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मिशन 2022 को ध्यान में रखकर हुआ है मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार

12 मंत्रियों की छुट्टी, 7 का प्रमोशन बाकी सहयोगी, समाज और चुनावी गणित. यही है बुधवार को हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार. जिसमें जातिगत समीकरण और सहयोगियों को साधने के अलावा सबसे ज्यादा मिशन 2022 को ध्यान में रखा गया. आखिर क्या है ये मिशन 2022 ?

केंद्रीय मंत्रिमंडल
केंद्रीय मंत्रिमंडल

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Published : Jul 8, 2021, 6:02 PM IST

हैदराबाद: बुधवार 7 जुलाई को मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. टीम मोदी में 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई. इस दौरान 7 मंत्रियों का प्रमोशन हुआ जबकि 12 मंत्रियों की टीम मोदी से छुट्टी कर दी गई. इस सबके अलावा टीम मोदी के नए सदस्यों को चुनने में जिस बात का सबसे अधिक ध्यान रखा गया वो है चुनावी और जातिगत समीकरण. कह सकते हैं कि इस विस्तार के जरिये बीजेपी ने मिशन 2022 की तैयारी कर ली है.

अगले साल 7 राज्यों में है चुनाव

साल 2022 में देश के 7 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जिनमें सबसे प्रमुख है देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश, जिस पर सभी सियासी दलों की नज़र है. यूपी के साथ अगले साल के शुरूआत में उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर, गोवा में भी विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि 2022 के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं. ऐसे में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में चुनावी राज्यों का विशेष ध्यान रखा गया है.

यूपी से 7 चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह

मंत्रिमंडल विस्तार और चुनावी राज्य

उत्तर प्रदेश- राज्य में साल 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2017 विधानसभा और फिर 2019 आम चुनाव में बीजेपी का यूपी में शानदार प्रदर्शन रहा. बीजेपी उत्तर प्रदेश में 2017 का प्रदर्शन दोहराना चाहती है. मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा सात चेहरों को तवज्जो दी गयी है. इस विस्तार के साथ ही टीम मोदी में यूपी से कुल 16 मंत्री हो चुके हैं.

इस विस्तार में यूपी के सहयोगियों को साधते हुए अपना दल की अनुप्रिया पटेल को भी जगह दी गई. इसके अलावा पंकज चौधरी, सत्यपाल सिंह बघेल, भानु प्रताप सिंह वर्मा, कौशल किशोर, बीएल वर्मा और अजय कुमार ने भी बुधवार को राज्यमंत्री पद की शपथ ली.

गुजरात- पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में 2022 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. गुजरात में पिछले 2 दशक से ज्यादा वक्त से बीजेपी सत्ता पर काबिज है और उसमें से भी सबसे ज्यादा साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी काबिज रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए गुजरात की अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है.

गुजरात से 5 चेहरों को जगह

बुधवार को हुए विस्तार में यूपी के बाद गुजरात के सबसे ज्यादा 5 चेहरों को जगह दी गई. मनसुख मंडाविया और पुरुषोत्तम रुपाला ने केंद्रीय मंत्री और दर्शना विक्रम जरदोश, देवुसिंह चौहान, मुंजापाड़ा महेंद्र भाई ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली.

पंजाब-अब तक मोदी कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हरदीप सिंह पुरी को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की जिम्मेदारी के साथ आवास और शहरी मामलों का मंत्री बनाया गया है. सियासी जानकार मानते हैं कि पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए हरदीप पुरी का प्रमोशन किया गया है. पंजाब के किसानों का आंदोलन सरकार के लिए मुश्किलें बन सकता है ऐसे में हरदीप पुरी का प्रमोशन करके एक संदेश देने की कोशिश है.

