मोरबी (गुजरात):मोरबी बार एसोसिएशन और राजकोट बार एसोसिएशन ने फैसला किया है कि वे मोरबी पुल ढहने के नौ आरोपियों के पक्ष से अदालत में पेश नहीं होंगे और ना ही उनका प्रतिनिधित्व करेंगे. मोरबी बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता एसी प्रजापति ने कहा कि दोनों बार एसोसिएशन ने यह प्रस्ताव पारित किया है. गुजरात के मोरबी में केबल पुल हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार नौ लोगों में से चार लोगों को एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को पुलिस हिरासत में जबकि अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.
अदालत ने पुल की मरम्मत के लिए जिम्मेदार कंपनी ओरेवा ग्रुप के दो प्रबंधकों और दो सब-कांट्रैक्टर को शनिवार तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. अभियोजक एचएस पांचाल ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान ने सुरक्षा गार्ड और टिकट बुक करने वाले क्लर्क सहित गिरफ्तार पांच लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है क्योंकि पुलिस ने उनकी हिरासत नहीं मांगी थी.इससे पहले मंगलवार को मोरबी हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई.
पढ़ें: मोरबी हादसा: अदालत ने गिरफ्तार नौ आरोपियों में से चार को पुलिस हिरासत में भेजा
पीआईएल में मोरबी पुल ढहने की जांच शुरू करने के लिए शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की देखरेख में एक न्यायिक आयोग को तुरंत नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई. एक वकील द्वारा दायर याचिका में राज्य सरकारों को पर्यावरणीय व्यवहार्यता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुराने और जोखिम भरे स्मारकों और पुलों के सर्वेक्षण और जोखिम मूल्यांकन के लिए समिति बनाने का निर्देश देने की मांग भी की गई . याचिका में राज्यों में स्थायी आपदा जांच दल को ऐसी त्रासदियों में तुरंत शामिल होने के निर्देश देने की भी मांग की गई है. इस मामले की सुनवाई 14 नवंबर को होगी.