नीतीश कुमार का मिशन 2024. पटना:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिशन 2024 के तहत विपक्षी एकजुटता को लेकर एक-एक कर विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं और यह मुलाकात अब अंतिम दौर में पहुंच गयी है. कर्नाटक चुनाव भी हो गया है. 13 मई को कर्नाटक का रिजल्ट आ जाएगा और उसके बाद बिहार में विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक की भी तैयारी हो रही है. मुख्यमंत्री दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. ये राज्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर नहीं है. इसलिए विपक्षी दलों को एकजुट करने की नीतीश कुमार यहां कोशिश कर रहे हैं.
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इन राज्यों की लोकसभा सीट पर सीएम नीतीश की नजर:नीतीश कुमार जिन राज्यों पर अभी विशेष रूप से नजर बनाए हुए हैं उनमें बिहार के अलावे उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, ओडिशा, झारखंड और दिल्ली है. इन सभी राज्यों में बीजेपी, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का मुकाबला है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी, कांग्रेस समाजवादी पार्टी और मायावती की बसपा के बीच मुकाबला है. ऐसे तो यहां पहले भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन हो चुका है लेकिन उसका रिजल्ट अच्छा नहीं आया. समाजवादी पार्टी और मायावती के साथ भी गठबंधन हो चुका है लेकिन वह भी बीजेपी को नहीं रोक सका. नीतीश कुमार कांग्रेस के आला नेताओं के साथ विपक्ष के प्रमुख दलों से एक-एक करके मिल रहे हैं. इसे राजनीतिक पंडित अलग चश्मे से देख रहे हैं और इस मुहिम के लिए कांग्रेस का साथ जरूरी मानते हैं.
"नीतीश कुमार ईमानदारी से विपक्षी एकजुटता के लिए मुहिम चला रहे हैं. लेकिन जब तक कांग्रेस की तरफ से अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन का ग्रीन सिग्नल नहीं मिल जाता है तब तक मुहिम सफल नहीं होगी. कर्नाटक चुनाव के रिजल्ट के बाद स्थिति स्पष्ट होगी."- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
यूपी में संभव है विपक्षी एकजुटता!: उत्तर प्रदेश में विपक्ष में सबसे बड़ा दल समाजवादी पार्टी है और उसके सुप्रीमो अखिलेश यादव से नीतीश कुमार लखनऊ जाकर मिल चुके हैं. उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा की सीटें हैं. फिलहाल बीजेपी और उनके सहयोगियों का 64 सीटों पर कब्जा है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार भी है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस और सपा को एक साथ लाने की कोशिश नीतीश कुमार कर रहे हैं. हालांकि विपक्ष में मायावती भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं. लेकिन नीतीश कुमार की उनसे मुलाकात नहीं हुई है. ऐसे में यह तय है उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकजुटता संभव नहीं है. लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ आती है तो उसका असर चुनाव में हो सकता है. वहीं जेडीयू का दावा है कि नीतीश के प्रयास से बीजेपी में बेचैनी है.
विपक्षी नेताओं से सीएम नीतीश की मुलाकात "विपक्षी एकजुटता की मुहिम सफल हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2024 में विपक्षी एकजुटता के माध्यम से बीजेपी को केंद्र को सत्ता से बाहर करेंगे. बीजेपी में इसी को लेकर बेचैनी भी है."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
महाराष्ट्र में नीतीश की रणनीति: वहीं महाराष्ट्र में 48 लोकसभा की सीटें हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का महा विकास आघाड़ी बना है. हालांकि सरकार फिलहाल बीजेपी और उनके सहयोगियों की है. 2019 के चुनाव में महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी एक साथ चुनाव लड़ी थी और 41 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन बाद में शिवसेना, बीजेपी से अलग हो गयी. हालांकि अब शिवसेना भी टूट चुकी है. अधिकांश सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. चुनाव के बाद महा विकास आघाड़ी बना है और नीतीश कुमार की कोशिश है कि बीजेपी के खिलाफ पूरी ताकत से महा विकास आघाड़ी चुनाव लड़े. नीतीश कुमार एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर चुके हैं.
पश्चिम में भी नीतीश की है नजर: पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात कर चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यहां 18 सीटें मिली थीं, जबकि ममता बनर्जी को 22 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं. पश्चिम बंगाल में बीजेपी, टीएमसी कांग्रेस और वामपंथी दलों के बीच मुकाबला होगा और इसलिए नीतीश कुमार चाहते हैं कि बीजेपी के खिलाफ वामपंथी दल और कांग्रेस के साथ टीएमसी का संयुक्त उम्मीदवार हो.
