नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संवैधानिक पद की जिम्मेदारी संभालते हुए अपने 20 साल पूरे कर लिए. इस दौरान 13 साल तक वह गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने इस उपलब्धि के लिए मोदी की जमकर सराहना की. मोदी वर्ष 2001 से 2014 तक लगातार चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने.
पिछले तीन दशक से प्रधानमंत्री मोदी के सहयोगी रहे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज से 20 वर्ष पूर्व नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और वहां से शुरू हुई विकास व सुशासन की यात्रा आज तक अविरल जारी है. उन्होंने कहा, 'इन 20 वर्ष में प्रधानमंत्री मोदी ने जनता व देश की उन्नति के लिए दिन रात एक कर परिश्रम की पराकाष्ठा को चरितार्थ किया.'
शाह ने कहा कि वह जनता और देश की प्रगति के लिए हर समय काम कर रहे हैं. एक के बाद कई ट्वीट कर शाह ने कहा कि 20 साल पहले इस दिन, मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और विकास एवं सुशासन की जो यात्रा उस वक्त शुरू हुई थी वह आज तक जारी है. उन्होंने कहा कि इन 20 वर्ष में, मोदी ने लोगों और देश की प्रगति के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की है.
ट्वीट (गृह मंत्री अमित शाह) शाह ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राज्य सरकार और केंद्र सरकार के मुखिया के रूप में जनसेवा में 20 वर्ष पूरे करने पर बधाई देता हूं.' गृह मंत्री ने कहा, 'गरीब कल्याण एवं अंत्योदय को समर्पित इन 20 वर्षों में मोदी जी ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और समय से आगे की सोच से असंभव को संभव करके दिखाया.' शाह ने कहा कि यह उनका सौभाग्य था कि उन्हें मोदी के नेतृत्व में, पहले गुजरात में और फिर केंद्र में उनकी सरकार और पार्टी में काम करने का अवसर मिला.
उन्होंने ट्वीट किया, 'आइए मोदी जी के नेतृत्व में हम सभी देशवासी मिलकर एक सशक्त एवं आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दें.'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संवैधानिक पद पर रहते हुए सार्वजनिक जीवन में 20 वर्ष पूरे करने के लिए हार्दिक बधाई. यह अखंड 20 वर्ष लोक कल्याण के प्रति समर्पित होने के साथ निष्कलंक भी रहे हैं. उनकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ती रही है और आगे भी बढ़ती रहे,ऐसी शुभकामनाएं.'
भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि पहले गुजरात के मुख्यमंत्री और उसके बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधान सेवक के रूप में 20 वर्षों की उनकी जन-सेवा की यात्रा, जहां निराशा के माहौल से देश को निकाल कर 'विश्वगुरु' के पद पर अग्रसर करने की रही है, वहीं उन्होंने एक 'कर्मयोगी' के रूप में देश के जन-जन को 'नया भारत' की दृष्टि को साकार करने का आत्मविश्वास दिया है.
उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी ने संकल्प, समर्पण और सेवा के मार्ग को अपने जीवन का मूल मंत्र मानते हुए गरीबों के उत्थान और राष्ट्र की समृद्धि के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिए. एक ओर उन्होंने भारत को दुनिया में वैश्विक शक्ति बनाया है तो दूसरी ओर भाजपा को भी एक राजनीतिक दल से अलग हटकर ‘सेवा ही संगठन' के रूप में प्रतिष्ठित किया है.'
अपने पिछले 20 साल के सफर को याद करते हुए गुरुवार को देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि शीर्ष पदों पर पहुंचने की कल्पना भी उन्होंने कभी नहीं की थी. मोदी ने कहा कि आज के ही दिन 20 साल पहले उन्हें जनता की सेवा का दायित्व मिला था.
उन्होंने कहा, 'लोगों की सेवा करने की मेरी यात्रा तो कई दशक पहले शुरू हो चुकी थी, लेकिन आज से 20 वर्ष पूर्व गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे नई जिम्मेदारी मिली थी.' मोदी ने कहा कि वैसे यह भी एक संयोग है कि उत्तराखंड का गठन 2000 में हुआ और उनकी यह यात्रा इसके कुछ माह बाद 2001 में शुरू हुई.
उन्होंने कहा, 'सरकार के मुखिया के तौर पर पहले मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री पद पर पहुंचना, इसकी कल्पना भी मैंने कभी नहीं की थी.' प्रधानमंत्री ने कहा कि 20 वर्ष की उनकी यह अखंड यात्रा आज अपने 21 वें वर्ष में प्रवेश कर रही है और इस महत्वपूर्ण वर्ष में उन्हें निरंतर स्नेह और अपनत्व देने वाली धरती पर आकर वह बहुत सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'हिमालय की यह तपोभूमि जो तप और त्याग का मार्ग दिखाती है, उस भूमि पर आकर कोटि—कोटि देशवासियों की सेवा करने का मेरा संकल्प और दृढ हुआ है. यहां आकर एक नई उर्जा मुझे मिलती है. योग और आयुर्वेद की शक्ति से जिस क्षेत्र ने जीवन को आरोग्य बनाने का समाधान दिया है, वहीं से आज देश भर में अनेक नए आक्सीन संयंत्रों का लोकार्पण हुआ है.' उन्होंने कहा कि यह देवभूमि ऋषियों की तपोभूमि रही है और विश्व के लोगों को आकर्षित करती रही है.
मोदी ने कहा, 'उत्तराखंड की दिव्य धरा ने मुझ जैसे अनेक लोगों के जीवन की धारा को बदलने में बडी भूमिका निभाई है. यह भूमि इसलिए मेरे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस भूमि से मेरा नाता मर्म का भी है, कर्म का भी है, सत्व का भी है और तत्व का भी है.'