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ETV भारत पर मिलेट्स क्वीन लहरी बाई, बोलीं- श्री अन्न को दुनिया तक पहुंचाने के लिए मेरे जैसी कई लहरी बाई चाहिए

Mille Queen Lahari Bai: यूनेस्को ने 2023 के साल को ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है. एमपी की लहरी बाई ने इस मिलेट्स का बीज बैंक तैयार किया है. पीएम मोदी ने भी लहरी बाई की तारीफ की और उन्हें मिलेट्स एम्बेसडर घोषित किया. पढ़िए भोपाल से ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट...

Mille Queen Lahari Bai
मिलेट्स क्वीन लहरी बाई

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 20, 2023, 8:00 PM IST

Updated : Dec 20, 2023, 8:28 PM IST

मिलेट्स क्वीन ने की ईटीवी भारत से बात

भोपाल। यूनेस्को ने 2023 के साल को ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया, लेकिन लहरी बाई ने मिलेट्स को बचाने का संघर्ष उस समय शुरु कर दिया था. जब इस श्री अनाज की ताकत दुनिया के सामने आई भी नहीं थी. दादी से किस्से कहानियां सुनते हैं बच्चे...बैगा जाति की लहरी बाई ने अपनी दादी से जीवन के बीज संजोना सीखा. जिसे पीएम मोदी ने श्री अन्न नाम दिया. उस मोटे अनाज यानि मिलेट्स के बीज जब खत्म होने लगे तो लहरी बाई ने अपने घर के दो कमरों में बीज बैंक तैयार कर लिया.

इस बीज बैंक में तैयार हुए बीज लहरी बाई आस पास के जिलों तक पहुंचाती है और किसानों को बताती हैं कि मोटा अनाज उगाना क्यों जरुरी है. ईटीवी भारत से बातचीत में लहरी बाई ने कहा कि अकेली लड़की हूं, ज्यादा रेंग नहीं सकूं. दुनिया भर में ये ताकतवर दाना पहुंचाना हो तो और नई लहरी बाई जरुरी है.

लहरी बाई ने की ईटीवी भारत से बात

लहरी बाई की बीमारी से बीज बैंक तक की कहानी: बचपन में लहरी बाई अक्सर बीमार रहती थीं. उनकी दादी ने जान लिया था कि ज्यादा चावल खाने और कोदू, कुटकी जैसे मोटे अनाज से दूर रहने की वजह से उनकी शारीरिक क्षमता कमजोर है. दादी का नुसखा लहरी पर आजमा कर खत्म भी हो सकता था, लेकिन लहरी ने दादी के बीज मंत्र को बीज बैंक के जरिए बचा लिया. उसने धीरे धीरे खेती में खत्म हो रहे इस श्री अन्न को सहेजना शुरु किया. बीज तैयार किए. किसानो को वो बीज दिए. फिर बीज तैयार किए.

ईटीवी भारत से बातचीत में लहरी कहती हैं, ये अनाज धीरे-धीरे खत्म हो रहे थे, तो हमने बीज बैंक बनाया. अब मैं आस पास के जिलों में जाकर ये बीज किसानों को देकर आती हूं. खास बात ये है कि इसके बदले में भी लहरी बाई केवल अनाज ही लेती हैं. एक बीज से बीज बैंक तक की पूरी कवायद लहरी बाई की अपनी मेहनत थी.

कैसे जानी श्री अन्न की ताकत: लहरी बाई कहती हैं मैं दस बारह साल की थी चावल ज्यादा खाती थी और बहुत बीमार पड़ती थी. तब दादी कोदू कोटकू लाईं. फिर जब ये खत्म हो जाता तो मैं कहती थी कि अब और ले आना. धीरे धीरे जब ये खत्म ही होने लगा तो दादी ने कहा कि ये ताकतवर दाना है, बेटी इसे खोज. उससे पेट दर्द ठीक हो जाता है. बीमार नहीं पड़ते, तो मैंने फिर बीज इकट्ठे करने शुरु किए और डेढ़ सौ बीज जमा कर लिए. धीरे धीरे घर के ही कमरे में बीज बैंक तैयार कर लिया.

मिलेट्स की एंबेसडर लहरी बाई
दूसरी लहरी बाई भी तैयार हों: लहरी बाई ईटीवी भारत से बातचीत में कहती हैं घूम-घूम कर मैं 25 गांव में बीज बांटती हूं. चार जिलो में जाती हूं, जिसमें मंडला, अनूपपुर, छिंदवाड़ा और डिंडौरी तो है ही, लेकिन लड़की हूं अकेले कहां कहां जाऊं. ज्यादा तो नहीं जा सकती. तो दूसरी लहरी बाई भी तैयार हों. जो ये ताकतवर दाना तैयार करें और देश विदेश में पहुंचाएं.

लहरी बाई दुनिया में डिंडौरी की पहचान:कृषि विभाग सहायक संचालक नेहा धूरिया कहती हैं लहरी बाई पूरी दुनिया में डिंडौरी जिले की पहचान हैं. डिंडौरी में श्री अन्न की कम्पलीट चैन है. पौधे के संरक्षण से लेकर प्रोडक्शन तक और स्वसहायता समूह के जरिए बिक्री तक सबकुछ डिंडौरी में होता है.

मिलेट्स

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पीएम मोदी कर चुके हैं लहरी बाई की तारीफ: एमपी के डिंडौरी की रहने वाली लहरी बाई को मिलेट्स एम्बेसडर घोषित किया गया. पीएम मोदी ने उनकी टवीट कर तारीफ की थी. पीएम ने कहा था कि लहरी बाई ने जो काम किया है. उनके प्रयास दूसरों को भी प्रेरणा देंगे.

Last Updated : Dec 20, 2023, 8:28 PM IST

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