उत्तराखंड, हिमाचल और मणिपुर

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के साथ ही अगले साल की शुरुआत में होने हैं. 2017 में उत्तराखंड में कमल खिलने के बाद से बीजेपी 3 मुख्यमंत्री बदल चुकी है इनमें से 2 मुख्यमंत्री तो पिछले 4 महीनों में बदले हैं. ऐसे में अजय भट्ट को केंद्र में राज्य मंत्री के रूप में जगह दी गई है. जानकार मानते हैं कि उत्तराखंड में ब्राह्मणों को साधने के लिए ये कदम उठाया गया है.

अजय भट्ट (उत्तराखंड), अनुराग ठाकुर (हिमाचल), राजकुमार रंजन (मणिपुर)

हिमाचल प्रदेश में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. हिमाचल के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर का टीम मोदी में प्रमोशन हुआ है. अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली, अब तक वो वित्त राज्य मंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे थे.

अगले साल उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में भी चुनाव होने हैं. जहां से राजकुमार रंजन सिंह को टीम मोदी में राज्यमंत्री के रूप में जगह मिली है. इसके अलावा असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को केंद्रीय मंत्री की जिम्मेदारी देकर उत्तर पूर्वी राज्यों में पैठ मजबूत करने में बीजेपी को मदद मिलेगी. उत्तर पूर्व की बात करें तो त्रिपुरा से सांसद प्रतिमा भौमिक को भी मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली है.

अपनों का साथ और जातिगत समीकरण से बनेगी बात

चुनावों के अलावा मंत्रिमंडल विस्तार में एनडीए के सहयोगियों, जातिगत समीकरण और कुछ राज्यों में चल रहे सियासी उठापटक को ध्यान में रखते हुए फैसले लिए गए हैं. यूपी में अपना दल की अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में जगह मिली तो बिहार से एलजेपी के कोटे से पशुपति पारस और जेडीयू के आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली है. हालांकि बिहार में एलजेपी और जेडीयू दोनों सहयोगियों को एक-एक मंत्रीपद दिया गया है. जो कई सवाल खड़े कर रहा है.

सहयोगियों को भी मिली जगह (पशुपति पारस, अनुप्रिया पटेल, आसीपी सिंह)

यूपी चुनाव को देखते हुए जिन 7 चेहरों को शामिल किया गया है उसमें जातिगत समीकरण का ध्यान रखा गया है. कुर्मी से लेकर दलित चेहरों को जगह दी गई है. राजस्थान के भूपेंद्र यादव को भी मंत्रिमंडल में जगह दी गई है, जो उत्तर प्रदेश के यादव बहुत मतदाताओं को देखते हुए अहम भूमिका अदा कर सकते हैं.

महाराष्ट्र में विरोधी शिवसेना को घेरने के लिए नारायण राणे को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. मराठा चेहरे को शामिल करके बीजेपी की नजरें अगले साल होने वाले बीएमसी चुनाव पर भी टिकी हैं. राणे कभी शिवसेना और कांग्रेस के साथ थे लेकिन आज महाराष्ट्र में उनकेे सबसे बड़े विरोधी हैं. खासकर शिवसेना के, ऐसे में उनको मजबूत करके महाराष्ट्र में विरोधियों की मुश्किल बढ़ाई जा सकती है.

नारायण राणे, भूपेंद्र यादव, सर्बानंद सोनोवाल

उधर बंगाल में चल रहा सियासी संग्राम जगजाहिर है. जिसका असर उत्तर पूर्वी राज्यों खासकर त्रिपुरा पर पढ़ने से बीजेपी को वहां नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. जानकार मानते हैं कि मुकुल रॉय की घर वापसी के बाद त्रिपुरा में भी घर वापसी का दौर शुरू हो सकता है जो बीजेपी के लिए मुश्किलों का सबब ना बन जाए. जिसे देखते हुए बंगाल के 4, त्रिपुरा और मणिपुर के 1-1 चेहरे को राज्यमंत्री के रूप में केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया गया है. सर्बानंद सोनोवाल को भी केंद्र में लाकर उत्तर पूर्व में पार्टी को मजबूती मिल सकती है.

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