जम्मू : अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और 8 अन्य यूरोपीय देश में तेजी से फैल रहे नए वायरस 'मंकीपॉक्स' को लेकर दुनियाभर में चिंता है. जम्मू कश्मीर में भी इसको लेकर सतर्कता बरती जा रही है. राज्य निगरानी अधिकारी, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं डॉ. हरजीत राय ने कहा कि 'मंकीपॉक्स' से प्रभावित देशों से लौटने वालों से कहा गया है कि त्वचा में किसी भी तरह के दर्द, बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी और थकावट जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत पास के अस्पतालों के डॉक्टरों को सूचना दें.
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों को डायग्नोसिस रिपोर्ट आने तक संदिग्ध मरीजों को अलग रखने को कहा गया है. ये भी कहा गया है कि अगर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो किसी भी हाल में इलाज पूरा होने तक क्वारंटाइन किया जाए. मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीजों का इलाज करते समय संक्रमण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.
मंकीपॉक्स की जांच के संबंध में कहा गया है कि संदिग्ध व्यक्ति की नसों से प्राप्त द्रव या रक्त या लार को टेस्ट के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजा जाएगा. किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों की 21 दिनों के भीतर तलाश या पहचान करनी चाहिए ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके. उन्होंने कहा कि देश में और जम्मू-कश्मीर में अभी तक ऐसा कोई मामला नहीं है लेकिन स्वास्थ्य विभाग इससे निपटने के लिए तैयार है.
मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) :मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था.
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