लखनऊ : यूपी में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और उनकी पत्नी पूर्व राज्य मंत्री स्वाति सिंह अब पूरी तरह से अलग हो गए हैं. लखनऊ की फैमिली कोर्ट ने स्वाति सिंह के तलाक केस को फाइनल करते हुए दोनों को अलग करने का आदेश दे दिया. राजधानी से लेकर बलिया तक हमेशा दोनों लोगों के पारिवारिक रिश्तों के बीच कड़वाहट की चर्चाएं होती रहीं हैं, लेकिन अब उनकी दूरियां हमेशा के लिए न सिर्फ बढ़ गई हैं, बल्कि रिश्ता पूरी तरह से समाप्त हो गया है. विवाह के 22 साल बाद शादी औपचारिक तौर पर टूट गई और तलाक हुआ और दोनों अलग हो गए. आइए जानते हैं कि कैसे दयाशंकर सिंह और स्वाति सिंह कब एक दूसरे के हुए और फिर कैसे और क्यों अलग अलग हो गए.
फैमिली कोर्ट में दी थी तलाक की अर्जी : पिछले साल मार्च महीने में स्वाति सिंह ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी थी. इससे 10 साल पहले भी स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह के बीच मारपीट को लेकर विवाद हुआ था और मामला कुछ दिनों तक कोर्ट में चलता रहा, लेकिन साल 2016 में एक घटनाक्रम ने दोनों को एक कर दिया था. हुआ यह था कि साल 2016 में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशकंर सिंह ने बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को लेकर विवादित बयान दे दिया. साथ ही उन्होंने मायावती पर टिकट बेचने के गम्भीर आरोप लगाये थे. बयान के बाद दयाशंकर सिंह बसपा नेताओं के निशाने पर पर आ गए और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी होने लगी. भाजपा भी मायावती पर हुई टिप्पणी को लेकर बैकफुट पर आ गई और आखिरकार दयाशंकर सिंह को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया. इसके बाद भी बसपा शांत नहीं हुई.
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन ने हजरतगंज में एक प्रदर्शन के दौरान दयाशंकर सिंह वाली गलती दोहराई और उनकी मां, पत्नी और बेटी के लिए अपशब्द बोल डाले. इसके बाद फिर स्वाति सिंह मैदान में आईं और मोर्चा संभाल लिया. उन्होंने कहा था कि 'मायावती बताएं उन्हें कहां आना है.' इसके साथ ही मायावती को अपने खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दे डाली. इसके बाद स्वाति सिंह की सियासत में दमदार एंट्री हो गई. भाजपा ने स्वाति सिंह को महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया. इसके बाद स्वाति सिंह की छवि फायरब्रांड नेता की बन गई. 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार स्वाति ने लखनऊ की सरोजनीनगर से चुनाव लड़ा और जीतकर महिला कल्याण विभाग की राज्य मंत्री बनाई गईं. इसके बाद जब 2022 का चुनाव आया तो एक बार फिर स्वाति ने टिकट मांगना शुरू कर दिया, लेकिन आपसी टकराव में स्वाति सिंह का टिकट कट गया. दयाशंकर सिंह को भाजपा ने बलिया सीट से चुनाव में उतार दिया. जिसके बाद से स्वाति सिंह और दयाशंकर के बीच तल्ख़ी और बढ़ गई.