पटनाः आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का भागलपुर दौरा कई मायनों में खास है. लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर मोहन भागवत का बिहार में आना और बिहार में भी उसी क्षेत्र में जाना, जहां भाजपा अपने आप को कमजोर मानती है या फिर उन क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ कम रही है. ऐसे में आरएसएस प्रमुख भाजपा के लिए एक बड़ी हैं. मोहन भागवत का अकेले भागलपुर जाना कई क्षेत्रों को साध रहा है. भागलपुर के अलावा कोसी का पूरा क्षेत्र, सीमांचल का पूरा क्षेत्र और झारखंड के बॉर्डर इलाके साहिबगंज और आसपास के इलाके को साध रहा है.
हिंदुत्व के बहाने साधु-संतों पर निशानाः भागलपुर के कुप्पाघाट पर गुरु महर्षि मेंही परमहंस का आश्रम है. ऐसा माना जाता है की गुरु महर्षि मेंही परमहंस ऐसे संत रहे थे जिनके फॉलोअर देश और दुनिया में लाखों लोग हैं. महर्षि मेंही की जयंती और गुरु पूर्णिमा पर लाखों की भीड़ यहां जमा होती है. इनमें बड़ी संख्या में कोसी और सीमांचल के लोग शामिल होते हैं. आश्रम से हजारों साधु-संत जुड़े हुए हैं, जो अलग-अलग क्षेत्र में अपना आश्रम चलाते हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत यहां पहुंचकर उन सभी साधु संतों से मुलाकात कर रहे हैं. मोहन भागवत साधु संतों की बातों को जानेंगे और आरएसएस की विचारधारा से उन्हें परिचित कराएंगे.
हिंदुओं को गोलबंद करने का प्रयासः बताया जाता है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पिछली बार फरवरी में जब यहां आए थे तो उन्होंने साधु संतों से मिलने की इच्छा जताई थी. यह कार्यक्रम उसी समय बना था. लेकिन, यह महज संयोग नहीं है. पूरी तरह से एक रणनीति का हिस्सा है. भाजपा की तरफ से लोकसभा चुनाव 2024 सनातन के मुद्दे पर लड़ने की तैयारी की जा रही है. सनातन को कैसे मजबूत किया जाए, सनातन को कैसे बचाया जाए और सनातन को बचाने में क्या जरूरी हैं? इसको लेकर ये दौरा काफी महत्वपूर्ण है. भागलपुर से सटे बांका, साहिबगंज झारखंड के बॉर्डर एरिया में अनुसूचित जनजाति के लोगों को दूसरे धर्म में कन्वर्ट कराया जा रहा है. ऐसे में सनातन धर्म से जुड़े संत महात्मा और साधुओं को बुलाकर मीटिंग करना आरएसएस प्रमुख के दौरे की रणनीति रही है.