पटना : बिहार में शराबबंदी लागू है लेकिन दूसरे राज्यों से लगातार शराब की तस्करी हो रही है. शराब माफिया फल-फूल रहे हैं और करोड़ों की काली कमाई हो रही है. इन सब के बीच हैरान करने वाली बात यह है कि पूर्ण शराबबंदी के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग बिहार में शराब पी रहे हैं.
5 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जितनी आय सरकार को शराब से होती है, उससे ज्यादा पैसा हमें स्वास्थ्य विभाग को देना पड़ता है.
मुख्यमंत्री ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए कड़े कानून बनाए लेकिन पुलिस कर्मियों के रवैये ने शराबबंदी कानून की हवा निकाल कर रख दी. राज्य में दूसरे राज्यों से धड़ल्ले से शराब लाई जा रही है और होम डिलीवरी चल रही है.
महाराष्ट्र से ज्यादा लोग पी रहे शराब
एक अप्रैल 2016 को बिहार देश का पांचवा राज्य बना, जहां शराब का सेवन और जमा करने पर प्रतिबंध है. लगभग 5 साल बीत जाने के बाद चौंका देने वाला आंकड़ा सामने आया है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के 2020 के रिपोर्ट के अनुसार ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं.
शराबबंदी की कड़वी सच्चाई यह भी है
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर पुलिस विभाग विभाग के मुखिया यानी डीजीपी तक कहते रहे हैं कि शराब पीने और बेचने वालों पर कार्रवाई की जा रही है. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है किकुल मिलाकर दो लाख 55 हजार मामले दर्ज किए गए और अब तक तीन लाख 39401 अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन 5 साल में मात्र 470 अभियुक्तों को ही सजा दिलाई जा सकी है. जो अपने आप में बड़ा सवाल है.
मौजूदा वक्त में इस खबर पर अधिकारियों की बोलती बंद हो गई है. देश जानता है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
शराब की बढ़ी खपत
शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब की खपत बढ़ी है. राज्य के अंदर शराबबंदी कानून प्रभावी रूप में नहीं लागू होने के चलते शराबबंदी कानून को रिव्यू करने की आवाज भी उठने लगी है.