नई दिल्ली :केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत में वर्ष 2021-22 के लिए क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन कार्यक्रम के लिए 16.7 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव विकास शील ने कहा कि 2021-22 के लिए बजटीय आवंटन अभी भी संसद में विचाराधीन है.
विकास शील ने कहा कि जब 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति बनाई गई, तो यह निर्णय लिया गया था कि सरकार टीबी कार्यक्रम के तहत प्रगतिशील कार्रवाई करेगी. तब से टीबी का बजट चार गुना से अधिक बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि टीबी संबंधी सभी गतिविधियों के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित राशि से अधिक राशि (3628.85 करोड़ रुपये) वित्तीय वर्ष 2021-2022 में उम्मीद की है. इसलिए बजट आवंटन में 16.7 प्रतिशत की वृद्धि का अनुरोध किया गया है.
मील का पत्थर बनाने का लक्ष्य
शील ने कहा कि मंत्रालय ने टीबी मुक्त स्थिति के प्रमाणन को भी स्थापित किया है. दिलचस्प बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के बड़गाम और लक्षद्वीप को देश का पहला टीबी मुक्त जिला और केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया है. शील ने कहा कि मुझे विश्वास है कि मंत्रालय के मार्गदर्शन से हमें 2025 तक टीबी के मरीजों की संख्या 80 प्रतिशत तक कम करने में कामयाबी मिलेगी. इससे हम मील के पत्थर तक पहुंचने में सक्षम होंगे.
कोरोना की वजह से हुई दिक्कतें
सितंबर 2019 में शुरू किए गए 'टीबी हारेगा देश जीतेगा' अभियान के तहत सभी राज्य 2025 तक टीबी समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि कोविड-19 की महामारी के दौरान भारत सरकार के सभी कार्यक्रमों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. शील ने कहा कि महामारी की वजह से लोगों की आवाजाही की सीमाओं पर रोक के कारण टीबी कार्यक्रमों में भी कमी रही. हालांकि, हमने कोविड की तरह ही टीबी के दिशा-निर्देशन व स्क्रीनिंग को अपनाया है. यदि कोई भी कोविड स्क्रीनिंग कराता है, तो उसकी टीबी स्क्रीनिंग अवश्य की जानी चाहिए.