चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि मोटर वाहन कानून एक कल्याणकारी कानून है और इसका मकसद सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले या घायल होने वाले लोगों के परिवार को त्वरित मुआवजा देना है. अदालत ने कहा कि इस क़ानून के तहत मामलों से निपटने के लिए उदार दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
अदालत ने माना है कि ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी करना निरर्थक है.
अदालत ने कहा कि एक आपराधिक मुकदमे के दौरान यह कारक प्रासंगिक हो सकता है लेकिन मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे के निर्धारण के लिए कार्यवाही में इसे अधिक महत्व नहीं दिया जा सकता है.
न्यायमूर्ति एच एस मदान ने हरियाणा के पलवल में एक अदालत द्वारा भिडुकी गांव के 26 वर्षीय व्यक्ति की मौत के मामले में निर्धारित मुआवजे की राशि के खिलाफ एक निजी बीमा कंपनी की याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किया.
मोटरसाइकिल सवार व्यक्ति की 10 अक्टूबर 2015 को एक कार के चालक द्वारा 'तेज और लापरवाही से' गाड़ी चलाने के कारण मौत हो गई थी.