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टीबी उन्मूलन के लिए बजट आवंटन में वृद्धि की उम्मीद कर रहा स्वास्थ्य मंत्रालय

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Published : Mar 25, 2021, 7:59 PM IST

Updated : Mar 25, 2021, 8:51 PM IST

ईटीवी भारत से बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव विकास शील ने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए बढ़ोतरी का प्रस्ताव अभी भी संसद में विचाराधीन है.

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नई दिल्ली :केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत में वर्ष 2021-22 के लिए क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम के लिए 16.7 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव विकास शील ने कहा कि 2021-22 के लिए बजटीय आवंटन अभी भी संसद में विचाराधीन है.

विकास शील ने कहा कि जब 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति बनाई गई, तो यह निर्णय लिया गया था कि सरकार टीबी कार्यक्रम के तहत प्रगतिशील कार्रवाई करेगी. तब से टीबी का बजट चार गुना से अधिक बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि टीबी संबंधी सभी गतिविधियों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित राशि से अधिक राशि (3628.85 करोड़ रुपये) वित्तीय वर्ष 2021-2022 में उम्मीद की है. इसलिए बजट आवंटन में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुरोध किया गया है.

मील का पत्थर बनाने का लक्ष्य

शील ने कहा कि मंत्रालय ने टीबी मुक्त स्थिति के प्रमाणन को भी स्थापित किया है. दिलचस्प बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के बड़गाम और लक्षद्वीप को देश का पहला टीबी मुक्त जिला और केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया है. शील ने कहा कि मुझे विश्वास है कि मंत्रालय के मार्गदर्शन से हमें 2025 तक टीबी के मरीजों की संख्या 80 प्रतिशत तक कम करने में कामयाबी मिलेगी. इससे हम मील के पत्थर तक पहुंचने में सक्षम होंगे.

टीबी उन्मूलन के लिए बजट आवंटन में वृद्धि की उम्मीद कर रहा स्वास्थ्य मंत्रालय

कोरोना की वजह से हुई दिक्कतें

सितंबर 2019 में शुरू किए गए 'टीबी हारेगा देश जीतेगा' अभियान के तहत सभी राज्य 2025 तक टीबी समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि कोविड-19 की महामारी के दौरान भारत सरकार के सभी कार्यक्रमों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. शील ने कहा कि महामारी की वजह से लोगों की आवाजाही की सीमाओं पर रोक के कारण टीबी कार्यक्रमों में भी कमी रही. हालांकि, हमने कोविड की तरह ही टीबी के दिशा-निर्देशन व स्क्रीनिंग को अपनाया है. यदि कोई भी कोविड स्क्रीनिंग कराता है, तो उसकी टीबी स्क्रीनिंग अवश्य की जानी चाहिए.

घट रही टीबी मरीजों की संख्या

इंडिया टीबी रिपोर्ट 2021 के अनुसार कोविड-19 महामारी की वजह से संसाधनों की कमी के कारण 2020 में टीबी मरीजों की संख्या 24.04 लाख से घटकर 18.02 लाख हो गई. स्वास्थ्य के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने निर्धारित समय तक टीबी को समाप्त करने के लिए विशिष्ट कार्ययोजना का गठन किया है. अधिकारी ने कहा कि यह कार्यक्रम राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के समर्थन से लक्षित संचार और सामाजिक लामबंदी के बावजूद अपनी गतिविधियों को लागू कर रहा है.

दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कार्यक्रम

अधिकारी ने कहा कि भारत का टीबी कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है. निजी क्षेत्र की भागीदारी और निकेतन पोषण योजना (पोषण सहायता के लिए 500 DBT) जैसी नई दवाओं, निदान और पहल को पैमाने पर रखकर इसे लागू किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि टीबी प्रति 1,00,000 की आबादी पर 2012 में 234 से घटकर 2018 में 199 हो गई. भारत में टीबी से प्रति 1,00,000 आबादी पर मृत्यु दर 2012 में 43 से घटकर 2018 में 33 हो गई.

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भारत ने वर्ष 2019 में टीबी के 24.04 लाख मामलों को चिन्हित किया है. इस प्रकार अज्ञात मामलों में अंतर को कम करके 2.4 लाख कर दिया गया. वर्ष 2019 में टीबी अधिसूचित मामलों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वर्ष 2019 में यह 21.55 लाख हो गई. 2019 में टीबी के कारण भारत में कुल 79,144 मौतें हुईं.

Last Updated : Mar 25, 2021, 8:51 PM IST

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