जोधपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में 8 महीने के दौरान नाबालिग के साथ दुराचार के 185 मामले सामने आए हैं. जो पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए. बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान के गृहमंत्री भी हैं. पुलिस जांच में करीब 21 फीसदी यानी 39 मामले झूठे पाए गए. जबकि इसी अवधि में 74 मामलों में पुलिस ने चालान भी पेश कर दिया है. आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में है और शेष में अभी जांच पड़ताल जारी है. डीसीपी पश्चिम गौरव यादव का कहना है कि धारा 164 के बयानों में आरोपों की पुष्टि नहीं होती है. कुछ झूठे केस भी निकलते हैं. नाबालिग से जुडे ऐसे मामलों की जांच एडीसीपी स्तर के अधिकारी ही करते हैं. पूरी गहन जांच के बाद ही अंतिम रिपोर्ट यानी एफआर लगाई जाती है.
164 के बयान में पलटने पर झूठा साबित :नाबालिग के साथ बलात्कार या छेड़छाड़ के मामले में एफआईआर के बाद पुलिस पीड़िता की सक्षम अधिकारी के सामने धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाती है. उसी के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होती है. अगर एफआईआर में लिखे आरोप पीड़िता 164 के बयान में नहीं दोहराती है. तब पुलिस के लिए आगे की कार्रवाई करना आसान नहीं होता है. ऐसी स्थिति में झूठा मानकर एफआर लगानी पड़ती है. ज्यादातर ऐसे मामले घटना के तुंरत बाद दर्ज नहीं करवाकर कुछ समय बाद दर्ज होने वाले होते हैं.