नई दिल्ली :संसद में 18 जुलाई को शुरू हुआ 17वीं लोकसभा का नौवां सत्र सोमवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इसकी घोषणा की. उन्होंने बताया कि इस सत्र के दौरान कुल 16 बैठकें हुईं, जो लगभग 44 घंटे 29 मिनट तक चलीं. लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी बताया कि सत्र के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण विधायी कार्य किए गए. वहीं, इस दौरान 06 सरकारी विधेयक पेश और निम्नलिखित 07 विधेयक पारित किए गए. वे हैं- भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022, कुटुंब न्यायालय (संसोधन) विधेयक 2022, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक 2022, वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2022, केन्द्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2022, ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022 तथा नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक 2022. वन्य जीव संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2021 पर पांच घंटे पांच मिनट तक चर्चा हुई और 39 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया.
प्रश्नकाल का उल्लेख करते हुए ओम बिड़ला ने कहा कि सत्र के दौरान 46 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए. सदस्यों ने नियम 377 के तहत जनहित के 318 मामले सदन के समक्ष उठाए. शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर 98 मामले उठाए. संसदीय समितियों के प्रतिवेदनों का उल्लेख करते हुए बिड़ला ने कहा कि सत्र के दौरान विभिन्न संसदीय स्थायी समितियों द्वारा कुल 41 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए गए. संसद के दोनों सदनों के सदस्यों ने 23 जुलाई को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में भारत के निवर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को विदाई दी. द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई को संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ ली.
उन्होंने बताया कि सदन में मूल्य वृद्धि और खेलों को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता तथा इस संबंध में सरकार के कदमों के विषय पर नियम 193 के तहत दो अल्पकालिक चर्चाएं भी हुईं. महंगाई पर चर्चा में 31 सदस्यों ने भाग लिया जो छह घंटे 25 मिनट तक चली और संबंधित मंत्री के उत्तर के साथ चर्चा संपन्न हुई. बिड़ला ने कहा कि गैर-सरकारी सदस्यों द्वारा 91 विधेयक पेश किये गये जिसमें भाजपा सांसद जनार्दन सिग्रीवाल के अनिवार्य मतदान विधेयक को सभा की सहमति से वापस ले लिया गया.
मानसून सत्र में लोकसभा की कार्यवाही अधिकतर समय विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बाधित रही. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने महंगाई, खाद्य पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने और प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को लेकर सदन में हंगामा किया. हंगामे के दौरान सदन में तख्तियां दिखाने और आसन की अवमानना के मामले में कांग्रेस के चार सदस्यों को निलंबित भी किया गया जिनका निलंबन बाद में वापस लेने के साथ ही सदन में महंगाई पर चर्चा प्रारंभ हुई.
उन्होंने कहा कि 27 जुलाई को मोजाम्बिक गणराज्य की संसद के अध्यक्ष के नेतृत्व में मोजाम्बिक के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने विशेष बॉक्स से लोकसभा की कार्यवाही देखी. वहीं, अध्यक्ष बिड़ला ने प्रधानमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, विभिन्न दलों के नेताओं और सदस्यों को सदन के सुचारू संचालन में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया. 17वीं लोकसभा के नौवें सत्र की शुरुआत 18 जुलाई को हुई थी. वंदे मातरम की धुन के बाद सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी.
राज्यसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, हंगामे के कारण 47 घंटे बाधित रहा सत्र
राज्यसभा में मानसून सत्र अपने निर्धारित समय से चार दिन पहले आज अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस दौरान विभिन्न विषयों पर विपक्ष के हंगामे के कारण जहां कामकाज के 47 घंटे बाधित रहे वहीं मात्र पांच सरकारी विधेयकों को ही पारित किया जा सका. उच्च सदन में मानसून सत्र 18 जुलाई को शुरू होने के बाद महंगाई सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के सदस्यों के हंगामे के कारण कामकाज बाधित रहा. सत्र के दौरान सदन में अमर्यादित आचरण के कारण विपक्ष के 23 सदस्यों को निलंबित किया गया. इन सदस्यों को 26, 27 और 28 जुलाई को उस सप्ताह के शेष दिनों के लिए निलंबित किया गया.
सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि 18 जुलाई को शुरू हुए इस सत्र में कुल 16 बैठकें हुईं. उन्होंने कहा कि इस दौरान 38 घंटे से अधिक काम हुआ किंतु व्यवधान के कारण 47 घंटे कामकाज बाधित रहा. उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान नियमित रूप से कामकाज बाधित होता रहा जिससे सदस्यों ने लोक महत्व के अत्यावश्यक विषयों को सदन में उठाने का अवसर गंवा दिया. उन्होंने कहा कि साथ ही सदस्यों द्वारा पूरक प्रश्न पूछकर कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने का अवसर भी गंवा दिया गया. सभापति ने कहा कि स्वीकृत किए गए 235 तारांकित प्रश्नों में से मात्र 61 का ही मौखिक रूप से उत्तर दिया जा सका. उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान केवल पांच सरकारी विधेयकों को चर्चा कर पारित किया जा सका.
इससे पहले, सोमवार को उच्च सदन में सभापति नायडू को विदाई दी गयी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी, सदन के नेता पीयूष गोयल, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित विभिन्न दलों के नेताओं और कई सदस्यों ने नायडू के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने निष्पक्षता के साथ सदन की कार्यवाही का संचालन किया. सभापति के रूप में नायडू का कार्यकाल दस अगस्त को समाप्त होने जा रहा है.
मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन में जो विधेयक पारित किए गये उनमें राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान को गतिशक्ति विश्वविद्यालय में परिवर्तित करने के प्रावधान वाला केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, 2022, राष्ट्रीय डोपिंग-रोधी विधेयक, 2022, भारतीय अंटार्कटिक विधेयक 2022 शामिल हैं. उच्च सदन में दो अगस्त को महंगाई के मुद्दे पर करीब चार घंटे तक चर्चा हुई जिसका वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया.
मानसून सत्र का 16वां दिन संपन्न
मानसून सत्र का आज (सोमवार) 16वां दिन था. लोकसभा की कार्यवाही की शुरुआत अध्यक्ष ओम बिड़ला के बयान से हुआ, जिसमें उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की 80वीं वर्षगांठ पर अभिभाषण दिया. इसके बाद शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में लोकसभा में मौन रखा गया. लोकसभा अध्यक्ष ने कॉमनवेल्थ खेलों में भारत की प्रदर्शन की जानकारी देते हुए कहा कि भारत ने अब तक 18 गोल्ड, 15 सिल्वर, 22 कांस्य पदकों को जीतकर इतिहास बनाया है. उन्होंने सदन की तरफ से सभी खिलाड़ियों को बधाई दी.
सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक स्थगित
अंत में अध्यक्ष ओम बिड़ला ने लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किये जाने की घोषणा की.
नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक को मिली मंजूरी
केंद्र सरकार ने 'नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (संशोधन) विधेयक, 2022' पेश किया. कानून मंत्री किरेन रिजुजू नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अधिनियम, 2019 में संशोधन के लिए विधेयक को विचार के लिए पेश किया, जिस पर चर्चा हुई. चर्चा के बाद सदन में विधेयक को पारित कर दिया गया. अधिनियम नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना के लिए प्रावधान प्रदान करता है और इसे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में नामित करता है. मध्यस्थता केंद्र वैकल्पिक विवाद समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की जगह लेता है.
अधिनियम कहता है कि मध्यस्थता केंद्र अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू मध्यस्थता और सुलह के संचालन को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करेगा. विधेयक में वैकल्पिक विवाद समाधान के अन्य रूपों के संचालन को शामिल करने का प्रावधान है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा विनियमों के माध्यम से मध्यस्थता और वैकल्पिक विवाद समाधान के अन्य रूपों के संचालन के तरीके को निर्दिष्ट किया जाएगा. अधिनियम केंद्र सरकार को अधिनियम के लागू होने की तारीख से दो साल तक अधिनियम को लागू करने में किसी भी कठिनाई को दूर करने की अनुमति देता है. बिल इस समयावधि को बढ़ाकर पांच साल करता है.