नई दिल्ली :स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल बंद होने और उसके बाद घर-आधारित शिक्षा में माता-पिता की भागीदारी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने अपने ट्वीट में कहा कि महामारी के इस दौर में माता-पिता की भूमिका को बच्चों के विकास और सीखने के लिए महत्वपूर्ण है. इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य 'क्यों' और 'क्या' के आधार पर जानकारी प्रदान करना है.
स्कूल बंद होने के दौरान बच्चों की सहायता करने में उनकी भागीदारी और सहभागिता को कैसे सुनिश्चित करें, चाहे साक्षरता स्तर कुछ भी हो. उन्होंने कहा कि घर पहली पाठशाला है और माता-पिता पहले शिक्षक हैं. घर आधारित शिक्षा के दिशा-निर्देश माता-पिता के लिए सुरक्षित और आकर्षक वातावरण और सीखने का सकारात्मक माहौल बनाने की आवश्यकता पर जोर देता है. बच्चे से यथार्थवादी अपेक्षाएं रखनी चाहिए. स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए और स्वस्थ भोजन करना चाहिए. साथ ही साथ बच्चों के साथ मस्ती भी की जानी चाहिए.
ये दिशा-निर्देश केवल माता-पिता के लिए ही नहीं बल्कि देखभाल करने वाले परिवार के अन्य सदस्यों, दादा-दादी, समुदाय के सदस्यों, बड़े भाई-बहनों के लिए भी हैं. जो सभी बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. दिशानिर्देश बच्चों को घर पर सीखने की सुविधा के लिए माता-पिता और अन्य लोगों को कई सरल सुझाव प्रदान करते हैं. ये विचारोत्तेजक गतिविधियां NEP 2020 के अनुसार स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों के अनुसार हैं.
आयु-उपयुक्त कला गतिविधियों को 5 + 3 + 3 + 4 प्रणाली के आधार पर वर्गीकृत किया गया है. जैसे कि फाउंडेशन स्टेज (आयु 3-8 वर्ष), प्रारंभिक चरण (आयु 8-11 वर्ष), मध्य चरण (आयु 11-14 वर्ष) और माध्यमिक चरण किशोरावस्था से वयस्क आयु (उम्र 14-18 वर्ष) तक है. यह सरल और विचारोत्तेजक गतिविधियां हैं, जिन्हें स्थानीय जरूरतों और संदर्भों के लिए अपनाया जा सकता है. ये दिशा-निर्देश तनाव या आघात के समय में बच्चों के लिए चिकित्सा के रूप में कला की भूमिका की सराहना करते हैं.