औरंगाबाद : महाराष्ट्र में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिसका असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ रहा है. सरकारी कोविड अस्पतालों में दवाओं की कमी है. आलम ये है कि मरीजों के रिश्तेदारों को बाहर से दवाएं लानी पड़ रही हैं. ये लोग दवाओं के लिए पैसे किस तरह जुटा रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक पिता को अपने बेटे का इलाज कराने के लिए पत्नी का मंगलसूत्र तक बेंचना पड़ा.
सात दिन पहले सुखदेव गोरे के बेटे को कोरोना के इलाज के लिए मेल्ट्रॉन कोविड केंद्र में भर्ती कराया गया था. सुखदेव गोरे ने सोचा था कि नगरपालिका के अस्पताल में इलाज के लिए पैसे नहीं खर्ज करने पड़ेगे. लेकिन उन्हें तब झटका लगा जब उन्हें बाहर से दवा लाने के लिए पर्चा पकड़ा दिया गया.
दवा दुकानदार ने साढ़े तीन हजार रुपये का बिल बनाया. अगले दिन फिर उसे बाहर से दवा लाने के लिए कहा गया. इस बार उसने किसी तरह रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर दवा की व्यवस्था की. दो दिन बाद दोबारा दवा लाने के लिए कहने पर दवा कैसे लाई जाए?
परेशान होकर सुखदेव गोरे ने पत्नी का मंगलसूत्र 5,000 रुपये में बेच दिया तब जाकर दवा की व्यवस्था हुई. अब वह इस बात से परेशान है कि अब अगर बाहर से दवा लानी पड़ी तो कहां से लाएगा.
ये स्थिति न सिर्फ सुखदेव गोरे की है बल्कि ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अपने मरीजों के लिए बाहर ले दवा का इंतजाम करना पड़ रहा है. वर्तमान में औरंगाबाद शहर में 14 कोविड सेंटर हैं.
रोज सामने आ रहे 1800 मरीज