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मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयाेग वायरस के प्रभाव काे कम करता है : डॉ डी नागेश्वर रेड्डी

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से काेराेना के इलाज काे लेकर एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (एआईजी) के अध्यक्ष डॉ डी नागेश्वर रेड्डी ने विशेष जानकारी साझा की है.

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Published : May 31, 2021, 4:59 AM IST

नई दिल्ली : आधुनिक चिकित्सा एक बार फिर रोगियों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (एमएबी) के रूप में इलाज काे लेकर आश्वस्त कर रही है. एंटीबॉडी आधारित उपचार ने वायरल के प्रभाव को कम कर दिया है.

इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने इसके आपातकालीन उपयोग काे मंजूरी देते हुए एक निजी दवा कंपनी को 2 लाख खुराक आयात करने की अनुमति दी है.

यानी यूएसएफडीए ने जिस इलाज को मंजूरी दी थी, वह अब हमारे देश में भी उपलब्ध होगा. विशेषज्ञाें की मानें ताे एंटीबॉडी उपचार वायरस के हल्के प्रभाव को रोकता है और परिणामस्वरूप 7 से 10 दिनों के भीतर पूरी तरह से ठीक हो जाता है.

हालांकि, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (एआईजी) के अध्यक्ष डॉ डी नागेश्वर रेड्डी ने कहा कि उपचार केवल उन निर्धारित मामलों में दिया जाना चाहिए जिनमें काेविड ​​-19 से अधिक खतरा होता है.

डॉ रेड्डी ने उपचार, सुरक्षा और कार्यान्वयन के बारे में विस्तार से बात की. पेश है कुछ खास सवालाें के जवाब

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी क्या है?

एंटीबॉडी कई प्रकार के होते हैं. इनमें से कुछ ही वायरल संक्रमण में प्रभावी हाेते हैं. नई एंटीबॉडी विकसित करने के लिए कॉकटेल या दवाओं का उपयोग किया जाता है. वर्तमान में, COVID-19 रोगियों के लिए Casirivimab और Imdevimab के एंटीबॉडी कॉकटेल को मंजूरी दी गई है.

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्रयोगशाला-निर्मित प्रोटीन हैं. इसकी मौजूदा कीमत 70,000 रुपये है. प्लाज्मा थेरेपी में विभिन्न प्रकार के एंटीबॉडी होते हैं, लेकिन मोनोक्लोनल में केवल 2 प्रकार होते हैं, 5 एमएल की मोनोक्लोनल एंटीबॉडी 5 लीटर प्लाज्मा के बराबर होती है.

ट्रंप के इलाज के नाम से मशहूर

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को काेराेना हाेने पर कासिरिविमैब (Casirivimab ) और इम्वीडेमैब (Imdevimab) दिया गया था और वे 2 दिनों के भीतर ठीक हो गये. लेकिन फिर भी एमएबी सभी के लिए उपयुक्त या आवश्यक नहीं है.

एमएबी का उपयाेग कब करना चाहिए?

लक्षण दिखने के 3 से 7 दिनों के भीतर यह लिया जा सकता है. 10 दिन के बाद एंटीबॉडी लगाने का खास प्रभाव नहीं हो सकता. तब तक वायरस का प्रभाव दस गुना बढ़ चुका होगा.

एमएबी इनके लिए नहीं सुरक्षित

ऑक्सीजन सपोर्ट या मैकेनिकल वेंटिलेशन पर मरीज

एकाधिक अंग काम नहीं करने वाले व्यक्ति

गर्भवती महिला

डॉ नागेश्वर रेड्डी ने कहा कि वर्तमान मामलों में से 60 से 70 प्रतिशत डबल म्यूटेंट के कारण बताए जा रहे हैं.

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उन्हाेंने कहा कि इससे जुड़े शोध के लिए 100 लोगों का चयन किया गया है. परिणाम 4 सप्ताह में उपलब्ध होगा. हम केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे. उन्हाेंने कहा कि एआईजी में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू कर दिया है.

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