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ड्राई स्टेट की हकीकत : बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा पी रहे शराब, सवालों में शराबबंदी

सवाल उठ रहा है कि क्या शराबबंदी पर विपक्ष का आरोप एकदम से सही है. सवाल इसलिए क्योंकि जो आंकड़े सामने आए हैं वह हैरान करने वाले हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि शराबबंदी के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं.

ड्राई स्टेट की हकीकत
ड्राई स्टेट की हकीकत

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Published : Feb 27, 2021, 8:13 PM IST

पटना : बिहार में शराबबंदी लागू है लेकिन दूसरे राज्यों से लगातार शराब की तस्करी हो रही है. शराब माफिया फल-फूल रहे हैं और करोड़ों की काली कमाई हो रही है. इन सब के बीच हैरान करने वाली बात यह है कि पूर्ण शराबबंदी के बावजूद महाराष्ट्र से ज्यादा लोग बिहार में शराब पी रहे हैं.

5 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि जितनी आय सरकार को शराब से होती है, उससे ज्यादा पैसा हमें स्वास्थ्य विभाग को देना पड़ता है.

खास रिपोर्ट

मुख्यमंत्री ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए कड़े कानून बनाए लेकिन पुलिस कर्मियों के रवैये ने शराबबंदी कानून की हवा निकाल कर रख दी. राज्य में दूसरे राज्यों से धड़ल्ले से शराब लाई जा रही है और होम डिलीवरी चल रही है.

महाराष्ट्र से ज्यादा लोग पी रहे शराब
एक अप्रैल 2016 को बिहार देश का पांचवा राज्य बना, जहां शराब का सेवन और जमा करने पर प्रतिबंध है. लगभग 5 साल बीत जाने के बाद चौंका देने वाला आंकड़ा सामने आया है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के 2020 के रिपोर्ट के अनुसार ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं.

शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के आंकड़े

शराबबंदी की कड़वी सच्चाई यह भी है
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर पुलिस विभाग विभाग के मुखिया यानी डीजीपी तक कहते रहे हैं कि शराब पीने और बेचने वालों पर कार्रवाई की जा रही है. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है किकुल मिलाकर दो लाख 55 हजार मामले दर्ज किए गए और अब तक तीन लाख 39401 अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन 5 साल में मात्र 470 अभियुक्तों को ही सजा दिलाई जा सकी है. जो अपने आप में बड़ा सवाल है.

कार्रवाई के आंकड़े

मौजूदा वक्त में इस खबर पर अधिकारियों की बोलती बंद हो गई है. देश जानता है कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने से सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

शराब की बढ़ी खपत
शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब की खपत बढ़ी है. राज्य के अंदर शराबबंदी कानून प्रभावी रूप में नहीं लागू होने के चलते शराबबंदी कानून को रिव्यू करने की आवाज भी उठने लगी है.

भाजपा नेता और विधान पार्षद संजय पासवान भी रिव्यू करने की वकालत कर चुके हैं. इससे पहले कांग्रेस और आरजेडी नेता भी शराबबंदी की समीक्षा की बात कह चुके हैं.

विपक्ष उठा रहा सवाल

कांग्रेस विधायक शकील अहमद ने कहा 'शराबबंदी कानून लागू किया जाना चाहिए, लेकिन बिहार में जिस तरीके से शराब बंदी लागू है, वह मजाक बनकर रह गया है.सरकार को चिंतन की जरूरत है.'

भाकपा माले विधायक संदीप सौरव का कहना है कि 'अगर राज्य में शराबबंदी कानून लागू किया जाए तो, उसे सही रूप में लागू किया जाए. लेकिन आज की तारीख में जिस तरीके की शराबबंदी कानून लागू है, उससे बेहतर यह होगा कि पहले वाली स्थिति ही बहाल कर दी जाए.'

राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा 'सत्ता के संरक्षण में शराब का अवैध धंधा फल-फूल रहा है. शराबबंदी कानून मजाक बनकर रह गया है और बिना रोक-टोक होम डिलीवरी की जा रही है. ऐसे शराब बंदी कानून का कोई फायदा नहीं है.'

भाजपा विधायक बोले परिवर्तन आया है

भाजपा विधायक विनोद नारायण ने कहा 'शराबबंदी कानून से बिहार में परिवर्तन आया है. समाज और परिवार में सुख शांति के साथ-साथ समृद्धि आई है. जो लोग भी गड़बड़ी करते पकड़े जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी.'

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जदयू विधायक रंजू गीता भी शराबबंदी की पक्षधर हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार ने जोखिम भरा कदम उठाया है और इससे महिलाएं महफूज हैं. शराबबंदी कानून को जारी रखने की जरूरत है.

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