दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड मंत्री रेखा आर्य के शिवालय में जल चढ़ाने के पत्र का AIFAWH ने किया विरोध

उत्तराखंड कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के अधिकारियों और कर्मचारियों को शिवालयों में जलाभिषेक करने को लेकर पत्र लिखे जाने पर विवाद खड़ा होता नजर आ रहा है. पत्र का ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (AIFAWH) ने विरोध किया है. संघ का कहना है कि एकीकृत बाल विकास सेवाओं को राज्य सरकार द्वारा सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है.

AIFAWH opposes Rekha Arya controversial order
रेखा आर्य पत्र एआईएफएडब्ल्यूएच विरोध किया

By

Published : Jul 24, 2022, 10:08 PM IST

नई दिल्ली: उत्तराखंड की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री रेखा आर्य के अधिकारियों और कर्मचारियों को शिवालयों में जलाभिषेक करने के लिए पत्र लिखे जाने को लेकर विवाद खड़ा होता दिख रहा है. उनके इस पत्र का ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (एआईएफएडब्ल्यूएच) ने विरोध करते हुए इसे भाजपा शासित राज्य सरकार द्वारा एकीकृत बाल विकास सेवाओं को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास बताया है. साथ ही संघ ने कहा है की बेटियों को असल में बचाना ही है तो उत्तराखंड सरकार फरवरी 2022 से लंबित मजदूरी और अनुपूरक पोषाहार के लिए बकाया राशि का भुगतान तत्काल जारी करे.

एआईएफएडब्ल्यूएच महासचिव ए आर संधू ने एक बयान में कहा कि यह भारत के संविधान और इसके धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने का एक चौंकाने वाला उल्लंघन है. उन्होंने यह भी कहा कि यह कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और महिलाओं और लड़कियों को जीवित रहने के लिए भोजन और स्वास्थ्य की बुनियादी सेवाएं प्रदान करने के लिए पीसीपीएनडीटी अधिनियम को लागू करने के लिए राज्य की जिम्मेदारी की शर्मनाक वापसी है.

उन्होंने आगे कहा कि यह विडंबना ही है कि उत्तराखंड में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के वेतन भुगतान व पूरक पोषाहार की राशि फरवरी 2022 से लंबित है. एआईएफएडब्ल्यूएच से संबद्ध उत्तराखंड आंगनबाड़ी सेविका सहायिका संघ के बकाया भुगतान की मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है और हम सभी बकाया राशि के तत्काल भुगतान की मांग करते हैं. उन्होंने यहा भी कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका विभिन्न धर्मों और व्यक्तिगत मान्यताओं से ताल्लुक रखती हैं. इसमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, आदिवासी और नास्तिक भी शामिल हैं जिनके अलग-अलग व्यक्तिगत विश्वास हैं. किसी भी सरकार या मंत्री को यह अधिकार नहीं है कि वह उन्हें आधिकारिक कार्य के हिस्से के रूप में धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए कहे.

ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनबाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (AIFAWH) ने उत्तराखंड की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं से इस आदेश का विरोध करने और इसका बहिष्कार करने का आह्वान किया है. संघ ने बताया कि देश के कई हिस्सों में फरवरी से वेतन का भुगतान केंद्रीय हिस्सा भी लंबित है. एकीकृत बाल विकास सेवाओं के बजट में भारी कटौती की जा रही है और कार्यकर्ताओं को आंगनबाड़ी केंद्र चलाने के लिए 'प्रायोजक' खोजने के लिए कहा जा रहा है.

बता दें कि एआईएफएडब्ल्यूएच बेहतर बुनियादी ढांचे, गुणवत्तापूर्ण पूरक पोषण, स्कूल पूर्व शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं, न्यूनतम मजदूरी, पेंशन और ट्रेड यूनियन अधिकारों के लिए श्रमिकों और सहायकों के अधिकारों के लिए बजट आवंटन में वृद्धि के साथ एकीकृत बाल विकास सेवाओं को मजबूत करने की मांग को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन कर रहा है. इसी कड़ी में महासंघ, आंगनबाड़ी अधिकार महापड़ाव का 26 जुलाई से 29 जुलाई तक आयोजन करने जा रहा है. वहीं 26 जुलाई को इसे लेकर राज्य स्तरीय प्रदर्शन भी किए जाएंगे.

यह भी पढ़ें-रेस्तरां विवाद : क्या अपने ही बयान पर घिर गईं स्मृति ईरानी ?

गौरतलब है कि मंत्री रेखा आर्य द्वारा जारी आदेश में सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी एवं सहायिकाओं को अपने नजदीकी शिवालय में जाकर जलाभिषेक करने का आदेश गया था ताकि यह संकल्प लिया जा सके कि वे 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ओ' आंदोलन को आगे बढ़ाएंगे. इतना ही नहीं अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और सहायकों को उक्त एक्टिविटी की फोटो कैमरे में कैद कर विभाग की ईमेल आईडी पर भेजने के लिए भी कहा है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details