चंडीगढ़: देश में किसान आंदोलन (Farmers Movement) चल रहा है. इसका काफी असर हरियाणा (Haryana) पर भी पड़ा है, लेकिन हरियाणा के कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल (Agriculture Minister JP Dalal) कृषि कानूनों को किसानों के हित में मानते हैं. जेपी दलाल का कहना है कि हरियाणा में किसानों के लिए जो नीतियां हैं, उसका मुकाबला देश का अन्य कोई राज्य नहीं कर सकता.
लोगों की सहानुभूति किसानों के साथ: जेपी दलाल
कृषि मंत्री जेपी दलाल (Agriculture Minister JP Dalal) ने कहा कि इस आंदोलन की शुरूआत पंजाब (Punjab) से हुई थी. पंजाब की जत्थेबंदियां काफी समय से पंजाब की धरती पर बैठी रही. उसके बाद दिल्ली (Delhi) जाते वक्त उन्होंने हरियाणा में ही डेरा जमा लिया. अब क्योंकि हरियाणा की ज्यादातर जनसंख्या किसानों से जुड़ी हुई है और लोगों की स्वभाविक रूप से सहानुभूति किसानों के साथ ही थी, इसलिए किसानों की मदद के लिए हमारे बहुत सारे भाई भी साथ में बैठ गए.
क्यों किसानों को कृषि कानून पसंद नहीं आए?
किसान कानून (Agriculture Laws) का विरोध क्यों कर रहे हैं इस सवाल पर कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि अगर किसान कमज़ोर हैं, किसान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो कुछ न कुछ तो करने की जरुरत है. पिछले दिनों भारत सरकार (Government of India) का सर्वे आया, जिसमें छोटे किसान के परिवार की आमदनी 3 से 4 हजार रुपये महीने बताई गई है. उसमें अगर 3 से 4 बालिग आदमी काम करते हैं. तो एक आदमी के हिस्से में 800 से 900 रुपये आता है.
अब सोचने का मुद्दा है कि क्या किसान को उसी हालत में छोड़ दिया जाए या फिर कोई नीतिया बनाई जाएं. दलाल ने कहा कि हमने भी किसानों की हालत सुधारने के लिए कुछ अच्छी नीतियां बनाई. जो विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित कुछ किसान नेताओं को पसंद नहीं आई.
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कृषि कानूनों के फायदे क्यों नहीं समझा पा रही सरकारें?
जेपी दलाल (Agriculture Minister JP Dalal) ने कहा कि हमारा देश 135 करोड़ लोगों का देश है. हमारे देश की आधी आबादी किसानी से जुड़ी हुई है. कुछ फीसदी लोग हमारे विरोधी भी हैं, लेकिन आज के दिन किसान आंदोलन शुद्ध रूप से राजनीतिक रुप ले चुका है. एक आम किसान को इस आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है. आम किसान ये समझता है कि ये जत्थेबंदियां विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस के इशारे पर चल रही हैं. इस आंदोलन का किसान हित से कोई लेना-देना नहीं है.