अहमदाबाद :मोरबी ब्रिज हादसा (Morbi bridge collapse) मामले में एसआईटी ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुल ढहने में ओरेवा कंपनी की पूरी तरह लापरवाही रही (Orewa Company completely responsible). एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा है कि यह हादसा नहीं बल्कि हत्या है, इसलिए आरोपियों के खिलाफ धारा 302 लगाई जाए.
एसआईटी ने सौंपी 5000 पन्नों की रिपोर्ट : राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान इस बात पर बहस हुई थी कि हादसे के लिए सस्पेंशन ब्रिज का संचालन करने वाली ओरेवा कंपनी और नगर पालिका में से कौन जिम्मेदार है. चुनाव पूर्व त्रासदी के राजनीतिक असर से बचने के लिए राज्य सरकार ने हादसे की जांच के लिए एसआईटी यानि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया था. करीब एक साल की गहन जांच के बाद एसआईटी ने 10 अक्टूबर को गुजरात हाई कोर्ट में अपनी 5,000 पेज की रिपोर्ट सौंपी है.
एसआईटी रिपोर्ट की अहम बातें:मोरबी की दुखद त्रासदी में 21 बच्चों समेत कुल 135 लोगों की मौत हो गई थी. मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने के मामले में एसआईटी ने कई अहम तथ्य दर्ज किए हैं. प्रबंधन की ओर से पुल की मरम्मत की क्या प्रक्रिया थी. इस प्रक्रिया के लिए कौन जिम्मेदार था? कौन इसे करने में चूक गया? इन सभी बातों की पुष्टि करने के बाद उन्होंने 5 हजार पन्नों की अपनी रिपोर्ट गुजरात हाईकोर्ट में सौंपी है.
एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि सस्पेंशन ब्रिज को दोबारा खोले जाने पर कोई फिटनेस रिपोर्ट तैयार नहीं की गई थी. यह इस त्रासदी के लिए एक बड़ी गलती है. मोरबी नगर पालिका को पुल दोबारा खोले जाने की जानकारी नहीं दी गई. चूंकि पुल पर यात्रियों के लिए निर्धारित दर टिकटों की बिक्री पर कोई नियंत्रण नहीं है, दुर्घटना के समय पुल पर क्षमता से अधिक लोग मौजूद थे.