पाक पर ईरानी मिसाइल हमले को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा- आत्मरक्षा की कार्रवाइयों को समझते हैं हम
Iranian missile attack on Pakistan : ईरान की ओर से पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक के बाद दुनिया भर के देशों से अगल-अगल तरह की प्रतिक्रिया आ रही है. चीन ने जहां दोनों देशों को संयम बरतने की सलाह दी है, वहीं भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह पाकिस्तान और ईरान के बीच का मामला है लेकिन हम आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई को समझते हैं.
नयी दिल्ली : पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए ईरान के घातक मिसाइल हमले पर अपनी संयत एवं सधी हुई प्रतिक्रिया में भारत ने कहा कि वह देशों की ओर से अपनी आत्मरक्षा में की जाने वाली कार्रवाइयों को समझता है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह ईरान और पाकिस्तान के बीच का मामला है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत आतंकवाद के प्रति 'कत्तई बर्दाश्त नहीं करने की नीति' से समझौता नहीं करेगा. उन्होंने दोहराया कि यह ईरान और पाकिस्तान के बीच का मामला है.
प्रवक्ता ने पाकिस्तान में ईरानी मिसाइल हमले पर मीडियाकर्मियों के सवालों के जवाब में कहा कि जहां तक भारत का सवाल है, आतंकवाद के प्रति हमारी अब तक 'कत्तई बर्दाश्त नहीं करने की नीति' रही है. देश अपनी रक्षा के लिए जो कार्रवाई करते हैं, उसे हम समझते हैं. ईरान ने अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक आतंकवादी समूह के ठिकानों पर अभूतपूर्व मिसाइल और ड्रोन हमले किए.
पाकिस्तान में एक आतंकवादी समूह के ठिकानों पर ईरान के हमलों के बाद, चीन ने दोनों पक्षों से संयम बरतने का का अभ्यास करने और तनाव को बढ़ाने वाले कार्यों से बचने के लिए कहा है. बुधवार को एक नियमित प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि चीन का मानना है कि दोनों राष्ट्रों के बीच संबंधों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों द्वारा रेखांकित अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों के आधार पर संभाला जाना चाहिए.
पाकिस्तान और ईरान के बीच तनाव के बारे में चीन के बयान के बारे में पूछे जाने पर, माओ निंग ने कहा कि चीन का मानना है कि देशों के बीच संबंधों को संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय कानून के उद्देश्यों और सिद्धांतों द्वारा रेखांकित अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों के आधार पर संभाला जाना चाहिए. बयान में कहा गया कि सभी देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को ईमानदारी से सम्मान और संरक्षित किया जाना चाहिए.