मोरबी (गुजरात): गुजरात के मोरबी में केबल पुल हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार नौ लोगों में से चार लोगों को एक मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को पुलिस हिरासत में जबकि अन्य पांच को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. अदालत ने पुल की मरम्मत के लिए जिम्मेदार कंपनी ओरेवा ग्रुप के दो प्रबंधकों और दो सब-कांट्रैक्टर को शनिवार, 5 नवंबर तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. अभियोजक एचएस पांचाल ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान ने सुरक्षा गार्ड और टिकट बुक करने वाले क्लर्क सहित गिरफ्तार पांच लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है क्योंकि पुलिस ने उनकी हिरासत नहीं मांगी थी.
पढ़ें: मोरबी हादसे की व्यापक जांच कर इससे जुड़े सबक को अमल में लाया जाए : मोदी
इस संबंध में अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को अदालत को बताया कि मोरबी के केबल पुल की मरम्मत का काम जिन ठेकेदारों ने किया, उनके पास इसको करने की योग्यता नहीं थी. रविवार की शाम में यह पुल गिरने से अभी तक 135 लोगों की मौत हुई है. फॉरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुल की फ्लोरिंग को बदल दिया गया था लेकिन उसके तार नहीं बदले गए थे और वह (पुराने तार) नई फ्लोरिंग का वजन नहीं उठा सके.
पढ़ें: मोरबी हादसा : न्यायिक जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल
पुलिस ने सोमवार को नौ लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) में मामला दर्ज किया. अदालत ने जिन चार लोगों को पुलिस हिरासत में भेजा है उनमें ओरेवा के प्रबंधक दीपक पारेख और दिनेश दवे, मरम्मत का काम करने वाले ठेकेदार प्रकाश परमार और देवांग परमार शामिल हैं. वहीं, फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पांचाल ने अदालत को बताया कि फॉरेंसिक विशेषज्ञों का मानना है कि नयी फ्लोरिंग के वजन के कारण पुल का मुख्य तार टूट गया.