हैदराबाद : एक नए शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पहाड़ों की बर्फ अधिक तेजी से पिघल रही है और ग्लेशियर टूट रही हैं, यह एशिया में पानी की आपूर्ति पर गंभीर असर डाल रहा है. इस ग्लेशियर और इसके आसपास के क्षेत्र को दुनिया का तीसरा ध्रुव भी कहा जाता है, जहां ध्रुवीय बर्फ की चादरों के बाहर ताजे पानी की सबसे बड़ी मात्रा है. इस क्षेत्र से पिघलने वाले हिमखंड और हिमनद एशिया की कुछ सबसे बड़ी नदियां हैं, जिन पर एक अरब से अधिक लोग पानी के लिए निर्भर हैं.
बता दें जलवायु परिवर्तन के कारण पिघलने की गति तेज हो रही है, क्षेत्र में बर्फ कम हो रही हैं. जिससे पानी की कमी होने की आशंका है. नए अध्ययन से पता चला है कि 1979-99 और 1999-2019 के बीच उच्च-पर्वतीय एशिया में नदियों को बर्फ के पिघलने वाले पानी की आपूर्ति में औसतन 16% की गिरावट आई है. इसमें कहा गया है कि भले ही वार्मिंग 1.5C तक सीमित हो, सदी के अंत तक लगभग 6% का और नुकसान होगा. भविष्य में वार्मिंग से पानी की आपूर्ति में 40% की गिरावट आएगी.