कोरोना के डर से मां अपने बेटे के साथ तीन साल मकान में रही कैद, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने किया रेस्क्यू गुरुग्राम: मारुति विहार कॉलोनी गुरुग्राम से चौकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक मां ने खुद को और अपने 11 साल के बेटे को 3 साल से मकान के अंदर कैद कर रखा था. महिला के पति की शिकायत पर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दोनों का रेस्क्यू किया. खबर है कि कोरोना के डर से मां ने खुद को और अपने 11 साल के बेटे को एक मकान में कैद करके रखा था. मुनमुन नाम की महिला कोरोना के डर से ना तो खुद घर से बाहर आती थी और ना ही अपने बेटे को आने देती थी. इसका खुलासा तब हुआ जब 11 साल के पिता ने इसकी शिकायत पुलिस को दी.
जिसके बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दोनों का रेस्क्यू किया. पूछताछ में पता चला कि महिला का पति दोनों को घर पर ही खाना उपलब्ध कराता था. वो खुद किराए पर दूसरे मकान में रहता था. अब महिला के पति ने ही पुलिस को शिकायत दी है. उसका कहना है कि काफी समय से वो अपनी पत्नी को समझाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उसकी पत्नी इस बात को नहीं समझ रही. लिहाजा वो कोरोना के डर से ना तो खुद घर से बाहर आती है और ना ही उसके बेटे को बाहर आने देती है. गुरुग्राम के सीएमओ ने बताया कि महिला अपने पति को भी घर के अंदर नहीं आने देती थी.
पड़ोसी भी थे अनजान: पड़ोसियों के मुताबिक परिवार पिछले 8 साल से यहां रहता था और इनसे किसी को कोई शिकायत नहीं थी. ये परिवार पिछले कई महीनों से पड़ोसियों से भी नहीं मिला था. जिसके कारण पड़ोसियों को लगता था कि परिवार कोरोना काल में अपने गांव चला गया है. बच्चा कोरोना काल से पहले स्कूल जाता था लेकिन कोरोना काल के बाद बच्चा भी नजर नहीं आया तो पड़ोसियों को लगा कि बच्चा भी अपने दादा-दादी के घर गया हुआ है. लेकिन जब पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मां और बेटे को रेस्क्यू किया तो पड़ोसी भी हैरान रह गए. पड़ोसियों के मुताबिक महिला से बातचीत होती थी लेकिन वो ज्यादातर अपने बच्चे की तबीयत खराब बताती थी.
ये भी पढ़ें- Nasir Junaid Murder Case: मुख्य आरोपी मोनू मानेसर को लेकर नया खुलासा, तस्करों ने बनाया था ये प्लान
क्या कहते हैं डॉक्टर? सीएमओ डॉ. वीरेंद्र यादव के मुताबिक महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने मिलकर दोनों को रेस्क्यू किया और अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जहां मनोचिकित्सक की देखरेख में उनकी जांच की गई. जिसमें डॉक्टरों ने पाया कि बच्चे को एक्सपर्ट की देखरेख में बेहतर इलाज की जरूरत है, जिसके बाद बच्चे को पीजीआई रोहतक भेज दिया गया है. जबकि महिला का इलाज सिविल अस्पताल में ही चल रहा है. डॉ. वीरेंद्र यादव के मुताबिक महिला और बच्चे की हालत किसी सवाल का जवाब देने की नहीं है. लेकिन बच्चे के पिता की शिकायत के मुताबिक महिला अपने पति को भी बच्चे से नहीं मिलने देती थी. जिसके कारण पति भी अलग से रहते थे और उन दोनों के लिए खाने-पीने समेत अन्य व्यवस्था बाहर से ही करते थे.