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बाइडेन जीते तो मोदी सरकार से अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर हो सकता है सवाल : संजय बारू

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उनके मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू का कहना है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए जो बाइडेन की जीत होती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को अल्पसंख्यक अधिकारों के मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है. वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी ने संजय बारू से बातचीत की. जानें उन्होंने क्या कुछ कहा...

संजय बारू से  साक्षात्कार
संजय बारू से साक्षात्कार

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Published : Nov 5, 2020, 11:08 AM IST

Updated : Nov 5, 2020, 12:42 PM IST

नई दिल्ली :अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए द्वेशपूर्ण दौड़ के परिणाम चाहे जो हो दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के साथ भारत के व्यापार और सुरक्षा संबंध अप्रभावित रहेंगे, लेकिन यदि डेमोक्रेट्स जीत जाते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को अल्पसंख्यक अधिकारों के मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उनके मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू का यह कहना है.

पूर्व पत्रकार व घरेलू और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की गहरी समझ रखने वाले पर्यवेक्षक संजय बारू जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में चुनाव के परिणाम की परवाह किए बिना नीति में निरंतरता बनी रहेगी, विशेष रूप से सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों को लेकर क्योंकि भारत को अमेरिका में इन क्षेत्रों में दोनों दलों का समर्थन प्राप्त है. बारू ने ईटीवी भारत को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि अगर ट्रंप जीत जाते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बहुत सहजता के साथ गुजरेगा, क्योंकि दोनों ने अमेरिका के साथ रिश्ते मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं. यहां तक कि हाल में टू प्लस टू की बैठक भी स्वीकार कर ली.

संजय बारू से साक्षात्कार

हालांकि, वह बताते हैं कि अगर जो बाइडेन की जीत होती है तो रिश्ते बनाने के लिए कुछ प्रयास करने की जरूरत होगी, क्योंकि कुछ डेमोक्रेट अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार और मानवाधिकार रिकॉर्ड को लेकर मोदी सरकार से खुश नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि कई डेमोक्रेट हैं जो देश में मोदी सरकार जिस तरह से कामकाज कर रही है. उससे बहुत खुश नहीं हैं. मानवाधिकार के सवाल अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव, ये सभी मुद्दे हैं जो सामने आएंगे और हमें उनका अपने स्तर से निवारण करना होगा. बाइडेन मानवाधिकारों को लेकर भारत के रिकॉर्ड की अनदेखी नहीं करेंगे. बारू ने कहा कि मुझे लगता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के दृष्टिकोण में एक अंतर होगा, जहां ट्रंप भारत में मानवाधिकार के मुद्दे और अल्पसंख्यको से बर्ताव के मुद्दे में से कुछ की अनदेखी करने के लिए तैयार थे, बाइडेन इन मुद्दों की उपेक्षा नहीं करेंगे.

कमला हैरिस के बारे में एक सवाल के जवाब में बारू स्पष्ट किया कि कई अन्य डेमोक्रेट भी मोदी सरकार के शासन में मानव अधिकारों और अल्पसंख्यकों के साथ बर्ताव के मुद्दे पर आलोचक हैं. हैरिस ने राज्य के विशेष दर्जा देने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद कश्मीर मुद्दे से निपटने को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की थी.

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ कमला हैरिस का नहीं है, एक पार्टी के रूप में डेमोक्रेटिक पार्टी बहुत महत्वपूर्ण है. डेमोक्रेटिक पार्टी के कई सदस्य हैं जो हमारे रिकॉर्ड के आलोचक रहे हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल मॆ मई 2004 से 2008 के अगस्त तक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में मुख्य प्रवक्ता रहे बारू ने मोदी सरकार के तहत अमेरिकी राजनीति और भारतीय राजनीति के बीच जो विपरीत है उसका उल्लेख करते हुए कहा कि राजग सरकार में भारतीय अल्पसंख्यकों का उचित प्रतिनिधित्व नहीं है.

बारू ने कहा कि भारत में हम सभी को गर्व है कि कमला हैरिस उप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हैं, वह राष्ट्रपति भी बन सकती हैं. वे एक भारतीय माँ और एक अफ्रीकी-अमेरिकी पिता की संतान हैं. यहां हमारे मंत्रिमंडल में वरिष्ठ पद पर एक भी मुस्लिम नहीं है.

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बारू ने देश के बाहर मोदी सरकार के बारे में धारणा को स्पष्ट करते हुए कहा कि दुनिया यह देखती है कि हमारी आबादी का 13 फीसद हिस्सा मुसलमानों का है, और अभी तक हमारे मंत्रिमंडल में कोई भी अल्पसंख्यक वरिष्ठ मंत्री के पद पर मुसलमान नहीं है, सरकार में कोई भी वरिष्ठ पद पर नहीं है, इसलिए पूरी दुनिया पूछ रही है इस देश में क्या हो रहा है.

Last Updated : Nov 5, 2020, 12:42 PM IST

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