बेतिया: जिले में हर दिन पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. सांस लेने में तकलीफ होने के बाद अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है. उन्हें ऑक्सीजन दिया जा रहा है. हालांकि, सरकार ने पैसे खर्च कर सरकारी अस्पतालों को सुविधाएं तो दे दीं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. इसकी एक बानगी गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल बेतिया में दिखती है.
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल बेतिया (जीएमसीएच) में गिनने को तो 63 वेंटिलेटर हैं, लेकिन इनमें से 50 से अधिक खराब हैं. ये वेंटिलेटर आइसोलेशन वार्ड में पड़े हुए हैं. सबसे हैरत की बात तो यह है कि वेंटिलेटर चलाने के लिए भी कोई टेक्नीशियन तक नहीं है.
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वेंटिलेटर को नहीं किया इंस्टॉल
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधिकारी पांच वेंटिलेटर चलने का दावा कर रहे हैं, लेकिन वार्ड में एक भी वेंटिलेटर चलता हुआ नहीं दिख रहा है. पिछले साल दिसंबर में एक बार 17 और दूसरी बार 25 वेंटिलेटर मेडिकल कॉलेज को भेजे गए थे, लेकिन तब से वेंटिलेटर ऐसे ही पड़े हैं. हद तो यह है कि अभी तक वेंटिलेटर को इंस्टॉल तक नहीं किया जा सका है, जबकि कोरोना से पिछले दस दिनों में 12 मरीजों की मौत हो चुकी है.
कब तक ठीक होंगे वेंटिलेटर ?
अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रमोद तिवारी इंजीनियर के आने और वेंटिलेटर ठीक होने की बात कह रहे हैं. लेकिन यह प्रक्रिया कब तक पूरी होगी इसका जवाब उनके पास नहीं है. मंगलवार को जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने एनेस्थीसिया विभाग के एचओडी डॉ. नरेंद्र कुमार से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने विभाग की पोल खोलते हुए कहा था कि एक भी वेंटिलेटर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है.
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अस्पताल प्रबंधन पर उठ रहे सवाल
ऐसे में सवाल यह है कि जब दिसंबर 2020 में मेडिकल कॉलेज व अस्पताल को नए वेंटिलेटर मिले थे, तो फिर चार महीने में सभी वेंटिलेटर किस प्रकार नन फंक्शनल हो गए? क्या वेंटिलेटर लेते समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया या फिर इतने दिनों में अस्पताल प्रबंधन ने वेंटिलेटर ठीक क्यों नहीं कराया.
इस बारे में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रमोद तिवारी ने कहा कि अभी अस्पताल में 11 वेंटिलेटर हैं, जिनमें से तीन काम कर रहे हैं. 26 वेंटिलेकर पीएम केयर योजना से मिला है. इन्हें इंस्टॉल कराया जा रहा है. 25 और वेंटिलेटर मुजफ्फरपुर डीआरडीओ हॉस्पिटल से मिले हैं. इन्हें भी इंस्टॉल करा रहे हैं. इसके लिए बायोमेडिकल इंजीनियर आने वाले हैं.