लखनऊ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय से अनगिनत लोगों के नाम जुड़े हैं. वह सब अभिनंदन के अधिकारी हैं. लखनऊ शहर के संबंध में पीएम मोदी ने कहा कि यहां की रूमानियत ही कुछ और है. लखनऊ यूनिवर्सिटी का मिजाज अभी भी लखनवी है.
पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल की इस यात्रा में लखनऊ विश्वविद्यालय से निकले व्यक्तित्व राष्ट्रपति पद पर पहुंचे. राज्यपाल बने. विज्ञान का क्षेत्र हो या न्याय का, राजनीतिक हो या प्रशासनिक, शैक्षणिक हो या सांस्कृतिक या फिर खेल का क्षेत्र, हर क्षेत्र की प्रतिभाओं को लखनऊ विश्वविद्यालय ने संवारा है.
बंधनो में जकड़ा शरीर और खांचे में ढला हुआ दिमाग कभी प्रोडक्टिव नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय परिवार को 100 वर्ष पूरा होने पर हार्दिक शुभकामनाएं. 100 वर्ष का समय सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है. इसके साथ अपार उपलब्धियों का एक जीता जागता इतिहास जुड़ा है.
पीएम मोदी ने कहा, आज हम देख रहे हैं कि देश के नागरिक कितने संयम के साथ कोरोना की इस मुश्किल चुनौती का सामना कर रहे हैं. देश को प्रेरित और प्रोत्साहित करने वाले नागरिकों का निर्माण शिक्षा के ऐसे संस्थानो में ही होता है और लखनऊ यूनिवर्सिटी दशकों से अपने इस काम को बखूबी निभा रही है.
प्रधानमंत्री के संबोधन के प्रमुख अंश-
रायबरेली की रेल कोच फैक्ट्री में वर्षों पहले निवेश हुआ, संसाधन लगे, मशीनें लगीं, बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई, लेकिन कई वर्षों तक वहां सिर्फ डेंटिंग-पेंटिंग का ही काम होता था. 2014 के बाद हमने सोच बदली, तौर तरीका बदला. परिणाम ये हुआ कि कुछ महीने में ही यहां से पहला कोच तैयार हुआ और आज यहां हर साल सैकड़ों कोच तैयार हो रहे हैं. सामर्थ्य के सही इस्तेमाल का ये एक उदाहरण है.
एक जमाने मे देश में यूरिया उत्पादन के बहुत से कारखाने थे, लेकिन बावजूद इसके काफी यूरिया भारत बाहर से इंपोर्ट करता था. इसकी बड़ी वजह है थी कि जो देश के खाद कारखाने थे वो अपनी पूरी क्षमता से कार्य ही नहीं करते थे.
हमने सरकार में आने के बाद एक के बाद एक नीतिगत निर्णय लिए. इसी का नतीजा है कि आज देश में यूरिया कारखाने पूरी क्षमता से काम कर रहे हैं.
खादी में हम गर्व करते हैं. मैंने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए खादी का खूब प्रचार-प्रसार किया. कुछ लोग निराशावादी बातें करते थे, लेकिन मैं सकारात्मक बातों के साथ आगे बढ़ा. आज खादी स्टोर से एक दिन में 1-1 करोड़ रुपये की बिक्री होती है, तो मुझे पहले के दिन याद आते हैं. साल 2014 के पहले 20 वर्षों में जितने रुपयों की खादी की बिक्री हुई थी. उससे ज्यादा की बिक्री पिछले 6 वर्षों में हुई है.
छात्र जीवन वो अनमोल समय है, जो गुजर जाने के बाद फिर लौटना मुश्किल होता है. इसलिए छात्र जीवन का आनंद लें, प्रोत्साहित भी करें. आत्मविश्वास हमारे विद्यार्थियों में एक बहुत बड़ी आवश्यकता होती है. ये तभी आता है जब निर्णय लेने की उसे थोड़ी आजादी मिले. बंधनो में जकड़ा शरीर और खांचे में ढला हुआ दिमाग कभी प्रोडक्टिव नहीं हो सकता.
देश जब आजादी के 75 वर्ष पूरे करेगा, तब तक नई शिक्षा नीति व्यापक रूप से हमारे एजुकेशन सिस्टम का हिस्सा बने. आइए, वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः, इस उद्घोष को साकार करने के लिए जुट जाएं. आइए, हम मां भारती के वैभव के लिए अपने हर प्रण को अपने कर्मों से पूरा करें.