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MoHUA ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश के 10 शहरों के बारे में दी जानकारी

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में चल रही परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 10 शहरों के बारे में जानकारी दी है. पढ़ें इस बारे में पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

smart city mission
स्मार्ट सिटी मिशन

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Published : Apr 14, 2023, 9:41 PM IST

नई दिल्ली: पांच साल पूरे करने के बाद भी भारत भर में 68 स्मार्ट सिटी परियोजनाओं ने मिशन के तहत अपने भौतिक लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया है. विडंबना यह है कि आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (एमओएचयूए) ने भी विभिन्न राज्यों में परियोजनाओं के कार्यान्वयन में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 10 शहरों की पहचान की है. ईटीवी भारत को मिले आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, ग्रेटर वारंगल, आइजोल, गुवाहाटी, अमरावती, दीव, इम्फाल, पोर्ट ब्लेयर, शिलॉन्ग, पुडुचेरी और कवारत्ती जैसे शहर जहां तक स्मार्ट शहरों की भौतिक और वित्तीय प्रगति का संबंध है, शीर्ष 10 खराब प्रदर्शन करने वाले शहर हैं.

अमरावती स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत 1,812.00 करोड़ रुपये में से, भारत सरकार ने अब तक 488.00 रुपये की राशि जारी की है और इतनी ही राशि राज्यों द्वारा मार्चिंग शेयर फंड के रूप में जारी की गई है. विडंबना यह है कि अमरावती में लागू होने वाली कुल 42 परियोजनाओं में से शून्य परियोजनाएं पूरी हुई हैं. 2,256.00 करोड़ रुपये की कुल लागत वाली गुवाहाटी स्मार्ट सिटी परियोजना, कुल 185 परियोजनाओं में से केवल नौ परियोजनाएं पूरी की गई हैं. इसी तरह, दीव स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की कुल 50 परियोजनाओं में से केवल 14 ही पूरी हुई हैं. दीव स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत 1,442.70 करोड़ है.

1,039.00 करोड़ रुपये की लागत वाली शिलांग स्मार्ट सिटी परियोजना, 96 की कुल नियोजित परियोजनाओं में से केवल एक परियोजना पूरी की गई है. 105 की कुल नियोजित परियोजनाओं में से आइज़ोल स्मार्ट सिटी परियोजना की केवल सात परियोजनाएं पूरी की गई हैं. आइजोल स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत 2,053.01 करोड़ रुपये है. तेलंगाना की ग्रेटर वारंगल स्मार्टी सिटी परियोजना ने 128 की कुल नियोजित परियोजनाओं में से केवल 32 परियोजनाओं को पूरा किया है. ग्रेटर वारंगल स्मार्ट सिटी परियोजना की कुल लागत 2,740.00 करोड़ रुपये है.

2016 में घोषित, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चयन का अंतिम दौर जनवरी 2018 में किया गया था और इसलिए पांच साल की निर्धारित अवधि पूरी हो गई है. मंत्रालय द्वारा किए गए वित्तीय आवंटन के संबंध में, मिशन को 48,000 करोड़ रुपये की कुल वित्तीय सहायता में से, 36,561 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और स्मार्ट शहरों द्वारा 33,012 करोड़ रुपये (कुल जारी का 90 प्रतिशत) का उपयोग किया गया है. मिशन के तहत 100 स्मार्ट शहरों ने 2,05,018 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का प्रस्ताव दिया है. जिनमें से 1,81,349 करोड़ रुपये की 7,821 परियोजनाओं पर काम शुरू किया जा चुका है. अब तक 1,00,450 करोड़ रुपये की 5,343 परियोजनाओं को पूरा किया जा सका है.

हालांकि, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शुरू की गई परियोजनाओं की शहरवार भौतिक प्रगति से पता चलता है कि विभिन्न शहरों के प्रदर्शन में विपरीत अंतर है. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 32 स्मार्ट शहरों ने SCM के तहत कार्यान्वयन के लिए नियोजित परियोजनाओं की संख्या से अधिक पूरा किया है, कुछ मामलों में वास्तविक लक्ष्य से चार गुना अधिक भी. दूसरी ओर, शेष 68 स्मार्ट शहरों ने अभी तक परियोजना पूर्णता लक्ष्यों को पूरा नहीं किया है, जिसमें कुछ शहरों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक है.

अधिकारी ने कहा कि कई शहरों ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अतिरिक्त परियोजनाएं पूरी की हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश में काकीनाडा स्मार्ट सिटी परियोजना ने कार्यान्वयन के लिए कुल नियोजित 10 परियोजनाओं में से 72 परियोजनाओं को पूरा कर लिया है. छत्तीसगढ़ में रायपुर स्मार्ट सिटी परियोजना ने कार्यान्वयन के लिए कुल स्वीकृत 90 परियोजनाओं में से 240 परियोजनाओं को पूरा किया है. नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने कार्यान्वयन के लिए 40 की कुल नियोजित परियोजनाओं में से 97 परियोजनाओं को पूरा किया है.

कर्नाटक में सूरत, जम्मू, श्रीनगर, बेलगावी, कर्नाटक में दावणगेरे, कर्नाटक में तुमकुरु, मध्य प्रदेश में इंदौर जैसे शहर कुछ ऐसे शहर हैं जिन्होंने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अतिरिक्त परियोजनाओं को पूरा किया है. अधिकारी ने कहा कि पिछले 12 महीनों में 39,085 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी हुई हैं. ये त्वरित परियोजना पूर्णता उल्लेखनीय है, क्योंकि शहर जमीन पर कई चुनौतियों के बावजूद हासिल करने में सक्षम रहे हैं, जिनमें कोविड-19 महामारी, राजनीतिक और क्षेत्रीय विचार, भूमि, श्रम आदि से संबंधित स्थानीय चुनौतियां शामिल हैं.

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अधिकारी ने कहा कि इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट सिटी मिशन की मिशन अवधि जून 2023 तक बढ़ा दी गई है और सभी स्मार्ट शहरों से निर्धारित समय के भीतर अपनी परियोजनाओं को पूरा करने की उम्मीद है. स्मार्ट सिटी मिशन 25 जून, 2015 को लॉन्च किया गया था. इस योजना का उद्देश्य उन शहरों को बढ़ावा देना है जो बुनियादी ढांचा, स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण प्रदान करते हैं और स्मार्ट समाधानों के माध्यम से अपने नागरिकों को जीवन की एक अच्छी गुणवत्ता प्रदान करते हैं. राज्य और केंद्र स्तर पर दो चरणों वाली चुनौती प्रक्रिया के माध्यम से 100 शहरों को स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित करने के लिए चुना गया है.

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