का निर्माण शुरू नहीं किया जा सकता.

Last Updated : Aug 17, 2023, 2:53 PM IST

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