न्यूयॉर्क : अमेरिका के प्रसिद्ध श्रवण विज्ञानी डॉ. सुगत भट्टाचार्य ने कहा कि एअर इंडिया के विमान में एक महिला यात्री पर पेशाब करने वाले नशे में धुत व्यक्ति के पिता का यह कहना काफी हैरान करने वाला है कि संबंधित घटना हुई ही नहीं थी. उन्होंने कहा कि आरोपी होश में नहीं था और स्थिति से न निपटने के लिए पायलट जिम्मेदार है. डॉ. भट्टाचार्य 26 नवंबर को एअर इंडिया के न्यूयॉर्क से दिल्ली जा रहे विमान में महिला सहयात्री पर कथित तौर पर पेशाब करने के आरोपी शंकर मिश्रा की बगल वाली सीट पर बैठे थे.
भट्टाचार्य ने फोन पर दिए साक्षात्कार में कहा, 'मैं इतना मुखर नहीं होता. मैंने इंतजार किया, लेकिन जब उसके पिता ने कहा कि यह नहीं हुआ तो इससे मैं हैरान रह गया. एक महिला की प्रतिष्ठा से खिलवाड़ किया गया. टाटा समूह का नाम खराब किया गया. यह कोई अच्छी घटना नहीं है. आखिरकार यह मेरा नैतिक दायित्व हो गया और मैंने सोचा कि सही के साथ खड़ा होना तथा शिकायत करना मेरा नैतिक दायित्व है और मैंने यही किया.'
मिश्रा के पिता ने पिछले सप्ताह कहा था कि उनका बेटा निर्दोष है तथा वह अपनी मां की उम्र की किसी महिला के साथ ऐसी हरकत नहीं कर सकता. दिल्ली पुलिस ने 34 वर्षीय मिश्रा को बेंगलुरु से गिरफ्तार कर लिया है. दिल्ली की एक अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. भट्टाचार्य ने एअरलाइन को एक लिखित शिकायत में कहा था कि प्रथम श्रेणी में चार सीट खाली होने के बावजूद परेशान यात्री को अपनी गंदी सीट पर वापस जाने के लिए मजबूर किया गया.
उन्होंने कहा, 'पूरी घटना बहुत दुखद है. एक वरिष्ठ नागरिक की प्रतिष्ठा से महज इसलिए खिलवाड़ किया गया, क्योंकि एक युवक ने ज्यादा शराब पी ली थी. उसकी नौकरी चली गई, उसका परिवार मुश्किल वक्त से गुजर रहा है.' भट्टाचार्य ने कहा कि घटना के बाद विमान के चालक दल के सदस्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि महिला को दूसरी सीट दी जाए, क्योंकि प्रथम श्रेणी में चार सीट खाली थीं, लेकिन इसके बजाय महिला को लंबे वक्त तक इंतजार कराया गया और चालक दल का विश्राम का समय खत्म होने के बाद ही उसे उपलब्ध सीट में से एक सीट दी गई.
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने एक वरिष्ठ विमान परिचारिका से पूछा कि महिला को प्रथम श्रेणी में उपलब्ध सीट क्यों नहीं दी जा रही है तो उसने कहा कि वह फैसला नहीं ले सकती है और इस पर केवल पायलट ही फैसला ले सकता है. भट्टाचार्य ने कहा कि जब कोई अपराध होता है तो 'आप बीचबचाव की कोशिश नहीं करते. उन्हें पीड़िता और मिश्रा को किसी भी समझौते के लिए आमने-सामने नहीं बैठाना चाहिए था.'