बेंगलुरु :पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोइली ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में संभावित प्रवेश का स्वागत किया और कहा कि उन्हें किशोर को महत्वपूर्ण पद दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है.
मोइली ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा कि प्रशांत किशोर 99 प्रतिशत सफलता दर वाले चुनाव रणनीतिकार हैं और उन्होंने स्वेच्छा से हमारे साथ सहयोग करने को कहा है. किशोर को पार्टी में लाने की प्रक्रिया जारी है उन्होंने किशोर के पार्टी में आने और अन्य आंतरिक सुधारों को कांग्रेस का पुनरुत्थान करार दिया.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री से पूछा गया कि यदि किशोर को पार्टी में बड़ी भूमिका दी जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति तो नहीं है. मोइली ने कहा मुझे कोई आपत्ति नहीं है. मैं लगातार उनके संपर्क में हूं.
पंजाब में अचनाक हुए नेतृत्व परिवर्तन पर मोइली ने कहा कि पार्टी ने स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला. उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह की सहराना की है जिन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है और उनकी जगह चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य की बागडोर सौंपी गई है.
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चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (poll strategist Prashant Kishor) को कांग्रेस में शामिल होने और उन्हें असाधारण दर्जा दिए जाने की अटकलों पर पार्टी में दो तरह विचार सामने आ रहे हैं. इस वजह से किशोर को शामिल करने का अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) पर छोड़ दिया गया है. हालांकि प्रशांत किशोर ने पार्टी में अपनी भूमिका तय करने के लिए पिछले कुछ महीनों में गांधी परिवार के साथ कई बैठकें की हैं.
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कौन हैं प्रशांत किशोर
व्यक्तिगत परिचय :1977 में पैदा हुए प्रशांत किशोर यूनाइटेड नेशन में 8 साल तक पॉलिटिकल स्ट्रैटिज्ट के तौर पर काम कर चुके हैं. मूल रूप से वह बिहार के रोहतास के हैं मगर उनके पिता डॉ. श्रीकांत पांडेय बक्सर में शिफ्ट हो गए . पीके की पढ़ाई बक्सर में हुई. चुनाव में जीत के बाद से उन्हें पीके के तौर पर जानते हैं.
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पश्चिम बंगाल (West Bengal Election 2021) की 294 विधानसभा सीट के लिए 27 मार्च से मतदान शुरू होने वाला था. 10 मार्च 2021, चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पैर चोट आई. इससे पहले पश्चिम बंगाल में एक स्लोगन फेमस हो गया था- खेला होबे यानी खेल होगा. 2 मई को चुनाव के नतीजे आ गए और खेला हो चुका था. तृणमूल कांग्रेस 213 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी थी और ममता बनर्जी तीसरी बार सीएम बनना तय हो गया था. इस जीत के साथ एक बार फिर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनकी आई-पैक (I-PAC) की टीम सफलता का स्वाद चख चुकी थी. इसके साथ तमिलनाडु में भी प्रशांत किशोर की रणनीति कामयाब रही और डीएमके सत्ता में लौटी.
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प्रशांत किशोर चुनाव में न सिर्फ कैंपेन डिजाइन करते हैं बल्कि गठबंधन की शक्ल-सूरत भी तय करते हैं. 2015 के बिहार चुनाव में आरजेडी-जेडी (यू ) से इसकी शुरुआत हुई. यह भी माना जाता है कि महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी को साथ लाने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस को एक प्लैटफॉर्म पर लाए, हालांकि तब उन्हे चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिली. अभी केंद्र में सारे विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं. ममता बनर्जी की सोनिया-राहुल समेत विपक्ष के अन्य नेताओं से मुलाकात के बाद यह चर्चा चल रही है कि यह 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पीके की रणनीति है. चूंकि वह कई दलों के नेताओं के लिए काम कर चुके हैं इसलिए हर पार्टी के बड़े नेता उनकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल हैं.
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(पीटीआई-भाषा)