बिहार में विपक्ष को मजबूत बनाए रखने की कोशिश: बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. बिहार में 2019 में लोकसभा चुनाव के समय नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे और 40 में से 39 सीट एनडीए जीती थी. नीतीश कुमार को 16 सीट पर जीत मिली थी. अब बिहार में महागठबंधन है और नीतीश कुमार नेतृत्व कर रहे हैं. महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी बीजेपी के खिलाफ मजबूत गठबंधन बना हुआ है. इसे 2024 में बनाए रखने की कोशिश नीतीश कुमार कर रहे हैं.
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक से हुई थी मुलाकात:ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में नवीन पटनायक के बीजू जनता दल को 13 सीटें मिली थीं. बीजेपी को 8 सीटों पर जीत मिली. ओडिशा में बीजेपी बीजू जनता दल और कांग्रेस के बीच मुकाबला हो सकता है. नीतीश कुमार यहां भी चाहते हैं कि कांग्रेस और बीजू जनता दल एक साथ मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन नवीन पटनायक फिलहाल इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं.
झारखंड में बन गई बात:झारखंड में लोकसभा की 14 सीटें हैं. भाजपा ने 11 सीटों पर 2019 में कब्जा जमाया था. ऐसे तो झारखंड में कांग्रेस, आरजेडी के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार चल रही है और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं. नीतीश कुमार हेमंत सोरेन से मिल चुके हैं और मजबूती से बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का उम्मीदवार देना चाहते हैं. इसके लिए हेमंत सोरेन भी तैयार हैं.
दिल्ली में भी सभी दिखे थे एकमत: दिल्ली की बात करें तो लोकसभा की 7 सीटें हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सातों पर जीत मिली थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से नीतीश कुमार मिल चुके हैं. 2024 में यहां कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच मुकाबला होगा और इसलिए नीतीश कुमार चाहते हैं कि कांग्रेस और आप एक साथ मिलकर चुनाव लड़े, जिससे बीजेपी को चुनौती दिया जा सके. इन छह राज्यों के विपक्षी नेताओं से नीतीश कुमार मिल चुके हैं. मिशन 2024 के तहत नीतीश कुमार के विपक्षी एकजुटता के अभियान में 7 राज्यों में से ओडिशा के नवीन पटनायक को छोड़कर सभी ने विपक्षी एकजुटता का समर्थन किया है.
नीतीश का 252 का प्लान: बिहार सहित सात राज्यों में नीतीश कुमार ने 1 महीने में जो मुहिम चलाई है, वहां लोकसभा की सीटें कुछ इस प्रकार से हैं जिसका चुनाव में बड़ा असर पड़ेगा. यही कारण है कि नीतीश कुमार ने पिछले दिनों कांग्रेस से अपील की थी कि विपक्षी एकता को लेकर जल्द से जल्द फैसला ले. साथ ही नीतीश ने यह भी दावा किया था कि अगर विपक्ष साथ आता है तो बीजेपी 100 सीट पर ही सिमट जाएगी. नीतीश कुमार का कैलकुलेशन क्या है ये जानने के लिए आपको 7 राज्यों के समीकरण को समझना होगा.
7 राज्यों का चुनावी समीकरण इन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति नहीं बेहतर: इन 7 राज्यों में जहां नीतीश कुमार विपक्षी एकजुटता के तहत 1 महीने के अंदर विपक्षी दलों के नेताओं से मिले हैं, लोकसभा की कुल 252 सीटें हैं जिसमें से बीजेपी का डेढ़ सौ से अधिक सीटों पर कब्जा है. विपक्षी दलों को कांग्रेस के साथ 90 से भी कम सीटें इन सातों राज्यों में मिली हुई है.कांग्रेस के मुकाबले अन्य विपक्षी दल इन राज्यों में मजबूत स्थिति में हैं और यूपी को छोड़कर सभी में सरकार चला रहे हैं. नीतीश कुमार को लगता है इन राज्यों में विपक्ष को एकजुट कर बीजेपी को सत्ता से आने से रोका जा सकता है. लेकिन यह तभी होगा जब कांग्रेस के साथ सभी विपक्षी दल एक साथ चुनाव लड़े और संयुक्त उम्मीदवार दें. लेकिन जानकार कहते हैं यह इतना आसान नहीं है. ऐसे में अब नजर कर्नाटक चुनाव रिजल्ट पर है.